तेल तड़का छोड़ कर नित घूमन को जाय,
मधुमेह का नाश हो जो जन अलसी खाय।
नित भोजन के संग में , मुट्ठी अलसी खाय।
नित भोजन के संग में , मुट्ठी अलसी खाय।
अपच मिटे, भोजन पचे, कब्जियत मिट जाये।।
घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी।
दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी।।
धातुवर्धक, बल-कारक, जो प्रिय पूछो मोय।
अलसी समान इस लोक में, और न औषध कोय।।
जो नित अलसी खात है, प्रात पियत है पानी।
कबहुं न मिलिहैं वैद्यराज से, कबहुँ न जाई जवानी।।
अलसी तोला तीन जो, दूध मिला कर खाय।
रक्त धातु दोनों बढ़े, पुरुष रोग मिट जाय।।
- स्वामी ओमानन्द
Dr. O.P.Verma
M.B.B.S.,M.R.S.H.(London)
President, Flax Awareness Society
Visit me at http://flaxindia.blogspot.com/
+919460816360
Dr. O.P.Verma
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2 comments:
"अलसी तोला तीन जो, दूध मिला कर खाय।
रक्त धातु दोनों बढ़े, पुरुष रोग मिट जाय।।"
डॉ साहब,नमस्कार
उपरोक्त दोहे का भावार्थ क्या है कृपा करके सुझाने का कष्ट करे!
"अलसी तोला तीन जो, दूध मिला कर खाय।
रक्त धातु दोनों बढ़े, पुरुष रोग मिट जाय।।"
डॉ साहब,नमस्कार
उपरोक्त दोहे का भावार्थ क्या है कृपा करके सुझाने का कष्ट करे!
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