Wednesday, September 26, 2018

Sour cabbage – Professor of Probiotics


Sour cabbage – Professor of Probiotics
Sour cabbage (Germans call it Sauerkraut) is finely cut cabbage that has been fermented by various lactic acid bacteria. It has a long shelf life and a distinct sour taste, both of which result from the lactic acid that forms when the bacteria ferment the cabbage.


Sunday, September 16, 2018

अलसी - एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन


अलसी - एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन



“पहला सुख निरोगी काया, सदियों रहे यौवन की माया।” आज हमारे वैज्ञानिकों व चिकित्सकों ने अपनी शोध से ऐसे आहार-विहार, आयुवर्धक औषधियों, वनस्पतियों आदि की खोज कर ली है जिनके नियमित सेवन से हमारी उम्र 200-250 वर्ष या ज्यादा बढ़ सकती है और यौवन भी बना रहे। यह कोरी कल्पना नहीं बल्कि यथार्थ है। आपको याद होगा प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनि योग, तप, दैविक आहार व औषधियों के सेवन से सैकड़ों वर्ष जीवित रहते थे। इसीलिए ऊपर मैंने पुरानी कहावत को नया रुप दिया है। ऐसा ही एक दैविक आयुवर्धक भोजन है “अलसी” जिसकी आज हम चर्चा करेंगें।

पिछले कुछ समय से अलसी के बारे में पत्रिकाओं, अखबारों, इन्टरनेट, टी.वी. आदि पर बहुत कुछ प्रकाशित होता रहा है। बड़े शहरों में अलसी के व्यंजन जैसे बिस्कुट, ब्रेड आदि बेचे जा रहे हैं। भारत के विख्यात कार्डियक सर्जन डॉ. नरेश त्रेहान अपने रोगियों को नियमित अलसी खाने की सलाह देते हैं ताकि वह उच्च रक्तचाप व हृदय रोग से मुक्त रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा देता है। आयुर्वेद में अलसी को दैविक भोजन माना गया है। मैंने यह भी पढ़ा है कि सचिन के बल्ले को अलसी का तेल पिलाकर मजबूत बनाया जाता है तभी वो चौके-छक्के लगाता है और मास्टर ब्लास्टर कहलाता है। आठवीं शताब्दी में फ्रांस के सम्राट चार्ल मेगने अलसी के चमत्कारी गुणों से बहुत प्रभावित थे और चाहते थे कि उनकी प्रजा रोजाना अलसी खाये और निरोगी व दीर्घायु रहे इसलिए उन्होंने इसके लिए कड़े कानून बना दिए थे।

यह सब पढ़कर मेरी जिज्ञासा बढ़ती रही और मैंने अलसी से सम्बन्धित जितने भी लेख उपलब्ध हो सके पढ़े व अलसी पर हुई शोध के बारे में भी विस्तार से पढ़ा। मैं अत्यंत प्रभावित हुआ कि ये अलसी जिसका हम नाम भी भूल गये थे, हमारे स्वास्थ्य के लिये इतनी ज्यादा लाभप्रद है, जीने की राह है, लाइफ लाइन है। फिर क्या था, मैंने स्वयं अलसी का सेवन शुरु किया और अपने रोगियों को भी अलसी खाने के लिए प्रेरित करता रहा। कुछ महीने बाद मेरी जिन्दगी में आश्चर्यजनक बदलाव आना शुरु हुआ। मैं अपार शक्ति व उत्साह का संचार अनुभव करने लगा, शरीर चुस्ती फुर्ती तथा गज़ब के आत्मविश्वास से भर गया। तनाव, आलस्य व क्रोध सब गायब हो चुके थे। मेरा उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़ ठीक हो चुके थे। अब मैं मानसिक व शारीरिक रुप से उतना ही शक्तिशाली महसूस कर रहा था जैसाकि 30 वर्ष पहले था।
Dr. O.P.Verma
M.B.B.S., M.R.S.H.(London)
Budwig Wellness
7-B-43, Mahaveer Nagar III, Kota Raj.
http://flaxindia.blogspot.in
Email- dropvermaji@gmail.com
+919460816360

Thursday, September 13, 2018

सॉवरक्रॉट के जबर्दस्त फायदे .... जानकर होश उड़ जाएंगे


**** "सॉवरक्रॉट के जबर्दस्त फायदे .... जानकर होश उड़ जाएंगे" **** 

सॉवरक्रॉट बहुत बढ़िया प्रोबायोटिक फूड है जिसे बंदगोभी को फर्मेंट करके बनाया जाता है। विटामिन, मिनरल्स और प्रोबायोटिक्स से भरपूर इस व्यंजन की उत्पत्ति चीन में हुई, वहाँ से यह जर्मनी पहुँचा और इसे सॉवरक्रॉट नाम दिया गया।


सावरक्रॉट सिर्फ फर्मेंटेड केबेज नहीं, एक सर्वोत्तम प्रोबायोटिक है, 
लेक्टोबेसीलाई से भरपूर महान टॉनिक है, 
पेट के हर रोग की दवा है, 
किडनी रोग के लिए मेवा है, 
हर अपच चुटकियों में मिटा दे वो हाज़मोला है, 
एसीडिटी और अल्सर की दवाई का गोला है, 
जो कब्जासुर का वध कर दे यही वाे दानव है, 
जो इसका नियमित सेवन करे वही स्वस्थ मानव है, 
जोड़ के हर रोग का तोड़ है, 
जीवन का सबसे हंसीन मोड़ है, 
विटामिन और मिनरल्स की खान है, 
वेट वाचर्स के लिए वरदान है, 
शरीर की डिफैंस बटालियन का जत्था है,
कैंसर के उपचार में तुर्प का पत्ता है, 
स्वाद में लाजवाब है, 
तभी तो कहलाता आबेहयात है....
मैे इसी अमृत को घर-घर पहुँचाना चाहता हूँ।



आबेहयात - हर रोग को देता मात

इवा लिज़ा रेहानेन के अनुसार बन्दगोभी की अपेक्षा फर्मेंट की हुई बंदगोभी में ज्यादा कैंसर-रोधी गुण होते हैं। बदंगोभी को खमीर करने पर उनके ग्लुकोसाइनोलेट आइसोथायोसायनेट में विघटित हो जाते हैं, जो शक्तिशाली कैंसर-रोधी हैं। अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के जरनल की वेब साइट पर निम्न जानकारियां उपलब्ध हैं।

सॉवरक्रॉट में कैंसर-रोधी तत्व


फिनलैंड की अनुसंधानकर्ता इवा लिज़ा रेहानेन और साथियों ने सॉवरक्रॉट में कैंसर-रोधी तत्वों का पता लगाया है। इवा के अनुसार बन्दगोभी को खमीर करने पर कुछ किण्वक बनते हैं जो उनके ग्लुकोसाइनालेट को विघटित कर कैंसर-रोधी आइसोथायोसायनेट बनाते हैं। कुछ वर्षों पहले जानवरों पर हुए परीक्षणों से सिद्ध हुआ था कि आइसोथायोसायनेट स्तन, आंत, फेफडे और यकृत के कैंसर की संवृद्धि को शिथिल करते हैं। मनुष्य में आइसोथायोसायनेट के कैंसररोधी प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए शोध होनी चाहिये।

पाचनक्रिया में सहायक है सॉवरक्रॉट


कैंसर-रोधी होने के साथ साथ सॉवरक्रॉट पाचनक्रिया में बहुत सहायक हैं। इसे खमीर करने की प्रक्रिया में लेक्टोबेसीलस जीवाणु पैदा होते हैं जो पाचन में सहायक हैं, विटामिन की मात्रा बढ़ाते हैं, विभिन्न लाभदायक एंजाइम बनाते हैं और पाचन-पथ में मित्र जीवाणुओं की सेना में वृद्धि करते हैं। हर स्वास्थ्य समस्या या रोग में पाचन का बहुत महत्व है। खमीर की हुई बन्दगोभी में लेक्टिक एसिड, प्रोबायोटिक जीवाणु होते हैं जो पाचन में सहायक हैं और कीटाणुओं का सफाया करते हैं। लेक्टिक एसिड कीटाणु ई-कोलाई और फफूंद जैसे केनडिडा एल्बिकेन्स के विकास को बाधित करते हैं। हालांकि लेक्टिक एसिड प्रोबायोटिक जीवाणुओं के विकास को बाधित नहीं करते हैं। सॉवरक्रॉट सेवन करने से आहारपथ की लाभदायक जीवाणु सेना सशक्त और संतुलित रहती है। सॉवरक्रॉट में एक दुर्लभ जीवाणु लेक्टोबेसीलस प्लान्टेरम भी पाया जाता है जो पाचन के लिए बहुत ही अहम जीवाणु है। यह अन्य मित्र जीवाणुओं की सहायता से महान एन्टीऑक्सीडेन्ट ग्लुटाथायोन और सुपरऑक्साइड डिसम्युटेज बनाता है। ये दोनों कठिन दुग्ध शर्करा लेक्टोज को आसानी से पचा लेते हैं। यह अन्नों में पाये जाने वाले कुपोषक तत्व फाइटिक एसिड और सोयाबीन में मौजूद ट्रिप्सिन इन्हिबीटर्स को निष्क्रिय कर देते हैं। सॉवरक्रॉट प्रोटीन के विघटन और पाचन में भी सहायक हैं। यह मस्तिष्क को शांति देता है। सॉवरक्रॉट सदियों से कैंसर और अपच के उपचार में प्रयोग किया जाता रहा है।

नोट 


-- कैंसर का कोई भी इलाज बिना सॉवरक्रॉट के काम नहीं करता - मार्कस पोर्सियस काटो द एल्डर 200 बी.सी.
-- हमारे पास सॉवरक्रॉट हमेशा उपलब्ध रहता है
-- किसी भी जानकारी के लिए हमें फोन करें +919460816360
-- सॉवरक्रॉट में नमक की मात्रा 2-3% होनी चाहिये। आप 1.25 प्रतिशत प्रयोग करें
-- अच्छा सॉवरक्रॉट बनने के लिए फर्मेंटेशन के समय उपयुक्त तापमान 18-24 डिग्री C माना गया है

मैं गेहूं हूँ

लेखक डॉ. ओ.पी.वर्मा    मैं किसी पहचान का नहीं हूं मोहताज  मेरा नाम गेहूँ है, मैं भोजन का हूँ सरताज  अडानी, अंबानी को रखता हूँ मुट्ठी में  टा...