रविकांत ने अलसी से डायबिटीज पर किया काबू
मुझे यह सूचित करते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि आपके दिशा निर्देशन में मैं डायबिटीज जैसे भयानक और असाध्य रोग को नियंत्रण करने में सफल रहा हूँ। मुझे अपने डायबिटीज होने की जानकारी वर्ष 2008 माह सितम्बर में तब हुआ जब मैंने अपना ब्लड शुगर चेक करवाया उस समय मेरा ब्लड शुगर F 265- PP 450 था। उसके बाद मैंने ऐलोपैथी दवा मैंने छः या सात माह तक चालू रखी लेकिन बाद में दिनचर्या बिगड़ जाने एंव ऐलोपैथी दवा के साइड इफेक्ट के चलते उसे मैने नियमित नहीं रखा तथा मेरी शुगर खतरनाक तरीके से बढ़कर पुनः 298-490 हो गई। इसके बाद मैं आप (डॉ. वर्मा साहब) के सम्पर्क में आया। डॉ. वर्मा साहब ने मुझे अलसी से डायबिटीज पर नियंत्रण करने की सलाह दी। मैं उनके बताये अनुसार अलसी और गेहूँ के आटे की मिश्रित रोटी माह अगस्त, 2010 से लगातार खा रहा हूँ। साथ ही साथ सुबह 1 घंटा टहलना तथा आधे घंटे शाम में टहलना जारी कर रखा हूँ। इसके साथ-साथ 30-45 मी.ली. अलसी का तेल जो ठंडी विधि से निकाला गया हो, 100 ग्राम दही के साथ मिलाकर हैंड ब्लेंडर से मिश्रित कर सुबह–सुबह खाली पेट में ले रहा हूँ। डॉ. साहब की सलाह से रिफाइण्ड तेल बिलकुल बन्द कर सरसों का घाणी का तेल खा रहा हूँ। इसके अलावा दाल चीनी भी एक चुटकी सुबह-शाम गर्म दाल सब्जी के साथ ले रहा हूँ। इसके अलावा ऐलोपैथी दवा Mopaday–15 सुबह – शाम, Ebiza - L सुबह शाम एवं दो–दो गोली डाबर शीलाजीत का सुबह-शाम ले रहा हूँ। अब मेरा तीन महीने बाद ब्लड शुगर 108-135 हो गया है। मुझे अब काफी अच्छा महसूस कर रहा हूँ। मेरा मोबाइल नं. 9460176480 है। मैं अपना फोटो भी इस पत्र के साथ भेज रहा हूँ। मुझे पहले पैदल चलने पर चक्कर आने जैसा अनुभव होता था लेकिन अब ठीक है कोई बात नहीं है। पहले मेरी कमर में जकड़न रहती थी जो अब ठीक हो गयी है। मैं चश्मा तो नहीं लगाता था लेकिन अलसी खाने से मेरी नज़र बहुत क्लियर और अच्छी हो गयी है। पहले थोड़ा सा घूमने के बाद ही चक्कर से आते थे, लगता था जैसे गिर जाऊंगा लेकिन अब बिना परेशानी के मैं डेढ़ घंटा रोज घूम रहा हूँ। पहले सीढ़ियां चढ़ने में घबराहट होती थी अब दौड़कर सीढ़ियां चढ़ जाता हूँ।
(रविकान्त प्रसाद)
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