Friday, July 7, 2017

सैल्फी गीत



             
       सैल्फी का क्रेज दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। बच्चों से लेकर बड़े तक हर कोई सैल्फी लेने का दीवाना है। सैल्फी टेक्नोलोजी का एक नायाब तोहफा है, स्टाइल है, शौक है। बड़े-बड़े नेता जैसे प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप सैल्फी ले रहे है। डॉ. रमन सिंह करीना कपूर के साथ सैल्फी लेते देखे गए। अपनी पत्नी को भले ही कभी तवज्जो नहीं दिया हो, मगर लोगों को परस्त्री संग सेल्फियाना बड़ा दिलचस्प लगता है। कोई परिजनों के साथ सैल्फी लेते हैं तो कोई गर्ल फ्रैंड के साथ। हम अपने मरीजों के साथ सैल्फी ले लेते हैं।
         लोगों को तो बस सैल्फी लेने का बहाना चाहिए। हर कोई अपने खुशी और मस्ती के लम्हों को सैल्फी में कैद कर लेना चाहता हैं। युवाओं में यह शौक पूरे शबाब पर है, खासकर लड़कियो में। किसी भी पार्टी में जाना हो या ऑफिस, लड़कियां सजधज कर तैयार होती हैं तो आख मटका कर सबसे पहले सैल्फी लेती हैं और वाट्सअप या ट्विटर पर शेयर करती हैं। कुछ लड़कियां अपने बॉय फ्रैंड के साथ सैल्फी लेकर सहेलियों को जलाती है, तो कुछ लड़कियाँ खुद की ही सैल्फी लेकर इतराती हैं। सैल्फी कल्चर आने के बाद तो लड़कियों का कॉस्मेटिक्स और कपड़ों का खर्चा भी बढ़ गया है। ओपो सैल्फी लेने के लिए खास तरह के सेलफोन बना रहा है, तो ओपी सैल्फी गीत लिख रहा है।
       बंगलुरु में तो जर्मन सॉफ्टवेयर ए.जी. कंपनी के इंजिनियर श्री फनी और उनके दोस्तों ने वीकएंड मूवी मेकर्स के बेनर तले सैल्फीनाम की एक शानदार म्यूज़ीकल सस्पेंस फिल्म बनाई है, जो बहुत हिट रही और क्रिटिक्स की भी खूब प्रशंसा बटोरी। इस फिल्म में ऐश्वर्य ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
       इस सैल्फी गीत में महान लेखिका कृष्णा कुमारी और उर्मिला ने भी कुछ मक्तक लिखे हैं और इस रचना में योगदान दिया है। आखिरी मुक्तक हमारे आदरणीय चाचा श्री मधुसूदन खींची के लिए लिखा है। वे भी सैल्फी लेते समय बड़े मस्त अंदाज़ में मुस्कुराते हैं। 

चल यार सैल्फी हो जाए

जब सजधज कर तू आए
और मंद मंद मुस्काए
फिर खुद ही पर इतराए
चल यार सैल्फी हो जाए

गोरा चेहरा कजरारी आँखें
जुल्फें गालों पर बिखराए
हर पल ऊत्सव बन जाए
चल यार सैल्फी हो जाए

तू झूम झूम कर गाए
कमर तनिक लचकाए
मौसम रूमानी हो जाए
चल यार सैल्फी हो जाए

तू रूप गर्विता नारी
तू सच में है सुकुमारी
रूप के आल जाल बिखराये
चल यार सैल्फी हो जाए

मनमोहक तेरी अदाएं
तुझे देख के मन ललचाए
सिलसिला प्यार का हो जाए
चल यार सैल्फी हो जाए

तू चपल चंचला नारी 
तू है मदमस्त शिकारी 
तुझसे कोई ना बच पाए 
चल यार सैल्फी हो जाए

रिमझिम सावन जब आए
काले बादल घिर आए
आओ पिकनिक पर जाएं
चल यार सैल्फी हो जाए

खुशियों के दीप जलाए
तू सबके दिल को भाए
फ्लैक्स परी कहलाए
चल यार सैल्फी हो जाए

तू अलसी माखन खाए
और रंग रूप चमकाए
तू बुद्धिमान बन जाए
चल यार सैल्फी हो जाए

मोदी विदेश जब जाएं
तो मंहगा सूट सिलाएं
सीना छप्पन हो जाए
चल यार सैल्फी हो जाए

क्या अच्छे दिन आएंगे
या यूँ ही दिल बहलाए
निर्धन का दर्द सुनाएं
चल यार सैल्फी हो जाए

साथ साथ हम सारे
नभ के झिलमिल तारे
मंद मंद चंदा मुस्काए
चल यार सैल्फी हो जाए

लाखों में तुम एक हो
इन्सान बड़े ही नेक हो
आओ गपशप हो जाए
चल यार सैल्फी हो जाए

9 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-07-2017) को 'पाठक का रोजनामचा' (चर्चा अंक-2661) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

प्रतिभा सक्सेना said...

एक नशा बन गई है सेल्फ़ी भी .

Shri Sitaram Rasoi said...

आखिरी मुक्तक हमारे आदरणीय चाचा श्री मधुसूदन खींची के लिए लिखा है। वे भी सैल्फी लेते समय बड़े मस्त अंदाज़ में मुस्कुराते हैं।
लाखों में तुम एक हो
इन्सान बड़े ही नेक हो
आओ गपशप हो जाए
चाचा एक सैल्फी हो जाए

Shri Sitaram Rasoi said...

यह मुक्तक श्रीमती उर्मिला ने लिखा है। इन्हे बधाई दी जाए...
तू रूप गर्विता नारी
तू सच में है सुकुमारी
रूप के आल जाल बिखराये
चल यार सैल्फी हो जाए

Shri Sitaram Rasoi said...


यह तीन मुक्तक महान लेखिका, कवयित्री और रचनाकार कृष्णा कुमारी ने लिखे हैं। इन्हे बधाई दी जाए...

साथ साथ हम सारे
नभ के झिलमिल तारे
मंद मंद चंदा मुस्काए
चल यार सैल्फी हो जाए

लाखों में तुम एक हो
इन्सान बड़े ही नेक हो
आओ गपशप हो जाए
चल यार सैल्फी हो जाए

रिमझिम सावन जब आए
काले बादल घिर आए
आओ पिकनिक पर जाएं
चल यार सैल्फी हो जाए


dr. krishna kumari said...

बहुत ही शानदार गीत है | आज के संदर्भ को दर्शाते हुए , लाजवाब ..गीत , बहुत बधाइयाँ ...आप सभी को

dr. krishna kumari said...

इस गीत का तो मुखड़ा ही अपने आप में सम्पूर्ण कविता है |एस के बाद एक से एक श्रेष्ठ पंक्ति पाठकों को भावविभोर करती है वह काव्य रस का आनंद उठाते हुए रस मग्न हो जाता है , बहुत नायाब रचना ...

Shri Sitaram Rasoi said...

कृष्णा जी
आपने मेरे गीत पर शानदार कमेंट किए हैं। आपको बहुत बहुत धन्यवाद। यह गीत फेसबुक पर भू है, वहाँ भी कमेंट कीजिए। ओम वर्मा

Shri Sitaram Rasoi said...

कृष्णा तुमने इस गीत की इतने सुन्दर शब्दो में प्रशंसा की है कि बस आनद ही आ गया है

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