ऐलेजिक एसिड – कैंसर टर्मिनेटर
ऐलेजिक एसिड 46 विभिन्न फल और मेवों जैसे ब्लैक बेरी, रसबेरी, स्ट्रॉबेरी, क्रेनबेरी, अंगूर, अनार, ब्लूबेरी और अखरोट आदि में पाया जाने वाला एक
प्राकृतिक पॉलीफिनोलिक यौगिक है।
हमारे शरीर की स्वस्थ कोशिकाएँ लगभग 120 दिन
जीवित रहती हैं, उसके बाद पूर्व निर्धारित योजनाबद्ध तरीके से स्वतः
मर जाती हैं। इस प्रक्रिया को ऐपोप्टोसिस कहते हैं। शरीर इन मरने वाली कोशिकाओं की
जगह नई कोशिकाएं बना देता है। लेकिन कैंसर कोशिकाएं मरती नहीं हैं और निरंतर
विभाजित होकर बढ़ती रहती हैं। ऐलेजिक एसिड स्वस्थ कोशिकाओं को हानि पहुँचाये बिना
कैंसर कोशिकाओं में रुकी हुई ऐपोप्टोसिस की क्रिया को पुनः शुरू कर देता है। जबकि कीमो
और रेडियो स्वस्थ और कैंसर दोनों कोशिकाओं को नष्ट करती है। इसलिए ऐलेजिक एसिड का
प्रयोग करना ही विवेकपूर्ण निर्णय है।
ऐलेजिक एसिड पर साउथ केरोलिना विश्वविद्यालय के होलिंग्स कैंसर इंस्टिट्यूट
में 9 वर्ष तक हुई शोध (1999) में निम्न बातें सामने आई है।
- एक बलवान एंटीऑक्सीडेंट है।
- यह कैंसर कोशिकाओं के विभाजन को 48 घंटे में रोक देता है।
- यह स्तन, अग्न्याशय, भोजननली, त्वचा, आंत और प्रोस्टेट कैंसर में कैंसर कोशिकाओं की रुकी हुई सामान्य मृत्यु या एपोप्टोसिस (normal cell death) को 72 घंटे में शुरू कर देता है, इस तरह कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि पर नियंत्रण करता है।
- यह कैंसर के रक्षक पी-53 जीन को नष्ट होने से बचाता है।
- यह कोशिका के डी.एन.ए. को विकृत (म्यूटेशन) होने से रोकने में सक्षम है।
- यह ह्यूमन पेपिलोमा वायरस HPV में एपोप्टोसिस को बढ़ता है।
डॉ. ग्लीन हेलवोर्सन की पुस्तक “कीमोप्रिवेंटिव प्रोपर्टीज ऑफ ... फाइटोकेमाकल्स” के अनुसार ऐलेजिक एसिड
जीवाणुरोधी और विषाणुरोधी है और आमाशय में अल्सर बनने
में सहायक एच. पाइलोराइ जीवाणु को नष्ट कर देता है।
- रोज एक कप (150 ग्राम) रसबेरी खाने से कैंसर का विकास रुक जाता है।
- यह यकृत और उसकी कार्यप्रणाली को सुरक्षित रखता है।
- यह रक्तशर्करा को नियंत्रित रखता है, अतः डायबिटीज में भी उपयागी है।
- ऐलेजिक एसिड कैंसरकारी रसायनों से क्रिया कर उन्हें प्रभावशून्य करता है। यह जीवाणु में म्यूटेशन करने वाले रसायनों को भी निष्क्रिय करता है। रसबेरी में सबसे अधिक ऐलेजिक एसिड होता है। और यह बात महत्वपूर्ण है कि रसबेरी को उबालने या पकाने पर भी इसकी गुणवत्ता कम नहीं होती है।
ऐलेजिक एसिड का पूरा लाभ तभी मिलता है जब बेरी प्रजाति के फल को खाली पेट लिया
जाये। इनके पहले कुछ भी नहीं खाना चाहिये या इन्हें दही या पनीर के साथ लिया जाये।
दही ऐलेजिक एसिड को आमाशय में बनने वाले एसिड से बचा कर रखता है। यदि आप भरे पेट
में रसबेरी का सेवन करते हैं तो आमाशय में फल अधिक देर तक रहता है और आमाशय में
स्रावित हाइड्रोक्लोरिक एसिड ऐलेजिक एसिड को निष्क्रिय कर देता है।
ब्लूबेरी और
बिलबेरी में एक शक्तिशाली फ्लेवोनॉयड ऐंथोसायनिन और क्यूरसेटिन भी काफी मात्रा में
होते है जो एक बलवान एंटीऑक्सीडेंट है और विशिष्ट प्रोटीन्स से जुड़ कर
कोशिका-विभाजन में सहायक काइनेज एंजाइम्स को निष्क्रिय करते हैं। इस तरह कैंसर के
उपचार में बहुत उपयोगी पाये गये हैं।
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