Wednesday, April 11, 2012

माया बाई का मुजरा

कल हमने फेसबुक पर माया बाई का मुजरा देखा, जिसे भड़ास पर भी लगा दिया है। लेकिन वो मुजरे में गा क्या रही है, यह स्पष्ट नहीं हो रहा था। इसलिए हमने वो मुजरा के बोल पता कर लिये है। आप भी सुन लीजिये। दुपट्टा मुख्यमंत्री की कुर्सी को समझियेगा।


सायकल वाले ने ले  लीन्हा दुपट्टा मेरा ...... 


हमरी न मानो रँगनाथवा से पूछो 
गहरा नीला रँग दीना दुपट्टा मेरा ...... 
सायकल वाले ने ले लीन्हा दुपट्टा मेरा ...... 

हमरी न मानो अखिलवा से पूछो 
जिसने जोबनवा से खींचा दुपट्टा मेरा ...... 
सायकल वाले ने ले  लीन्हा  दुपट्टा मेरा ...... 

हमरी न मानो मुलायमवा से पूछो 
पूरे इलेक्सन जिसने रगड़ा दुपट्टा मेरा .....
सायकल वाले ने ले 
लीन्हा  दुपट्टा मेरा ......

9 comments:

Shri Sitaram Rasoi said...

सचमुच दु्हन सी लग रही है माया... शादी कर लेती तो अभी 2-4 बच्चों की मां होती।

रचना दीक्षित said...

बहुत नाइंसाफी है....

Shri Sitaram Rasoi said...

गब्बर का ही डर है वो आगया तो कांच पे नचायेगा, उसको खबर मत होने देना रचना जी।

Rajesh Kumari said...

hahaha vaah kya pairodi banaai hai.chitra to lajabaab hai.

Shri Sitaram Rasoi said...

सुश्री राजेश कुमारी जी चलो इस मुजरे के चक्कर में आपके ब्लॉग पर जाना हुआ। बड़ अच्छा लगा। अब आप भी अलसी को अपनाइये और स्वस्थ बने रहिये।

Shri Sitaram Rasoi said...

आदरणीय दिलबाग विर्क जी,

चर्चामंच पर प्रस्तुत होना गर्व की बात मानी जाती है। आपने चर्चामंच पर माया बाई का मुजरा करवा कर बड़ा अच्छा काम किया है। आपका किन शब्दों में शुक्रिया करूँ। मुफलिसी में हमें दो पैसे मिल गये। और आजकल मायाबाई भी फालतू ही बैठी थी। आपके याद ही होगा जबसे अखिलेश बाबू नये नये दारोगा बने हैं, उन्होंने लखनऊ के सारे कोठों पर माया के मुजरे पर पाबंदी लगा दी है। इसलिए आपको आगे भी कहीं मौका मिले मुजरा करवाना हो तो सेवा का अवसर देना। आपके लिए तो मायाबाई तो खाली बख्शीश में भी नाच लेगी।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वर्मा जी,चलिए मुजरे के बहाने ही सही आपके पोस्ट पर मेरा आना तो हुआ,जरूरत पड़ी मुजरे की तो आपसे जरूर करूगा ,बेहतरीन पैराडी,

अनुरोध है कि मेरे पोस्ट पर आये,स्वागत है,...

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

Shri Sitaram Rasoi said...

आदरणीय धीरेन्द्र जी,

मैं आपके ब्लॉग का एक चक्कर लगा आया हूँ। रास्ता देख लिय़ा है। अब मैं आता रहूँगा। बड़ी अच्छी रचनाएं हैं, एक -एक करके पढ़ता रहूँगा। आपको मेरी ओम-वाणी मेल कर दी है। पढ़ियेगा। धन्यवाद। जब भी आप चाहेंगे मुजरा करवा देंगे। मुजरे की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।

डॉ. ओम

virendra sharma said...
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