ग़ज़ल
बताऐं आप अब कैसा हुआ है
बड़ी मुश्किल से ये मतला हुआ है
मनाॐ तो उसे कैसे मनाॐ
वो ज़ालिम ख़ुद से ही रूठा हुआ है
अभी कंकर इधर मत फेंकियेगा
ये पानी झील का सोया हुआ है
सुनाऐं अब किसे रुदाद अपनी
ज़माना भर यहाँ बहरा हुआ है
नहीं हो जिस के मन पे मौत का डर
कहो! दुनिया में कौन ऐसा हुआ है
हुआ क्या-क्या नहीं ये पूछ मुझ से
मगर मत पूछ ‘कमसिन’ क्या हुआ है
बड़ी बातें बनाती है बड़ों-सी
अरी ‘कमसिन’ तुझे ये क्या हुआ है
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