Friends,
Today I welcome great Dr. Asha Mishra Upadhyay in our group. She is renowned Writer, Author and Columnist. She is Chief Sub Editor United News of India New Delhi, India. Presenting " Shaazaade Sa Shehar Tha" my debut poem collection to the honorable President of India (you can see her profile picture). She has published article on Flaxseed, chelation therapy for heart. She is preparing an article about Budwig Protocol to be published all over India.
चिकित्सीय गुणों से भरपूर ‘असली हीरा’ है अलसी
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नयी दिल्ली 05 जनवरी (वार्ता) चिकित्सकीय और सौंदर्यवर्धक गुणों से भरपूर अलसी कैंसर एवं अन्य घातक बीमारियों से लोहा लेने में ‘अव्वल’ रहने के कारण वैज्ञानिकों और वैद्यों की बराबरी से मनपंसद रही है। भारत, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका आदि देशों के वैज्ञानिक अपने शोधों से अलसी के असली गुणों को ‘निखार’ कर लोगों काे लाभान्वित कर रहे हैं। भारत में ‘दैविक’ भोजन के ‘पद्मविभूषण’ से अलंकृत अलसी सभी प्रकार के कैंसर, उच्च रक्तचाप , मधुमेह, गठिया, भूलने, दिल आदि बीमारियों में कारगर तो है ही, यह हमें चिर युवा बनाए रखने में भी मददगार है। अमेरिका के ड्यूक यूनीवर्सिटी के शोधकर्ताओं की प्रमुख वेंडी डेमार्क वह्वेनफ्राइड के अनुसार अलसी यानी फ्लेक्ससीड में मौजूद ‘ओमेगा थ्री फैटी एसिड’ और लिगनेन कोशिकाओं के अनियमित रूप से विकसित होने से रोकने में मददगार है। शोधकर्ताओं ने एक माह तक नियमित रूप से 30 ग्राम असली पाउडर को लो-फैट डाइट में मिलाकर दो समूह के लोगाें को दिया। इस दौरान कैंसर ट्यूमर को आश्चर्यजनक रूप से कम होते पाया गया। अमेरिका के ही लोवा स्टेट यूनीविर्सिटी में हाल ही में किये गये अध्ययन में अलसी को हाई कोलेस्ट्रॉल से लोहा लेने में कारगर पाया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार “अगर हम प्रतिदिन अपने भोजन में कुछ मात्रा में असली पाउडर को शामिल करते हैं तो दिल के लिए खतरनाक हाई कोलेस्ट्राॅल पर दवाओं के बिना ही नियंत्रण पाया जा सकता है।“
राजस्थान के कोटा के डॉ ओ पी वर्मा (एमआरएसएच, लंदन) ने यूनीवार्ता से आज विशेष बातचीत में कहा “अलसी तो हीरा है हीरा। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए धरती पर उत्तम वरदान है। इसमें 23 प्रतिशत ओमेगा-3 फैटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि पाए जाते हैं जो हमें स्वस्थ्य रखने में बेहद कारगर हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अलसी को रोस्ट (भूनकर) करके नहीं खाना चाहिए। आजकल बाजार में डिब्बाबंद रोस्टेड अलसी आ रही है और लोग इसका उपयोग करके उत्तम नतीजे की उम्मीद नहीं कर सकते। रोस्टेड अलसी में महत्वपूर्ण पोष्टिकता और ओमेगा थ्री फैटी एसिड नष्ट हो जाता है। डॉ वर्मा ने कहा “विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अलसी को ‘सुपर स्टार फूड’ के रूप में स्वीकार किया है, जबकि हमारे देश की स्थिति बिलकुल विपरीत है। पुराने लोग अलसी काे संभवत: भूल चुके हैं और युवाओं का ध्यान इसकी तरफ शायद ही गया हो।” लेकिन बेहद खुशी की बात है कि हाल के वर्षाें में अलसी पर हुए अध्ययन के महत्वपूर्ण नतीजों की वजह से भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों के भोजन में 15 ग्राम अलसी का पाउडर शामिल किया जाना आवश्यक किया गया है। वर्ष 2011 में अमेरिका में कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन द्वारा आयोजित कांफ्रेंस में डॉ एडिरा हचिन ने अपने शोधपत्र में कहा था कि प्रतिदन 15-25 ग्राम अलसी पाउडर का सेवन करने वाले लोग मधुमेह के खतरे से बच सकते हैं। उन्होंने कहा “अलसी ओमेगा थ्री फैटी एसिड परिवार का मुखिया अल्फा लिनोलेनिक एसिड का भरपूर स्रोत है जिसकी कमी से कोशिकाओं में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है और शरीर में जानलेवा कैंसर पैर पसारना शुरु कर देता है।“ अलसी को अतसी, उमा, क्षुमा, पार्वती, नीलपुष्पी, तीसी आदि नामों से भी जाना जाता है। प्राचीनकाल में नवरात्रि के पांचवे दिन अलसी की पूजा की जाती थी और इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता था। इससे वात, पित्त और कफ तीनों रोग दूर होते हैं। ओमेगा थ्री फैटी एसिड हमे विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचाता है। उन्होंने कहा कि ओमेगा थ्री फैटी एसिड की कमी से हमारी कोशिकाएं सूजने लगती हैं। ऐसे में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, अवसाद, गठिया, कैंसर आदि रोगों की चपेट में आने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अलसी शर्करा ही नियंत्रित नहीं रखती बल्कि मधुमेह के दुष्प्रभावों से भी बचाती है। इस में 27% रेशे और शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है। चूँकि ओमेगा-3 और प्रोटीन मांसपेशियों का विकास करते हैं अतः बॉडी बिल्डिंग के लिये भी नम्बर ‘वन सप्लीमेन्ट’ है अलसी।
डॉ वर्मा ने अलसी को दिल की बीमारियों में बेहद कारगर बताते हुए हल्के-फुल्के अंदाज में कहा “अगर हृदयरोग ‘जरासंध’ है तो अलसी ‘भीमसेन’ है।” उन्होंने कहा कि अलसी कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और हृदयगति को सही रखती है। इसके अलावा यह रक्त को पतला भी बनाये रखती है। उन्होंने कहा “अलसी को सही तरीके और सही मात्रा में लिया जाये तो यह किसी भी तरह की बीमारी के लिए “खतरनाक” है। यह रक्तवाहिकाओं को ‘स्वीपर’ की तरह साफ करती रहती है यानी हार्ट अटैक के कारणों पर अटैक करती है। सुपरस्टार अलसी एक फीलगुड फूड भी है क्योंकि अलसी के सेवन करने से मन प्रसन्न रहता है। झुंझलाहट या क्रोध नहीं आता और ‘पॉजिटिव एटिट्यूड’ बना रहता है। उन्होंने कहा किअलसी को दिमाग का सिम कार्ड कहा जा सकता है। सिम का मतलब सेरीन (शांति), इमेजिनेशन (कल्पनाशीलता) और मेमोरी (स्मरणशक्ति) है तथा कार्ड का मतलब कंसन्ट्रेशन (एकाग्रता) एवं क्रिएटिविटी (सृजनशीलता), अलर्टनेस (सतर्कता), रीडिंग-राइटिंग, थीकिंग एबिलिटी, शैक्षिक योग्यता एवं डिवाइज (दिव्य) है। अलसी के उपयोग से विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी होती है । इसमें मौजूद शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट ओमेगा-3 एवं लिगनेन त्वचा के कोलेजन की रक्षा करते हैं और त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग तथा गोरा बनाते हैं। अलसी सुरक्षित, स्थाई और उत्कृष्ट भोज्य सौंदर्य प्रसाधन है जो त्वचा में अंदर से निखार लाती है। त्वचा, केश और नाखून के हर रोग और मुहांसे, एग्ज़ीमा, दाद, खाज, खुजली, सूखी त्वचा, सोरायसिस,ल्यूपस, डैन्ड्रफ, बालों का पतला या दोमुंहा होना, बाल झड़ना आदि का उपचार करती है अलसी। इसे चिर यौवन का स्रोता भी कहा जाता है। कई बार देखा गया है कि उसके उपयोग से सफेद बाल काले होने लगे। इससे गिरते बाल तो थमते ही हैं साथ में यह नये बाल भी आने में भी मददगार है। किशोरावस्था में अलसी के सेवन करने से कद बढ़ता है। डाॅ़ वर्मा ने कहा कि धरती पर लिगनेन का सबसे बड़ा स्रोत अलसी ही है जो जीवाणुरोधी, विषाणुरोधी, फफूंदरोधी और कैंसररोधी है। अलसी शरीर की रक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करके संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। लिगनेन वनस्पति जगत में पाये जाने वाला एक अद्भुत पोषक तत्व है जो महिलाओं के ईस्ट्रोजन हार्मोन का वानस्पतिक प्रतिरूप है। यह रजस्वला, गर्भावस्था, प्रसव, मातृत्व और रजोनिवृत्ति में विभिन्न हार्मोन्स का समुचित संतुलन रखता है। लिगनेन मासिकधर्म को नियमित और संतुलित रखता है।पूरे भारत में प्रकाशित .... श्रीमती आशा उपाध्याय द्वारा
राजस्थान के कोटा के डॉ ओ पी वर्मा (एमआरएसएच, लंदन) ने यूनीवार्ता से आज विशेष बातचीत में कहा “अलसी तो हीरा है हीरा। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए धरती पर उत्तम वरदान है। इसमें 23 प्रतिशत ओमेगा-3 फैटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि पाए जाते हैं जो हमें स्वस्थ्य रखने में बेहद कारगर हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अलसी को रोस्ट (भूनकर) करके नहीं खाना चाहिए। आजकल बाजार में डिब्बाबंद रोस्टेड अलसी आ रही है और लोग इसका उपयोग करके उत्तम नतीजे की उम्मीद नहीं कर सकते। रोस्टेड अलसी में महत्वपूर्ण पोष्टिकता और ओमेगा थ्री फैटी एसिड नष्ट हो जाता है। डॉ वर्मा ने कहा “विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अलसी को ‘सुपर स्टार फूड’ के रूप में स्वीकार किया है, जबकि हमारे देश की स्थिति बिलकुल विपरीत है। पुराने लोग अलसी काे संभवत: भूल चुके हैं और युवाओं का ध्यान इसकी तरफ शायद ही गया हो।” लेकिन बेहद खुशी की बात है कि हाल के वर्षाें में अलसी पर हुए अध्ययन के महत्वपूर्ण नतीजों की वजह से भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों के भोजन में 15 ग्राम अलसी का पाउडर शामिल किया जाना आवश्यक किया गया है। वर्ष 2011 में अमेरिका में कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन द्वारा आयोजित कांफ्रेंस में डॉ एडिरा हचिन ने अपने शोधपत्र में कहा था कि प्रतिदन 15-25 ग्राम अलसी पाउडर का सेवन करने वाले लोग मधुमेह के खतरे से बच सकते हैं। उन्होंने कहा “अलसी ओमेगा थ्री फैटी एसिड परिवार का मुखिया अल्फा लिनोलेनिक एसिड का भरपूर स्रोत है जिसकी कमी से कोशिकाओं में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है और शरीर में जानलेवा कैंसर पैर पसारना शुरु कर देता है।“ अलसी को अतसी, उमा, क्षुमा, पार्वती, नीलपुष्पी, तीसी आदि नामों से भी जाना जाता है। प्राचीनकाल में नवरात्रि के पांचवे दिन अलसी की पूजा की जाती थी और इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता था। इससे वात, पित्त और कफ तीनों रोग दूर होते हैं। ओमेगा थ्री फैटी एसिड हमे विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचाता है। उन्होंने कहा कि ओमेगा थ्री फैटी एसिड की कमी से हमारी कोशिकाएं सूजने लगती हैं। ऐसे में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, अवसाद, गठिया, कैंसर आदि रोगों की चपेट में आने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अलसी शर्करा ही नियंत्रित नहीं रखती बल्कि मधुमेह के दुष्प्रभावों से भी बचाती है। इस में 27% रेशे और शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है। चूँकि ओमेगा-3 और प्रोटीन मांसपेशियों का विकास करते हैं अतः बॉडी बिल्डिंग के लिये भी नम्बर ‘वन सप्लीमेन्ट’ है अलसी।
डॉ वर्मा ने अलसी को दिल की बीमारियों में बेहद कारगर बताते हुए हल्के-फुल्के अंदाज में कहा “अगर हृदयरोग ‘जरासंध’ है तो अलसी ‘भीमसेन’ है।” उन्होंने कहा कि अलसी कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और हृदयगति को सही रखती है। इसके अलावा यह रक्त को पतला भी बनाये रखती है। उन्होंने कहा “अलसी को सही तरीके और सही मात्रा में लिया जाये तो यह किसी भी तरह की बीमारी के लिए “खतरनाक” है। यह रक्तवाहिकाओं को ‘स्वीपर’ की तरह साफ करती रहती है यानी हार्ट अटैक के कारणों पर अटैक करती है। सुपरस्टार अलसी एक फीलगुड फूड भी है क्योंकि अलसी के सेवन करने से मन प्रसन्न रहता है। झुंझलाहट या क्रोध नहीं आता और ‘पॉजिटिव एटिट्यूड’ बना रहता है। उन्होंने कहा किअलसी को दिमाग का सिम कार्ड कहा जा सकता है। सिम का मतलब सेरीन (शांति), इमेजिनेशन (कल्पनाशीलता) और मेमोरी (स्मरणशक्ति) है तथा कार्ड का मतलब कंसन्ट्रेशन (एकाग्रता) एवं क्रिएटिविटी (सृजनशीलता), अलर्टनेस (सतर्कता), रीडिंग-राइटिंग, थीकिंग एबिलिटी, शैक्षिक योग्यता एवं डिवाइज (दिव्य) है। अलसी के उपयोग से विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी होती है । इसमें मौजूद शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट ओमेगा-3 एवं लिगनेन त्वचा के कोलेजन की रक्षा करते हैं और त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग तथा गोरा बनाते हैं। अलसी सुरक्षित, स्थाई और उत्कृष्ट भोज्य सौंदर्य प्रसाधन है जो त्वचा में अंदर से निखार लाती है। त्वचा, केश और नाखून के हर रोग और मुहांसे, एग्ज़ीमा, दाद, खाज, खुजली, सूखी त्वचा, सोरायसिस,ल्यूपस, डैन्ड्रफ, बालों का पतला या दोमुंहा होना, बाल झड़ना आदि का उपचार करती है अलसी। इसे चिर यौवन का स्रोता भी कहा जाता है। कई बार देखा गया है कि उसके उपयोग से सफेद बाल काले होने लगे। इससे गिरते बाल तो थमते ही हैं साथ में यह नये बाल भी आने में भी मददगार है। किशोरावस्था में अलसी के सेवन करने से कद बढ़ता है। डाॅ़ वर्मा ने कहा कि धरती पर लिगनेन का सबसे बड़ा स्रोत अलसी ही है जो जीवाणुरोधी, विषाणुरोधी, फफूंदरोधी और कैंसररोधी है। अलसी शरीर की रक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करके संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। लिगनेन वनस्पति जगत में पाये जाने वाला एक अद्भुत पोषक तत्व है जो महिलाओं के ईस्ट्रोजन हार्मोन का वानस्पतिक प्रतिरूप है। यह रजस्वला, गर्भावस्था, प्रसव, मातृत्व और रजोनिवृत्ति में विभिन्न हार्मोन्स का समुचित संतुलन रखता है। लिगनेन मासिकधर्म को नियमित और संतुलित रखता है।पूरे भारत में प्रकाशित .... श्रीमती आशा उपाध्याय द्वारा
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