Date: Sep 04, 2010
लुधियाना/जालंधर-(प,प)
देश में हर एक मिनट के भीतर पांच लोगों की जान लेने वाली दिल की बीमारी का खतरा कम किया जा सकता है। 60 फीसदी मामलों में जानलेवा साबित होने वाली कार्डियोवस्कुलर हार्ट डिसीज (सीवीडी) को अलसी के बीजों का नियमित प्रयोग से नियंत्रित करना संभव है। इससे बुरा कोलेस्ट्रॉल तो कम होता ही है, अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। ब्लड प्रेशर नियमित रहता है और मोटापा भी कम होता है। अलसी के बीजों में एल्फा लीनोलनिक एसिड और सॉल्यूबल फाइबर्स होते हैं जो दिल के लिए फायदेमंद हैं।
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के फूड एंड न्यूट्रीशियन विभाग का सर्वे बताता है कि दो महीने तक इसके प्रयोग से कोलेस्ट्रॉल, ब्लड लिपिड प्रोफाइल, ब्लड प्रेशर आदि पर सकारात्मक प्रभाव नजर आए। 15 हजार से एक लाख रुपये प्रति माह आय वाले 40 से 60 साल के तीन विभिन्न ग्रुप पर डा. राजबीर सचदेवा की गाइडेंस में रुची गुप्ता ने अध्ययन किया है।
एक ग्रुप को पांच ग्राम और दूसरे को दस ग्राम अलसी के बीज पाउडर रूप में दिए गए। इन्हें यह दूध, दाल या रोटी में डाल कर या एच्छिक तरीके से खाना था। तीसरे ग्रुप को अलसी नहीं दी गई। नतीजे बताते हैं कि अलसी का प्रयोग करने वाले ग्रुप में बुरे कोलस्ट्रोल लगभग पांच फीसदी तक कम हुए। उनका भार दो से सवा दो किलो तक कम हुआ और बीएमआई में भी कमी आई।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2008 में दुनिया में हुई मौतो में सबसे अधिक सीवीडी से हुईं। एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 2015 तक पंजाब में मौत का सबसे बड़ा कारण सीवीडी होगी। वर्ष 2030 तक भारत में होने वाली एक तिहाई मौत भी इसी वजह से होंगी।
दयानंद मेडीकल कॉलेज में माहिर डा. जीएस वांडर बताते हैं कि सीवीडी एक आम बीमारी है। दिल की धमनियो में फैट जमा होने को सीवीडी कहते हैं। इसे रोकने के लिए पूरे लाइफस्टाइल को बदलना जरूरी है। इसकी वजह से एंजायना पेन, दिल का दौरा पड़ना और अचानक मौत भी हो सकती है।
देश में हर एक मिनट के भीतर पांच लोगों की जान लेने वाली दिल की बीमारी का खतरा कम किया जा सकता है। 60 फीसदी मामलों में जानलेवा साबित होने वाली कार्डियोवस्कुलर हार्ट डिसीज (सीवीडी) को अलसी के बीजों का नियमित प्रयोग से नियंत्रित करना संभव है। इससे बुरा कोलेस्ट्रॉल तो कम होता ही है, अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। ब्लड प्रेशर नियमित रहता है और मोटापा भी कम होता है। अलसी के बीजों में एल्फा लीनोलनिक एसिड और सॉल्यूबल फाइबर्स होते हैं जो दिल के लिए फायदेमंद हैं।
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के फूड एंड न्यूट्रीशियन विभाग का सर्वे बताता है कि दो महीने तक इसके प्रयोग से कोलेस्ट्रॉल, ब्लड लिपिड प्रोफाइल, ब्लड प्रेशर आदि पर सकारात्मक प्रभाव नजर आए। 15 हजार से एक लाख रुपये प्रति माह आय वाले 40 से 60 साल के तीन विभिन्न ग्रुप पर डा. राजबीर सचदेवा की गाइडेंस में रुची गुप्ता ने अध्ययन किया है।
एक ग्रुप को पांच ग्राम और दूसरे को दस ग्राम अलसी के बीज पाउडर रूप में दिए गए। इन्हें यह दूध, दाल या रोटी में डाल कर या एच्छिक तरीके से खाना था। तीसरे ग्रुप को अलसी नहीं दी गई। नतीजे बताते हैं कि अलसी का प्रयोग करने वाले ग्रुप में बुरे कोलस्ट्रोल लगभग पांच फीसदी तक कम हुए। उनका भार दो से सवा दो किलो तक कम हुआ और बीएमआई में भी कमी आई।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2008 में दुनिया में हुई मौतो में सबसे अधिक सीवीडी से हुईं। एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 2015 तक पंजाब में मौत का सबसे बड़ा कारण सीवीडी होगी। वर्ष 2030 तक भारत में होने वाली एक तिहाई मौत भी इसी वजह से होंगी।
दयानंद मेडीकल कॉलेज में माहिर डा. जीएस वांडर बताते हैं कि सीवीडी एक आम बीमारी है। दिल की धमनियो में फैट जमा होने को सीवीडी कहते हैं। इसे रोकने के लिए पूरे लाइफस्टाइल को बदलना जरूरी है। इसकी वजह से एंजायना पेन, दिल का दौरा पड़ना और अचानक मौत भी हो सकती है।
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