इन कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए श्री कान्ति जैन, श्री सोम चौधरी, श्री लक्ष्मीनारायण यादव (भूतपूर्व शिक्षा मंत्री), योगाचार्य विष्णु दत्त आर्य, श्री डॉ. कुरवंशी, श्रीमती शशि सर्राफ, , श्रीमती मंजुला ठाकुर, श्रीमती मृदुला ठाकुर, श्रीमती मनीला ठाकुर, श्री प्रदीप लाड़ीवाल, श्रीमती निशा लाड़ीवाल, श्री प्रेम नारायण सिसोदिया, श्रीमती आशा उदयवाल, श्री दीपेश जैन, श्रीमती साक्षी जैन, श्रीमती अर्पणा जैन, आशिका, निदिता, आदि और प्रखर ने पांच दिनो तक खूब प्रयास किये। मैं सभी को धन्यवाद देता हूँ। श्री बृजवासी भाई ने सतना से आकर अलसी के अपने अनुभव साझा किये। श्रीमती जागृति सिप्पी ने दर्शकों के सामने अलसी पीसी, उसमें आटा मिला कर गूंथा और अलसी की रोटी बनाई। उन्होनें अलसी का नीलमधु भी बना कर सबको खिलाया। श्रीमती ऊषा वर्मा अल्पाहार के लिए अलसी के सेव बना कर लाई। कृषि उद्यान में हमने सुन्दर-सुन्दर लाल फूलों वाली अलसी की ऑर्नामेंटल प्रजाति समेत कई किस्म के अलसी के पौधों का अवलोकन किया। हमें तो इसे देख कर जानवर का वो गीत याद आ गया। लाल छड़ी मैदान खड़ी क्या खूब लड़ी क्या खूब लड़ी हम दिल से गये हम जां से गये....
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मैं गेहूं हूँ
लेखक डॉ. ओ.पी.वर्मा मैं किसी पहचान का नहीं हूं मोहताज मेरा नाम गेहूँ है, मैं भोजन का हूँ सरताज अडानी, अंबानी को रखता हूँ मुट्ठी में टा...
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Nigella sativa or Black Seed is an annual flowering plant, native to southwest Asia, eastern coastal countries of Mediterrane...
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आधुनिक युग में हमारी जीवनशैली और आहारशैली में आये बदलाव और भोजन में ओमेगा-3 की भारी कमी आने के कारण पुरुषों में स्तंभनदोष या इर...
1 comment:
ये सुन्दर-सुन्दर लाल फूलों वाली अलसी की ऑर्नामेंटल प्रजाति है। हमें तो इसे देख कर जानवर का वो गीत याद आ गया। लाल छड़ी मैदान खड़ी क्या खूब लड़ी क्या खूब लड़ी हम दिल से गये हम जां से गये....
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