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मैं गेहूं हूँ
लेखक डॉ. ओ.पी.वर्मा मैं किसी पहचान का नहीं हूं मोहताज मेरा नाम गेहूँ है, मैं भोजन का हूँ सरताज अडानी, अंबानी को रखता हूँ मुट्ठी में टा...
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आधुनिक युग में हमारी जीवनशैली और आहारशैली में आये बदलाव और भोजन में ओमेगा-3 की भारी कमी आने के कारण पुरुषों में स्तंभनदोष या इर...
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Nigella sativa or Black Seed is an annual flowering plant, native to southwest Asia, eastern coastal countries of Mediterrane...
1 comment:
अलसी मैया की अमित पर हुई कृपा और किया खूब लाड़
कन्या दी सुन्दर सी साथ में दहेज भी मिला छप्पर फाड़
जी हां अलसी मैया जब भी आशीर्वाद देती है दिल खोल कर देती है और अपने सारे खजाने भक्तों के लिए खोल देती है। अमित एक बहुत मामूली परिवार का लड़का है और बी.एससी. करने के बाद जयपुर में एक नौकरी करने लगा। उसी ऑफिस में सुन्दर सी अमीर घराने की एक लड़की भी काम करती थी। दोनों में प्यार हो गया और दोनों परिवारों में उनकी शादी की खुसर-फुसर होने लगी। लेकिन तभी अमित को अहसास हुआ कि वह तो स्तंभनदोष और शीघ्रस्खलन का शिकार है। मासूम अमित ने अपनी मां को खुल कर बोल दिया कि वह शादी के योग्य नहीं है इसलिए यह विवाह नहीं हो सकता है। मां पर तो मानो पहाड़ टूट पड़ा। वह मुझे जानती थी इसलिए मपझे फोन करके सारी बात बतलाई। मैंने उसे सांत्वना दी और अलसी खाने को कहा। डेढ़ महीने बाद अमित मेरी क्लिनिक पर आया। मैं उसे देख कर हैरान था। उसके हावभाव में गजब का आत्मविश्वास था और देखने में सलमान खान जैसा लग रहा था। वह मुझे शादी का कार्ड देकर बोला कि अंकल 4 दिसंबर की शादी आप जरूर आना। उसने बतलाया कि अलसी मैया ने उसकी सारे रोग दूर कर दिये हैं और अब उसके परिवार और ससुराल के सभी लोग नियमित अलसी खाने लगे हैं। उसका इतना आग्रह था, मुझे शादी में जाना ही पड़ा। मैं भी बबहुत खुश था कि अलसी मैया ने उसे सुन्दर कन्या का तोहफा दिया और साथ बिन मांगे दहेज (एक करोड़ से ज्यादा) भी छप्पर फाड़ कर दिया।
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