Friday, October 7, 2011

Alsi Geet

                                            अलसी गीत

महका जीवन  चहका यौवन 
धीरे से तेरा ये मुस्काना
गोरा चेहरा   रेशम सी लट
का राज तेरा अलसी खाना.........
तुझे क्रोध  नहीं आलस्य नहीं
तू नारी आज्ञाकारी है
छल कपट नहीं मद लोभ नहीं
तू सबकी बनी दुलारी है
जैसी सूरत वैसी सीरत
तुझे ममता की मूरत माना........
तू बुद्धिमान तू तेजस्वी
शिक्षा में सबसे आगे है
प्रतिभाशाली तू मेघावी
प्रज्ञा तू बड़ी सयानी है
नीले फूलों की मलिका तू
तुझे सब चाहें जग में पाना.......
चन्दन सा बदन चंचल चितवन
धीरे से तेरा ये मुस्काना
गोरा चेहरा   रेशम सी लट
का राज तेरा अलसी खाना......

2 comments:

Shri Sitaram Rasoi said...

आज बसंत की रात,
गमन की बात न करना!

धूप बिछाए फूल-बिछौना,
बगिय़ा पहने चांदी-सोना,
कलियां फेंके जादू-टोना,
महक उठे सब पात,
हवन की बात न करना!
आज बसंत की रात,
गमन की बात न करना!

बौराई अंबवा की डाली,
गदराई गेहूं की बाली,
सरसों खड़ी बजाए ताली,
झूम रहे जल-पात,
शयन की बात न करना!
आज बसंत की रात,
गमन की बात न करना।

खिड़की खोल चंद्रमा झांके,
चुनरी खींच सितारे टांके,
मन करूं तो शोर मचाके,
कोयलिया अनखात,
गहन की बात न करना!
आज बसंत की रात,
गमन की बात न करना।

नींदिया बैरिन सुधि बिसराई,
सेज निगोड़ी करे ढिठाई,
तान मारे सौत जुन्हाई,
रह-रह प्राण पिरात,
चुभव की बात न करना!
आज बसंत की रात,
गमन की बात न करना।

यह पीली चूनर, यह चादर,
यह सुंदर छवि, यह रस-गागर,
जनम-मरण की यह रज-कांवर,
सब भू की सौगा़त,
गगन की बात न करना!
आज बसंत की रात,
गमन की बात न करना।



Shri Sitaram Rasoi said...

मेरी सादादिली नहीं जाती
उस की दीवानगी नहीं जाती
वो समझ जाए तो ग़नीमत है
बात दिल की कही नहीं जाती
ख्व़ाहिशें मेरी कम नहीं होती
उन की दर्यादिली नहीं जाती
दोस्ती उम्र भर नहीं रहती
उम्र भर दुश्मनी नहीं जाती
मैं यूँ ख़ामोश रह गई उन से
बात कड़वी सुनी नहीं जाती
“कमसिन” उन के सितम नहीं रुकते
अपनी भी ख़ुदसरी नहीं जाती

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