अलसी गीत
महका जीवन चहका यौवन
नयनों से प्रेम रस छलकाना
गोरा चेहरा रेशम सी लट
का राज तेरा अलसी खाना..
तुझे क्रोध नहीं आलस्य नहीं
तू नारी आज्ञाकारी है
छल कपट नहीं मद लोभ नहीं
तू सबकी बनी दुलारी है
जैसी सूरत वैसी सीरत
तुझे ममता की मूरत माना..
तू बुद्धिमान तू तेजस्वी
शिक्षा में सबसे आगे है
प्रतिभाशाली तू मेघावी
प्रज्ञा तू बड़ी सयानी है
नीले फूलों की मलिका तू
तुझे सब चाहें जग में पाना..
महका जीवन चहका यौवन
नयनों से प्रेम रस छलकाना
गोरा चेहरा रेशम सी लट
का राज तेरा अलसी खाना..
(यह गीत चंदन साबदन चंचल चितवन.. धुन पर है)
5 comments:
न दिल में कोई ग़म रहे न मेरी आँख नम रहे
हर एक दर्द को मिटा शराब ला शराब दे
बहुत हसीन रात है तेरा हसीन साथ है
नशे में कुछ नशा मिला शराब ला शराब दे
दीपक तो जलता यहाँ सिर्फ एक ही बार
दिल लेकिन वो चीज़ है जले हज़ारों बार
काग़ज़ की एक नाव पर मैं हूँ आज सवार
और इसी से है मुझे करना सागर पार
दो गुलाब के फूल छू गए जब से होठ अपावन मेरे
ऐसी गंध बसी है मन में सारा जग मधुबन लगता है।
रोम-रोम में खिले चमेली साँस-साँस में महके बेला,
पोर-पोर से झरे मालती अँग-अँग जुड़े जुही का मेला
पग-पग लहरे मानसरोवर, डगर-डगर छाया कदम्ब की
तुम जब से मिल गए उमर का खँडहर राजभवन लगता है।
नीरज
लूट लिया माली ने उपवन, लुटी न लेकिन गंध फूल की,
तूफ़ानों तक ने छेड़ा पर, खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफ़रत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है!
नीरज
मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है, जिया ना जिया, है एक सांस का झगड़ा, लिया ना लिया ॥
मेरे ही नाम पे आया है जाम महफ़िल मे, ये और बात के मैने, पिया ना पिया ॥
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