Wednesday, July 20, 2011

Indian Goose Berry cures 16 ailments

एक योग मिटाए सोलह रोग






आँवला (myrobalan emblic) और शहद (honey) का ऐसा अदभुत संयोग है कि इससे सोलह प्रकार के रोगों में आराम मिलता है। यहाँ हम उनका उल्लेख कर रहे हैं। अगर इसके सेवन से आपको अन्य रोगों में भी लाभ हो तो कृपया बताएं ताकि इसमें और उन्हें भी जोड़ा जा सके।


एसिडिटीः चौथाई कप कच्चे आँवले का रस और इसमें इतना ही शहद मिला कर नित्य सेवन करने से एसिडिटी(अम्लपित्त) में लाभ होता है। यह प्रयोग शाम के समय करें तो अच्छा।


एनिमियाः चौथाई कप आँवले के रस में दो चम्मच शहद मिला कर थोड़ा पानी डालें, इस घोल का नित्य सेवन करने से खून की कमीं दूर होती है।


एल्ब्यूमिनेरियाः दो चम्मच आँवले का रस और दो चम्मच शहद मिला कर नित्य लेने से पेशाब में धातु अर्थात एल्ब्यूमेन जाना बंद हो जाता है।


पेशाब में जलनः पचास ग्राम ताजे आँवले के रस में इतना ही शहद मिला कर थोड़ा पानी मिला कर प्रतिदिन सेवन करने से पेशाब खुल कर आता है और जलन दूर होती है।


यूरिन इंफेक्शनः चार चम्मच आँवले का रस, दो चम्मच शहद और एक चम्मच पीसी हल्दी का मिश्रण कुछ समय तक रोज लेने से पेशाब में मवाद जाना बंद हो जाता है।


कफ और कोल्डः सर्दी जुकाम में भी आँवले का रस और शहद का योग बड़ा कारगर होता है। एक चम्मच आँवला चूर्ण एक चम्मच शहद के साथ मिला कर कुछ दिन तक नित्य सेवन करने से चमत्कारिक लाभ मिलता है।


इजी बर्थः दो चम्मच आँवला चूर्ण दो कप पानी में तब तक उबालें जब तक एक कप पानी जल न जाए। ठंडा होने पर इसे छान कर दो चम्मच शहद मिला कर गर्भवती महिलाओं को नित्य दें। इससे प्रसव सहज और बिना अधिक दर्द के हो जाता है।


जोड़ों का दर्दः जोड़ों में दर्द हो तो तीन चम्मच आँवला रस दो चम्मच शहद के साथ प्रतिदिन खाली पेट प्रातः लेने से जोड़-जोड़ बेजोड़ हो जाते हैं।


पेट के रोगः एक चम्मच आँवला चूर्ण प्रतिदिन सोते समय शहद के साथ लेने से पेट के अनेक रोगों में लाभ होता है।


ल्यूकोरियाः महिलाओं के श्वेत प्रदर में भी यह योग अत्यंत लाभ करता है। तीन ग्राम पीसा आँवला ६ ग्राम शहद मिला कर नित्य सेवन से यह रोग दूर होता है।


डिसेन्ट्री या पेचिशः एक चम्मच पीसा आँवला इतने ही शहद के साथ नित्य दिन में तीन बार सेवन करने से इस रोग में लाभ होता है।


वर्म्स या कृमिः अगर पेट में कृमि हो तो एक औंस ताजे आँवले के रस में दो चम्मच शहद मिला कर नित्य दो बार दें। पेट के कृमि नष्ट हो जाते हैं।


रिजनरेशन अर्थात कायाकल्पः नित्य प्रातः ताजे आँवले का रस पाँच चम्मच और शहद तीन चम्मच मिला कर दो महीने तक नियमित खाली पेट लें। एक घंटे तक कुछ न खाएं तो शरीर का कायाकल्प हो जाता है।


तंदुरुस्तीः पीसा आँवला एक चम्मच, दो चम्मच शहद के साथ लें। उपर से गो दुग्ध लें तो सदा स्वास्थ्य अच्छा रहता है।


फलों से स्वागत करें


इस बार दीपावली पर मिलने वालों का फलों से स्वागत करें तो कैसा रहे? बाजार में मिलावटी सामान मिल रहा है। रोज छापे पड़ रहे हैं और नकली मावा, घी और मिलावटी खाद्य सामग्री पकड़ी जा रही है। ऐसी चीजें खाने और खिलाने से क्या फायदा, जो हमारी और हमारे शुभचिंतकों की भी सेहत बिगाड़े। मनुष्य बड़ा स्वार्थी होता है, वह ज्यादा कमाई के चक्कर में मिलावटखोरी से बाज नहीं आता। आजकल के जटिल जीवन में हम, हर चीज घर पर बना लें यह संभव भी नहीं है। लेकिन कुदरत कभी मिलावट नहीं करती। वह हमें ताजे और शुद्ध रसीले तरह-तरह के फल व मेवे देती है। इन दिनों सेवफल, सीताफल, सिंघाड़ा, पपीता, केला, अमरूद, नारंगी, मौसम्बी की बहार आई है। क्या ये किसी मिठाई से कम हैं। खजूर, अखरोट, बादाम, काजू, किसमिस सड़े-गले सिंथेटिक्स मावे के मिष्ठान से क्या कम हैं? फिर हम क्यों इन मिठाइयों और नमकीन के पीछे भागते हैं, जो हमें रक्तचाप, हृदयरोग, मधुमेह, कैंसर, टीबी जैसे घातक रोगों की ओर धकलते हैं। तो क्यों न इसबार कुदरती मेवे-मिष्ठान(फल) खाएं व खिलाएँ।


श्री सुरेश ताम्रकर


सात सहेलियां बालों की

 
बाल गिरने की समस्या इन दिनो आम है। इस वजह से लोग असमय गंजे हों रहे है। होंमियोंपैथी में एक फार्मूला है, जिसे मैंने और मेंरे गुरुदेव डाक्टर वासुदेव शर्मा ने आजमाया है और अच्छे नतीजे मिले. जनहित में पेश करता हूँ आप भी इस समस्या से ग्रस्त हों तो आजमा सकते है। दवाओ के नाम ह। veretrum alb, acid mur, pulsatilla, anacardium, baryta carb, zincum met और sulphur। ये सभी दवाए 30 शक्ति की ले। सभी समान मात्रा में होंनी चाहिए.दवा विक्रेता से गोलिया बनवाकर ले आइये। पहले सप्ताह चार चार गोलिया रोज दिन में एक बार ले। फिर हफ्ते में एक बार ले। लाभ होंने पर दवा बंद कर दे।

सहायक उपचार: दोनो हाथों की उगलियो के नाखूनो को रोज दो मिनट आपस में जोर देकर घिसिए।
अगर रुसी हों तो बालो की जड़ में ग्लिसरीन और गुलाब जल एक तीन के अनुपात में मिला कर मले।
बालो में किसी हर्बल शेम्पू का प्रयोंग ही करे।
अलसी के नियमित सेवन से भी बाल घने, काले और मुलायम होते हैं।

होंमियोंपैथी में दवा का असर दिखाई देने पर दवा बंद कर दी जाती है। फिर नेचर अपना काम करने लगती है। कुछ समय बाद अगर जरुरत महसूस हों तो फिर से उसी तरह दवा ली जा सकती है।

श्री सुरेश ताम्रकर


15-8-10 को श्री सुरेश ताम्रकर  उवाच  
 
आलस त्यागो अलसी खाओ, तन मन को तंदुरुस्त बनाओ
आजादी का यही सन्देश है,    देश की सेवा में जुट जाओ.




लारा दत्ता और अलसी का ॐ खंड




अलसी की महिमा फैलती ही जा रही है। बालीवुड कलाकार ऋतिक रोशन के अलसी सेवन की बात सुनी थी, अब लारा दत्ता भी अलसी लेने लगी है। हाल ही उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि वह अलसी के तेल युक्त ॐ खंड लेती है। अलसी के तेल की लस्सी बेहद पौष्टिक होती है। अलसी के तेल में ओमेगा ३ होता है, जो शरीर में नई कोशिकाओ के निर्माण में सहायक है। हम यहाँ ॐ खंड बनाने की विधि बताते हैं। आप भी सेवन कर सकते हैं। एक कप ताजे दही में एक चम्मच अलसी का तेल मिला कर उसे हैण्ड ब्लैंडर से फेटें। तेल चंद मिनट में ही दही में मिल कर एकाकार हो जाता है। इसे थोडा पानी मिला कर पतला कर सकते हैं। स्वाद के लिए पिसा जीरा और काला नमक मिलाया जा सकता है। अलसी का तेल दही के सल्फर प्रोटीन के साथ क्रिया कर तेल को पानी में घुलनशील बना देता है। यह सीधे रक्त में मिल कर कोशिकाओं को उर्जा देता है। उनके नवसृजन में सहायक होता है।

सावधानी-अलसी का तेल कच्ची घानी का होना चाहिए। अधिक पुराना न हो, इसे फ्रीज में रखना चाहिए, ज्यादा तापमान से यह ख़राब होने लगता है। 

श्री सुरेश ताम्रकर सा. 
ब्लॉग: यदाकदा

अलसी का चमत्कार (miracle of linseed)


अलसी एक चमत्कारी आहार है। इसके नियमित सेवन से कई प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है। अलसी में ओमेगा३ पाया जाता है। यह हमें कई रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। ओमेगा३ शरीर के अंदर नहीं बनता इसे भोजन द्वारा ही ग्रहण किया जा सकता है। शाकाहारियों के लिए अलसी से अच्छा इसका कोई और स्रोत नहीं है। माँसाहारियों को तो यह तत्व मछली से मिल जाता है। अगर आप स्वयं को निरोग और तंदुरुस्त रखना चाहते हैं, तो रोज कम से कम एक दो चम्मच अलसी को अपने आहार का अंग बनाइये। अलसी टीबी, कैंसर, हृदयरोग, मधुमेह, उच्चरक्तचाप, कब्ज, बवासीर, जोड़ों का दर्द, एग्जिमा, ब्रिटल नेल एण्ड ब्रिटल हेयर जैसे नाना प्रकार के रोगों से आपको बचा सकती है। यह शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाती है और खराब कोलेस्ट्रोल को कम करती है। धमनियों में जमे कोलेस्ट्रोल को साफ करती है। पेट की सफाई करती है। अर्थात यह प्रकृति का सफाई आहार है।


कैसे सेवन करे: अलसी को साफ कर हल्की आँच पर थोड़ा भून लें। इसमें थोड़ी सौंफ और अजवाइन मिला लें। चाहें तो काला नमक और नींबू का सत भी स्वाद के लिए डाला जा सकता है। इसे मुख शुद्धि के रूप में भोजन के बाद सुबह शाम और दोपहर में एक-एक चम्मच ले सकते हैं।
-या फिर सींकी हुई अलसी को मिक्सर में हल्का पीस कर आटे में मिला कर उसकी रोटी बनाइए और खाइए। या पीसी अलसी को सब्जी अथवा दाल में डाल कर भी खाया जा सकता है।
-विभिन्न प्रकार की चटनियों के साथ इसे मिला कर भी लिया जा सकता है।
अलसी के बारे में ज्यादा जानकारी आपको http://flaxindia.blogspot.com पर मिल सकती है। कोटा राजस्थान के डा.ओपी वर्मा ने इस पर काफी रिसर्च किया है। उन्होंने फ्लेक्स अवेअरनेस सोसायटी बनाई है। चाहें तो आप भी उसके सदस्य बन कर अलसी अपनाने वाले क्लब में शामिल हो सकते हैं।
अगर आप पहले से अलसी का प्रयोग कर रहे हों तो अपने अनुभव शेयर कीजिए। या अब शुरू करने पर कुछ समय बाद बताइये कि आपको कैसे और क्या लाभ नजर आए।
्रांतिः कुछ लोगों के मन में यह भ्रांति है कि अलसी की प्रकृति गर्म होती है। अतः ग्रीष्मकाल में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। मैंने यह जिज्ञासा डा.ओपी वर्माजी के समक्ष रखी तो उनका जवाब था कि अलसी गर्म नहीं होती इसे किसी भी मौसम में लेने में कोई हर्ज नहीं है। कुछ लोगों को शुरूआत में पतले दस्त होने लगते हैं लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। बाद में अपने आप सब ठीक हो जाता है।
अलसी के अन्य फायदे
•ऊर्जा, स्फूर्ति व जीवटता प्रदान करती है।
•तनाव के क्षणों में शांत व स्थिर बनाए रखने में सहायक है।
•कैंसररोधी हार्मोन्स की सक्रियता बढ़ाती है।
•जोड़ों का कड़ापन कम करती है।
•प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रखती है।
•हृदय संबंधी रोगों के खतरे को कम करती है।
•उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करती है।
•त्वचा को स्वस्थ रखती है एवं सूखापन दूर कर एग्जिमा, खुजली, मुंहासे, सोराइसिस आदि से बचाती है।
•बालों व नाखून की वृद्धि कर उन्हें स्वस्थ व चमकदार बनाती है।
•इसका नियमित सेवन रजोनिवृत्ति संबंधी परेशानियों में राहत देता है।
•मासिक धर्म के दौरान ऐंठन को कम कर गर्भाशय को स्वस्थ रखती है।
•अलसी का सेवन त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करता है।
•इसके रेशे पाचन को सुगम बनाते हैं, इस कारण वजन नियंत्रण करने में अलसी सहायक है।
•चयापचय की दर को बढ़ाती है एवं यकृत को स्वस्थ रखती है।



श्री सुरेश ताम्रकर सा.
ब्लॉग: यदाकदा



श्री सुरेश ताम्रकर, वरिष्ट पत्रकार, नई दुनिया, इन्दौर द्वारा भेजा हुआ ई-पत्र



अलसी की महिमा सचमुच गज़ब है। मेरे एक सहयोगी की पत्नी मधुमेह से पीड़ित है, उसकी रक्त शर्करा 300 से ऊपर चली गई थी। मैंने उसे अलसी लेने की सलाह दी और एक सप्ताह में ही उसकी रक्त शर्करा घटकर 165 आ गई। इन्दौर में मेडीकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. भंडारी का युवा भतीजा डिप्रेशन और उच्च रक्त चाप से पीड़ित था उसे भी मैंने अलसी लेने की सलाह दी। और उसका बी.पी. सामान्य हो गया उसका आत्मविश्वास भी बढ़ गया। जय हो अलसी, जय हो डॉ.वर्मा जी की।

सुरेश ताम्रकर,
वरिष्ट पत्रकार, नई दुनिया, इन्दौर।

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