कहीं आपके होठों की लाली सचमुच कातिलाना तो नहीं
नारी की सुन्दरता का मुख्य केन्द्र सुडौल, रसीले और गुलाबी होठ माने जाते हैं। होठों की मांस-पेशियों के संकुचन की तरतीब में सूक्ष्म सा परिवर्तन इनके भावों को बदल देता है। कभी इनमें ममता और वात्सल्य का भाव छलकता है तो कभी नफरत और ईर्ष्या टपकती है, कभी ये मादक और कामुक लगते हैं तो कभी इनसे दया और करुणा छलकती है, कभी ये गर्व से तन जाते हैं तो कभी तनाव व अवसाद में झुक जाते हैं और कभी ये बड़े-बड़े रहस्य छुपा जाते हैं तो कभी-कभी बिना कुछ कहे ही पल भर में कोई महाकाव्य रच जाते हैं। हमारे कवियों और शायरों ने सुन्दर होठों की प्रशंसा में बहुत कवितायें और गीत लिखे हैं जैसे छू लेने दो नाजुक होठों को..., होठों से छूलो तुम मेरा गीत अमर कर दो..., होठों पे ऐसी बात मैं दबा के चली आई..., होठ रसीले तेरे होठ रसीले ..., होठों पे सचाई रहती है... वगैरह वगैरह। यहाँ तक कि ममता और प्रेम की सबसे अच्छी अभिव्यक्ति चुम्बन बिना होठों के कहाँ संभव है। सुन्दर दिखना हर युवती की चाहत होती है, वह चाहती है कि वह जिस जगह भी जाए, वहां मौजूद लोग उसी के ओर देंखे। इसके लिए वह तरह-तरह के सौन्दर्य प्रसाधनों का प्रयोग भी करती है।
संस्थाओं ने करवाई जाँच तब सामने आई साँच
प्राचीनकाल से ही होठों में कृत्रिम और अतिरिक्त सुन्दरता लाने के लिए इन पर लाली लगाने का प्रचलन चला आ रहा है। पहले प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता था, लेकिन बाद में बनी-बनाई लिपस्टिक, लिप-ग्लॉस, लिप-पैंसिल आदि का प्रयोग बढ़ता गया। आजकल लिपिस्टिक सबसे ज्यादा प्रयोग में लिया जाने वाला सौदर्य-प्रसाधन है। हर स्त्री के पर्स में और कुछ मिले या न मिले लिपिस्टिक जरूर मिलेगी। घर से बाहर निकलने के पहले स्त्रियाँ होठों पर लिपिस्टिक जरूर लगाती हैं। लेकिन क्या आपकी लिपिस्टिक पूर्णतया सुरक्षित है, कहीं आपके होठों की लाली सचमुच कातिलाना तो नहीं, कहीं आपकी लिपिस्टिक में सीसा या लेड तो नहीं है।
यह मालूम करने के लिए 2007 में अमेरिका की केम्पेन फॉर सेफ कोस्मेटिक संस्था ने 33 विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियों की लिपिस्टिक्स की एक निष्पक्ष प्रयोगशाला में जाँच करवाई। नतीजे सचमुच चौंकाने वाले थे। लगभग सभी कम्पनियों की लिपिस्टिक्स में काफी लेड पाया गया, जिनमें प्रमुख थी लॉरियल, कवरगर्ल (प्रोक्टर एण्ड गेम्बल) और 24 डालर की डायोर-एडिक्ट। एफ.डी.ए. ने आश्वासन दिया था कि वह अपनी अलग जाँच करवायेगी, पर उसने जल्दी ही अपने हाथ खींच लिए।
दो वर्ष तक उपभोक्ता और यू.एस. सेनेटर्स एफ.डी.ए. पर दबाव बनाते रहे तब जाकर एफ.डी.ए. ने 2009 में जाँच करवाई और अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की। इनके भी सभी नमूनों में भारी मात्रा में लेड पाया गया। लेकिन अभी तक एफ.डी.ए. ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैं। एफ.डी.ए. ने अभी तक लिपिस्टिक में लेड की मात्रा को लेकर कोई मानक नहीं बनाये हैं, न ही निर्माताओं को अपने उत्पादों पर लेड की मात्रा लिखने के संबन्ध में कोई नियम हैं और इन घातक रसायनों की जाँच करने के भी कोई नियम नहीं बने हैं।
अहमदाबाद की कंज्यूमर एजुकेशन एण्ड रिसर्च सोसाइटी ने भी भारत में लिपिस्टिक्स बनाने वाली 19 कंपनियों की 43 ब्राँड्स की जाँच करवाई और सभी में लेड पाया गया। 10 रुपये की लिपस्टिक में 2 से 17 पी.पी.एम. और 100 रुपये से ज्यादा की लिपस्टिक में 11 से 23 पी.पी.एम. लेड पाया गया। सबसे ज्यादा लेड आइवोवी-10 (25 पी.पी.एम.) और लक्मे डी-414 (23 पी.पी.एम.) में पाया गया। ज्यादा देर चलने वाली लिपस्टिक में ज्यादा लेड पाया गया।
पहले जाँच करो फिर इस्तेमाल करो
मैं आपको एक सरल तरीका बतलाता हूँ जिससे आप तुरन्त पता लगा सकती हैं कि आपकी लिपस्टिकि में लेड है या नहीं। बस थोड़ी सी लिपिस्टिक अपनी हथेली पर लगाइये और उस पर एक सोने की अंगूठी को कुछ देर तक रगड़िये। यदि लिपिस्टिक काली पड़ने लगे तो समझ लीजिये कि आपकी लिपिस्टिक में लेड विद्यमान है।
लिपिस्टिक में लेड का बघार स्त्रियों को करता बीमार
लेड के मामले में वैज्ञानिकों ने अभी तक कोई सुरक्षित मात्रा तय नहीं की है। यदि महिला दिन में कई बार और रोज लिपिस्टिक लगाती है तो लेड उनके शरीर में इकट्ठा होता रहता है। जो महिलायें नियमित लिपस्टिक लगाती हैं वे अपने जीवन में लगभग दो किलो लिपिस्टिक तो खा ही लेती हैं। थोड़ी बहुत लिपिस्टिक उनके पतियों के पेट में भी पहुँचती ही है। लेड नाड़ी-तंत्र के लिए घातक विष है। यह लड़कियों और स्त्रियों में शैक्षणिक क्षमता कम करता है, स्मृति कम करता है, आई.क्यू. कम करता है, चिढ़चिड़ापन बढ़ाता है और झगड़ालू प्रवृत्ति बढ़ाता है। लिपिस्टिक लगाने वाली लड़कियाँ हाई स्कूल परीक्षा में तो जैसे-तैसे उत्तीर्ण हो जाती हैं परन्तु उसके बाद अक्सर फेल होती हैं। स्त्रियों में लेड से मासिक-धर्म संबन्धी अनियमितताएँ, बाँझपन और गर्भपात होने की संभावना ज्यादा रहती है। लेड से पुरुषों में भी नपुंसकता, शुक्राणु-अल्पता, स्तंभन-दोष आदि रोग होते हैं। लेड गर्भवती स्त्रियों और उनके शिशुओं के लिए बहुत नुकसानदायक है क्योंकि गर्भावस्था में यह आसानी से शिशु के रक्त-तंत्र में प्रवेश कर जाता है। लेड वह खतरनाक रसायन है, जो शरीर में पहुंचकर रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है, यदि स्थिति ज्यादा गम्भीर हो जाती है तो यह कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी का रूप ले लेती है।
मैं आपको परामर्श देना चाहता हूँ कि आप प्राकृतिक तरीकों से अपने होठों को स्वस्थ, आकर्षक और सुन्दर बनायें। मेरे खयाल से हीमोग्लोबिन होठों को प्राकृतिक लालिमा और सुन्दरता प्रदान करता है। लोह तत्व से बना हीमोग्लोबिन आपकी हर कोशिका, हर ऊतक, हर अंग और पूरे शरीर को ऊर्जा, आकार, आभा और लालिमा प्रदान करता है। इसे सामान्य रखने के लिए आपको हरी सब्जियाँ, फल और प्रोटीन खाना चाहिये। होठों को सुन्दर और स्वस्थ बनाने के लिए आप निम्न प्राकृतिक तरीके अपनायें।
o चार या पाँच गुलाब की पंखुड़ियों को अच्छी तरह मसल कर होठों पर दिन में दो या तीन बार लगाइये। आपके होठ मुलायम और गुलाबी हो जायेंगे। गुलाब की पंखुड़ियों को अच्छी तरह मसल कर आप दूध की मलाई में मिला कर लिप क्रीम बना सकते हैं। इसे होठों पर बीस मिनट के लिए लगायें और पानी से धोलें, आपके होठों की सुन्दरता में चार चाँद लग जायेंगे।
o इसी तरह आप होठों पर दिन में तीन-चार बार चुकन्दर का रस भी लगा सकते हैं और बीस मिनट बाद धो सकते हैं। इससे आपके होठों को जादुई रंगत और सुन्दरता मिलेगी।
o आप अपने होठों पर जैतून या लौंग का तेल या धी भी लगा सकते हैं। इससे होंठ चमक उठेंगे और दिन भर आपको होठों पर लिपक्रीम लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। यह कटे-फटे होठों का भी बढ़िया उपचार है।
o होठों को मुलायम बनाने के लिए आप जैतून के तेल, नीबू का रस या शहद में चीनी मिला कर भी लगा सकते हैं।
लेड-रहित और सुरक्षित लिपस्टिक बनाने की विधि
लेड-रहित और सुरक्षित लिपस्टिक बनाने की विधि
लेकिन शादी-ब्याह और त्योहारों पर तो स्त्रियों को श्रृंगार करना ही पड़ता है, सजना-संवरना भी पड़ता है। ऐसे मौकों के लिए मैं आपको लेड-रहित और सुरक्षित लिपस्टिक बनाने की विधि भी बतला देता हूँ।
सामग्री
o लिपिस्टिक की खाली ट्यूब या कोई डिबिया।
o डबल बॉयलर या गर्म करने के लिए कोई बरतन।
o कसनी या ग्रेटर।
o एक चाय-चम्मच मधुमक्खी का मोम ( beeswax)।
o आधी चाय-चम्मच व्हीटजर्म ऑयल या ग्रेपसीड ऑयल।
o आधी चाय-चम्मच केस्टर ऑयल या विटामिन-ई ऑयल।
o एक चाय-चम्मच टाइटेनियम ऑक्साइड या जिंक ऑक्साइड।
o चार चाय-चम्मच माइका।
विधि
मधुमक्खी के मोम को कसनी से कस लें और डबल बॉयलर में पिघलायें। आप इसे माइक्रोवेव ओवन में भी पिघला सकते हैं। पिधलने पर इसमें व्हीटजर्म ऑयल या ग्रेपसीड ऑयल और केस्टर ऑयल डाल कर अच्छी तरह मिलायें। अब बाकी चीजें भी मिलालें और गाढ़ा होने तक गर्म करें। अब इसे डिबिया या लिपिस्टिक की खाली ट्यूब में भर दें। आपकी बढ़िया लिपस्टिक तैयार है।
मुझे दर्द है कि
हमें आजाद हुए छः दशक से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन फिर भी गुलामी करने की हमारी आदत नहीं गई है। विडंबना देखिये हमारे काँग्रेसियों ने देश की सत्ता का रिमोट कंट्रोल प्रधानमंत्री से छीन कर एक विदेशी मूल की स्त्री को थमा रखा है। स्वास्थ्य और सौदर्य-प्रसाधनों के संदर्भ में भी हम पूरी तरह अमरीकी संस्था एफ.डी.ए. पर निर्भर हैं। सारे नियम और मानक उसके ही चलते हैं। जबकि एफ.डी.ए. माफिया जैसी संस्था है जो सिर्फ अमेरिका और उनके बहुराष्ट्रीय संस्थानों के हितों के लिए काम करती है, दादागिरी करती है, हमारा आर्थिक शोषण करती है और हमारे आयुर्वेद और प्राकृतिक तरीकों की सदैव अवहेलना करती है। क्या हम अपनी आत्मनिर्भर संस्थायें नहीं बना सकते जो हमारे स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए काम करे।
3 comments:
वाह सरजी आपने लिपस्टिक के बारे में बहुत बढ़िया तथ्यात्मक जानकारी दी। साथ ही प्राकृतिक लिपस्टिक बनाने का तरीका भी बताया यह और अच्छी बात है।
होठो की सुन्दरता में चार चॉद लगाने के लिए आपने महिलाओ को जो प्राकृतिक तरीके बताये, अगर प्रत्येक महिला इसे अपनाले तो सीसा या लेड को ष्षरीर में पहुचने से अपने आप को बचा सकती है और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बच सकती है और भावी संतान को मंद बु़िद्ध होने से भी बचा सकती है
आदरणीय ताम्रकर जी और भाभी जी,
तनिक सी स्याही को कागज पे रगड़ देते हो,
दो मोती प्रशंसा के मेरी झोली में डाल देते हो,
मेरे हौसले को आसमां पे बिठा देते हो,
पल भर में मुझे अपना गुलाम बना लेते हो.
ओम
Post a Comment