वाइल्ड ओरीगानो एक सदाबहार पौधा है। इसका बोटेनिकल नाम Origanum Vulgare है। इसकी पत्तियां जैतून के जैसी हरी और फूल छोटे और बैंगनी रंग के होते हैं। पूरे पौधे में एक विशेष तरह की तेज गंध होती है और इसका स्वाद तेज, गर्म और हल्का कड़वा होता है। सूखे पौधे, पत्तियों, बीज और तेल में भी यही खास गंध होती है, जो इसकी पहचान है। बाजार में मिलने वाली अजवायन स्वीट मार्जोरम या मेक्सीकन सेज होती है, जिनमें कोई औषधीय गुण नहीं होते।
वैसे तो ओरीगानो की 40 प्रजातियां होती है, लेकिन चमत्कारी औषधीय गुण सिर्फ मेडिटेरेनियन के पहाड़ों में उगने वाली वाइल्ड ओरीगानो (Origanum Vulgare) में ही होते हैं। तेल निकालने के लिए सही समय पर फूल और पत्तियों को तोड़ लिया जाता है, जब पौधे में तेल की मात्रा सबसे अधिक होती है। प्राचीनकाल में ग्रीस और इटली के लोग ओरीगानो को बहुत पसंद करते थे। पिज़्जा और अन्य व्यंजनों में ओरीगानो का भरपूर प्रयोग किया जाता था। ओरिगेनम (Origanum) शब्द भी दो ग्रीक शब्दों ओरोज (oros=mountain) और गेनोज (ganos=joy) से लिए गए हैं। इनका मतलब है पहाड़ों का आनंद (joy of the mountain) । ओरीगानो को आनंद का प्रतीक माना जाता है। पुराने जमाने में वहाँ नव विवाहित जोड़े को ओरीगानो का ताज पहनाने का रिवाज़ था।
ओरीगानो तेल – पोषक तत्वों का मधुबन
कार्वेक्रोल – ओरीगानो के तेल का सबसे अहम तत्व कार्वेक्रोल नामक एक मोनोटर्पेनॉयड फीनोल है, जो इस पूरी
कायनात का सबसे तेज़ और असरदार मल्टी-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक है। ईश्वर द्वारा दिए गए इस अनूठे फीनोल में केंडिडा ऐल्बीकेंस, स्टेफाइलोकोकस, ई-कोलाई, केंपाइलोबेक्टर, सोलमोनेला, क्लेबसिएला, ऐस्परगिलस मोल्ड, जिआर्डिया, सूडोमोनास और लिस्टेरिया समेत 90 से अधिक रोगाणुओं को नष्ट करने की क्षमता होती है। ओरीगानो तेल में कार्वेक्रोल और थायमोल की मात्रा 80% तक होती है। कार्वेक्रोल की भेदन क्षमता बड़ी तेज़ होती है और यह लेज़र किरणों की तरह टिशूज़ को चीरता हुआ गहराई तक पहुच कर असर दिखाता है।
थायमोल – यह एक प्राकृतिक कॉक्स-2 इन्हिबीटर है और एक तेज़ दर्द-निवारक है। यह फंगस और कीटाणुरोधी है। यह इम्युनिटी को बढ़ाता है, टॉक्सिंस से शरीर की रक्षा करता है, कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है और उपचार प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है।
टरपीन्स – शक्तिशाली एंटीबेक्टीरियल है।
रोज़मरीनिक एसिड – यह एक एंटीऑक्सीडेंट है और अस्थमा, कैंसर और ऐथेरोस्क्लिरोसिस के उपचार में मदद करता है। यह प्राकृतिक एंटीहिस्टेमीन है और ऐलर्जी से होने वाले तरल के जमाव और सूजन को कम करता है।
नरायंगिन – कैंसररोधी है और तेल की एंटीऑक्सिडेंट क्षमता को बढ़ाता है।
बीटा-करायफीलिन (E-BCP) – यह प्रदाहरोधी है और ऑस्टियोपोरोसिस, ऐथेरोस्क्लिरोसिस और मेटाबोलिक सिंड्रोम के उपचार में मदद करता है।
ओरीगानो के तेल में विटामिन ए, सी और ई, कैल्सियम, मेग्नीसियम, जिंक, आयरन, पोटेसियम, मेंगनीज़, कॉपर, बोरोन, और नायसिन भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
कैंसर रोगी को राहत
ओरीगानो तेल कैंसर के हॉलिस्टिक उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भले ओरीगानो तेल अकेले कैंसर को ठीक नहीं कर सके लेकिन यह हर कैंसर उपचार को प्रोत्साहित करता है और कैंसरजनित दर्द, प्रदाह और संक्रमण में राहत दिलाता है।
जोड़ की तकलीफ़ो में चमत्कार
आर्थराइटिस एक कष्टप्रद चिरकारी रोग है, जिसके प्रमुख लक्षण जोड़ों में दर्द, सूजन, प्रदाह और जकड़न होते हैं। ओरीगानो तेल जोड़ों में गहराई तक जाकर दर्द, प्रदाह और जकड़न को दूर करता है। यह प्रदाह से सुलगते जोड़ों और मांस-पेशियों को त्वरित गति से शांति और सुकून पहुँचाता है और खोई हुई लचक प्रदान करता है।
कार्वेक्रोल शरीर की प्राकृतिक प्रदारोधी प्रणाली हीट शॉक प्रोटीन्स (heat shock proteins) को सक्रिय करता है, सेल्फ-स्ट्रेस प्रोटीन्स को निष्क्रिय करने वाले टी-सेल्स की क्षमता को बढ़ाता है और प्रदाह को शांत करता है।
दर्द निवारक
ओरीगाने तेल निसंदेह बहुत शक्तिशाली दर्द निवारक है। यह मोर्फीन के इंजेक्शन की तरह तेजी से दर्द दूर करता है, लेकिन इसकी आदत नहीं पड़ती और कोई साइड-इफेक्ट भी नहीं हैं। यह अन्य दर्द निवारक दवाओं से भी बढ़कर दर्द और प्रदाह को ठीक कर देता है।
चिकित्सकीय प्रयोग
त्वचा के रोग -
वायरल इंफेक्शन - हरपीज़ जोस्टर, कोल्ड सोर्स (हरपीज़ सिंप्लेक्स)
बेक्टीरियल इंफेक्शन – फोड़े-फुंसी
फंगल इंफेक्शन – रिंगवर्म, सेबोरिया, जेनीटल वार्ट, इंपेटायगो, डर्मेटायटिस, सोरायसिस, एग्ज़ीमा, रोज़ेसिया, एक्ने,
एथलीट्स फूट, जोक इच, चोट, घाव, ऐलर्जिक रेश, स्केबीज़, बैड सोर
जलने या चोट के घाव, खंरोच (एंटीबायोटिक, एंटीसेप्टिक और दर्द निवारक)
ओरीगानो तेल सबसे शक्तिशाली एंटीबायोटिक है। चोट लगने या जलने के घाव को साफ करने के लिए और दर्द दूर करने के लिए घाव पर तुरंत तेल लगाएं। इससे हल्के-फुल्के जलने या चोट के घावों में फफोले नहीं बनेंगे और घाव के निशान भी नहीं रहेंगे। इंफेक्शन भी नहीं होगा और घाव जल्दी भर जाएंगे।
सर्पदंश या बिच्छू डंक (एंटीवेनम)
सांप, बिच्छू या कोई भी ज़हरीले कीड़े मकोड़े के काटने पर तुरंत ओरीगानो तेल लगाना चाहिए। यह ज़हर को निष्क्रिय करता है और शीघ्रता से घाव को भेदता हुआ अंदर जाता है। इसकी प्रदाहरोधी और चेतनाशून्य शक्ति टॉक्सिंस और रोगाणुओं को निष्क्रिय करती है ओर दर्द और वेदना में तुरंत राहत दिलाती है। इसकी 2-4 बूंदे पानी में मिला कर लेने से ज़्यादा फायदा मिलता है।
श्वास रोग
कार्वेक्रोल H5N1 बर्ड फ्लू (इंफ्लुएंजा-ए वायरस की एक प्रजाति), खांसी, सायनुसायटिस, ब्रोंकायटिस, गले की ख़ारिश, सर्दी, ज़ुकाम आदि में राहत देता है। यह बलग़म को बाहर निकालता है। इसकी भाप को लेने से फेफड़ों को सुकून मिलता है और खासी में फ़ायदा होता है।
पेरासाइट इंफेक्शन – (जैसे सिर की जुएं, स्केबीज़, क्रिप्टोस्पोरीडियम, जिआर्डिया, फ्लूक्स)
पेट के कीड़े और फ्लूक्स को मारने के लिए ओरीगानो तेल की 1-3 बूंद (जीभ के नीचे या पानी/ज्यूस के साथ) दिन में 3 बार ले सकते हैं। पानी में संक्रमण की संभावना हो तो 1 बूंद तेल डालने से परजीवी जैसे क्रिप्टोस्पोरीडियम और जिआर्डिया मर जाएंगे। सिर की जुएं मारने के लिए साबुन या शैम्पू में तेल की कुछ बूंदें मिला लें।
वायरल इंफेक्शन – जैसे सर्दी, ज़ुकाम, हरपीज़ जोस्टर, कोल्ड सोर्स (हरपीज़ सिंप्लेक्स), वार्ट, इबोला, हीपेटायटिस आदि। सर्दी, ज़ुकाम के पहले लक्षण दिखते ही ओरीगानो तेल लेने से तुरंत फायदा होता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता -
एंटीऑक्सीडेंट –
रोज लिया जाए तो ओरीगानो तेल का सेवन मुक्त-मूलक क्षति से बचाता है, जीर्णता के असर पर ब्रेक लगाता है।
ऐलर्जी –
ओरीगानो तेल के सेवन और इसकी भाप लेने से ऐलर्जी में बहुत फ़ायदा होता है।
मांस-पेशी और जोड़ों के दर्द, प्रदाह और चोट – जैसे खंरोच लगने, त्वचा के कटने, मांस-पेशी की चोट, मोच, बर्साइटिस, टेंडनाइटिस, कार्पल टनल सिंड्रोम, रूमेटिज़्म, शियेटिका आदि।
पाचन रोग – अपच, भूख न लगना, दस्त लगना, हिचकी, कोलायटिस आदि।
ओरीगानो तेल पित्त का स्त्राव बढ़ाता है, वायु विकार को शात करता है, जीवाणुरोधी है और प्रदाहरोधी है।
शक्तिशाली दर्द निवारक – जैसे सिरदर्द, माइग्रेन, नर्वस टेंशन
फंगस इंफेक्शन – जैसे केंडिडायसिस, थ्रश, वेजाइनायटिस, हाथ और पैरों की अंगुलियों के फंगल इंफेक्शन, ऐथलीट्स फूट, डेंड्रफ, रिंगवर्म, कान का इंफेक्शन
सिस्टेमिक फंगस संक्रमण – रक्षा-प्रणाली बहुत कमजोर हो जाने के कारण प्रायः कैंसर या एड्स के गंभीर रोगियों में देखने को मिलता है। यह अमूमन जानलेवा हो सकता है और ओरीगानो तेल फंगस संक्रमण को सुरक्षित तरीके से ठीक करने की क्षमता रखता है।
रोगी को 1-3 बूंद (जीभ के नीचे या पानी/ज्यूस के साथ) दिन में 3 बार दीजिए। रोगी को चीनी और मैदा मत दीजिए, क्योंकि ये फंगस का ख़ास भोजन है। रोज 6-8 ग्लास पानी पीना जरूरी है, ताकि मरे हुए फंगस से निकलनेवाले टॉक्सिन्स का उत्सर्जन सहज हो सके। उपचार आवश्यकतानुसार लंबे समय तक देना पड़ सकता है। मात्रा भी बढ़ानी पड़ेगी।
नाखून में फंगस संक्रमण – रोज नाखून धोकर साफ करें और तेल लगाएं। लंबे समय तक 1-3 बूंद तेल (जीभ के नीचे या पानी/ज्यूस के साथ) दिन में 3 बार देना पड़ेगा।
ऐथलीट्स फूट – रोज तेल लगाएं।
डेंड्रफ (सेबोरिया) – तेल की कुछ बूंदें शैम्पू में मिलाएं और डायल्यूटेड तेल सिर में मलें।
फूड पॉयज़निंग - 3 बूंद ओरीगानो तेल (जीभ के नीचे या पानी/ज्यूस के साथ) हर घंटे 10 घंटे तक या जब तक रोगी को आराम नहीं मिले तब तक देते रहिए।
कैंसर -
ओरीगानो तेल में एंटीकैंसर और एंटीम्यूटेजेनिक गुणों से भरपूर रोजमेरिक एसिड और नरायंगिन तत्व होते हैं। कार्वेक्रोल मल्टी-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक और एंटीइंफ्लेमेटरी है। थायमोल एक तेज़ दर्द-निवारक है। ये सब कैंसर पर मिलकर प्रहार करते हैं। त्वचा के कैंसर पर तेल लगाकर बैंडएड लगाकर रखें।
उच्च रक्तचाप - ओरीगानो तेल में विद्यमान 7 तत्व रक्तचाप कम करते हैं।
मसूड़े के रोग, मुंह के छाले और पायरिया – अंगुली से तेल लगाते रहें।
ओरल हाइजीन और मुंह की दुर्गंध - मुंह की दुर्गंध के लिए टूथब्रश पर टूथपेस्ट के साथ तेल की 1 बूंद डालकर रोज ब्रश करें। सारी दुर्गंध गायब हो जाएगी। दांत और मुंह ताज़ा तथा निर्मल हो जाएगा।
दांत का दर्द - ओरीगानो तेल दर्द देने वाले कीटाणुओं का सफाया कर देता है।
यू.टी.आई. – कार्वेक्रोल यूरीनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन के कारक जीवाणु ई-कोलाई, प्रोटियस और सूडोमोनास का खातमा कर देता है, इसलिए ओरीगानो तेल यू.टी.आई. बहुत कारगर माना जाता है।
दो बूंद आरोग्य के लिए – थोड़ा ही कॉफी है
ओरीगानो तेल का खालिस तेल बहुत तेज़ और पॉवरफुल होता है। इसलिए इसे प्रायः पतला करके प्रयोग करना चाहिए। पतला करने के लिए जैतून या नारियल के तेल को करियर तेल के रूप में प्रयोग करें। सामान्यतः ओरीगानो तेल और करियर तेल का अनुपात 1:3 रखा जाता है, लेकिन आप 1:3 से 1:15 के बीच कोई भी अनुपात रख सकते हैं। योनि, गुदा और नाजुक जगह पर तेल नहीं लगाएं, तेल जलन करता है। यदि बहुत ही जरूरी हो तो तेल को बहुत पतला करके ही लगाएं। डायल्यूटेड तेल (ओरीगानो तेल 1 हिस्सा और करियर तेल 3 हिस्सा) की सामान्य मात्रा 2-3 बूंद (बच्चों में 1 बूंद) दिन में 2-3 बार है। जीभ के नीचे 2-3 बूंद डालें और 1-2 मिनट बाद सलाइवा में अच्छी तरह मिला कर निगल लें। या इसे आधे ग्लास पानी, ज्यूस अथवा 1 टीस्पून शहद में मिलाकर लें। रोज 6-8 ग्लास पानी पीना जरूरी है, ताकि मरे हुए जीवाणुओं से निकलनेवाले टॉक्सिन्स का उत्सर्जन सहज हो सके। उपचार आवश्यकतानुसार लंबे समय तक देना पड़ सकता है। मात्रा भी बढ़ानी पड़ेगी।
सुरक्षा सूत्र
क्या ओरीगानो तेल हमारे लिए पूर्णतः सुरक्षित है? जी हां पतला करके प्रयोग करें तो यह तेल हमारे लिए बिलकुल सुरक्षित है। फिर भी नाजुक जगह पर प्रयोग करने से पहले स्पॉट टेस्ट कर लेना चाहिए। इसके लिए अपनी बांह पर थोड़ा सा पतला किया हुआ तेल लगाएं और देखें कि कोई जलन आदि नहीं हो रही है।
हमेशा वाइल्ड ओरीगानो तेल (Origanum Vulgare) ही खरीदें। कुछ निर्माता आपको मिलावटी या साधारण अजवान, स्पेनिश ओरीगानो, स्वीट मार्जोरम का तेल भी टिका सकते हैं। याद रखें सिर्फ ओरीगानो वलगेरी का तेल ही काम करता है। सामान्यतः इस तेल को 6 सप्ताह से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। इससे आपके शरीर की तेल सोखने की क्षमता तम हो सकती है। यदि आप इसे अधिक समय तक लेना जरूरी समझते हैं, तो 2 सप्ताह का विराम लेकर पुनः शुरू करें।
कुछ लोगों इस तेल से अपच या पेट में छोटी मोटी तकलीफ़ हो सकती है। जिन्हें मिंट प्रजाति के पौधों से ऐलर्जी हो, उन्हें भी इस तेल से ऐलर्जी हो सकती है। अतः वह इसे नहीं लें। आमतौर पर शिशुओं और बच्चों में इस तेल प्रयोग नहीं करना चाहिए। गर्भवती स्त्रियों और दुग्धदायिनी माताओं में भी इस तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।