कैंसररोधी जोहाना बुडविग आहार विहार
वे तुरन्त डॉ. बुडविग से मिले, उनसे उपचार अच्छी तरह समझा और पूरे विश्वास से उनका उपचार लेना शुरू कर दिया। वे रोजअपने पेट पर एलडी ऑयल पेक लगा कर सोते थे और एलडी तेल की ही रोज मालिश भी करवाते थे। उन्हें इस उपचार से बहुत फायदा हुआ। मार्च, 1983 में उल्म के प्रोफेसर डॉ फाइफर ने उनकी जाच की और कहा कि वे पूरी तरह कैंसर से ठीक हो चुके हैं। यह सचमुच एक चमत्कार ही था। इसका पूरा श्रेय उन्होंने डॉ. बुडविग के उपचार और एलडी तेल को दिया।...... आगे पढ़ें >>
जोहाना बुडविग की अमर जीवनगाथा
डॉ. जोहाना बुडविग की अमर जीवनगाथा खुशियों में बीता बचपन हरमन और एलिजाबेथ जर्मनी में रुहर नदी के तट पर बसे एसन शहर में रहते थे। 30 सितम्बर, 1908 की खुशनुमा रात को उनके आँगन में एक नन्हा सा फूल खिला था। पूरे घर में उत्सव का सा माहौल था। उन्होंने ईश्वर के दिये हुए इस तोहफे का नाम जोहाना रखा था। जर्मन भाषा में ईश्वर की दी हुई सौगात को जोहाना ही कहते हैं। पूरे बुडविग परिवार और पड़ोस में यही चर्चा हो रही थी कि जोहाना बहुत खुशकिस्मत है, होनहार है, युनिवर्सिटी में पढ़ने जायेगी और परिवार का नाम रौशन करेगी। ... आगे पढ़ें >>
ओटो वारबर्ग जिन्होंने कैंसर का मुख्य कारण खोजा
जोहाना बुडविग की अमर जीवनगाथा
डॉ. जोहाना बुडविग की अमर जीवनगाथा खुशियों में बीता बचपन हरमन और एलिजाबेथ जर्मनी में रुहर नदी के तट पर बसे एसन शहर में रहते थे। 30 सितम्बर, 1908 की खुशनुमा रात को उनके आँगन में एक नन्हा सा फूल खिला था। पूरे घर में उत्सव का सा माहौल था। उन्होंने ईश्वर के दिये हुए इस तोहफे का नाम जोहाना रखा था। जर्मन भाषा में ईश्वर की दी हुई सौगात को जोहाना ही कहते हैं। पूरे बुडविग परिवार और पड़ोस में यही चर्चा हो रही थी कि जोहाना बहुत खुशकिस्मत है, होनहार है, युनिवर्सिटी में पढ़ने जायेगी और परिवार का नाम रौशन करेगी। ... आगे पढ़ें >>
ओटो वारबर्ग जिन्होंने कैंसर का मुख्य कारण खोजा
भाइयों और बहनों,
किसी भी रोग के मुख्य (Primary) और द्वितीयक या गौंण (Secondary) कारण होते हैं। उदाहरण के तौर पर प्लेग का मुख्य कारण प्लेग का कीटाणु है, जबकि द्वितीयक कारण गंदगी, चूहे और पिस्सू (जो प्लेग के कीटाणुओं को चूहे से मनुष्य तक पहुँचाते हैं) हैं। मुख्य कारण से अभिप्राय यह है कि यह उस रोग से पीड़ित हर रोगी में विद्यमान होता है। इसी तरह कैंसर के भी अनगिनत द्वितीयक कारण हो सकते हैं। लेकिन कैंसर का मुख्य कारण ऑक्सीजन द्वारा सामान्य कोशिकीय श्वसन-क्रिया का बाधित होकर शर्करा के खमीरीकरण (Fermentation) में परिवर्तित हो जाना है। ...... आगे पढ़ें >>
Frequently Asked Questions
प्रश्न 1 - क्या खाना बनाने में अलसी का तेल काम में लिया जा सकता है?
उत्तर - कभी भी खाना बनाने के लिए अलसी का तेल प्रयोग नहीं करना चाहिये। इसे कभी भी गर्म नहीं करना चाहिये। कोशिकीय श्वसन के लिए अति आवश्यक वसा अम्ल 420 सेल्सियस (अर्थात 1080 फार्हेनाइट) पर खराब हो जाते हैं। हां जब व्यंजन ठंडा हो जाये तो परोसते समय अलसी का तेल डाला जा सकता है। बुडविग घृत या ऑलियोलक्स बेहतर विकल्प है। (Johanna Budwig: Der Tod des Tumors - Band II [The Death of the Tumor, Vol. II], page 158)...... आगे पढ़ें >>
पाचनक्रिया में सहायक है सॉवरक्रॉट
कैंसर-रोधी होने के साथ साथ सॉवरक्रॉट पाचनक्रिया में बहुत सहायक हैं। इसे खमीर करने की प्रक्रिया में लेक्टोबेसीलस जीवाणु पैदा होते हैं जो पाचन में सहायक हैं, विटामिन की मात्रा बढ़ाते हैं, लाभदायक एंजाइम बनाते हैं और पाचन-पथ में मित्र जीवाणुओं की सेना में वृद्धि करते हैं। हर स्वास्थ्य समस्या या रोग में पाचन का बहुत महत्व है। खमीर की हुई बन्दगोभी में लेक्टिक एसिड, प्रोबायोटिक जीवाणु होते हैं जो पाचन में सहायक हैं और कीटाणुओं का सफाया करते हैं। लेक्टिक एसिड कीटाणु ई-कोलाई और फफूंद जैसे केनडिडा एल्बिकेन्स के विकास को बाधित करते हैं। हालांकि लेक्टिक एसिड प्रोबायोटिक जीवाणुओं के विकास को बाधित नहीं करते हैं। ...... आगे पढ़ें >>
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