श्री मेवा सिंह जी उपध्याय,
जुग जुग जियें आप, आप ने पिछले पत्र में मुझे पायलागी कहा था इसलिये मेरा फर्ज बनता है कि आप को आशीर्वाद दूँ। मुझ को हार्दिक कष्ट है कि हमारे कुत्ते टामी (हरामी) ने आपकी तीन पैन्टों का सत्यानाश कर दिया । इस टामी ने तो मेरा जीना हराम कर रखा है । तुम से पहले वह मेरे चार और प्रेमियों को काट चुका है । तुम तो खुशनसीब थे । पिछले चार तो इंजेक्शन लगवा रहे हैं ।
मेवा जी, आपने मुझे पहली बार मेरे पिताजी की दुकान पर समोसा बांटते हुये देखा था । उस दिन मेरे खिलखिलाने और बेवजह मुस्कुराने की वजह वही थी जिसके लिये आपने झुंझलाते हुये सर ऊपर उठाया था । असल में आलू हम बोरे का बोरा खरीदते हैं । उस दिन आलू नीचे की थी । उन आलूओं में सड़न पैदा हो गई थी । नमक तो पिताजी भूल ही गये थे और उस दिन धनिया भी मंहगा गई थी । इस लिये मिर्चा जरा ज्यादा डालना पड़ गया था । जब इतना झाम हो तो ग्राहक गरियायेगा है ही । इस लिये जिस दिन समोसों में कोई गड़बड़ होती है मैं ही समोसे बांटती हँ । मेरी मुस्कान मीठी चटनी का काम करती है और सड़े हुये बासी आलू को भी ग्राहक आरम से हजम कर जाता है । हालांकि मेरे लिये तो सभी ग्राहक एक समान है पर उस दिन आप पर नजर पड़ी तो मुझे लगा कि इस आलू में कुछ दम है । फिर आपने मेरे घर के चक्कर मारने शुरू कर दिये । टामी ने जब भी आपको दौड़या मैं खिड़की से देखती रहती और भगवान से मनाती कि आपका बाल भी बांका न हो । आपने भी हार नहीं मानी और इस कमीने टामी से आपने भी खूब लोहा लिया । मैंने यह कसम खायी थी कि जो लड़का टामी के जबड़ों से बच जायेगा वही मुझसे दोस्ती करने के लायक होगा । टामी से लगातार पंगा ले कर आपने मेरे हृदय को जीत लिया है । ये बंशी वाले की कित्ती बड़ी कृपा है कि उसने आपको एक दिन आखिर मेरे बाप की दुकान तक पहुंचा ही दिया ।
आगे समाचार यह है कि बापू और भईया मेरी सादी सेठ चमन लाल के बेवड़े लड़के रेवड़ी लाल से करवाना चाहते हैं । मेवा जी अब आपको ही कुछ करना पड़ेगा । वरना वह रेवड़ी लाल एक दिन मुझको आपसे छीन कर ले जायेगा । उस नर्क से बचने का बस एक ही रास्ता है और वह है हम दानों इस बेरहम दुनिया से कहीं दूर भाग चलें । जहाँ न कोई बाप हो, न कोई भाई, न कोई कुत्ता हो और न कोई रेवड़ी लाल हो । रूपयों पैसों की चिंता तुम मत करना । मैं माँ के जेवर और पिता जी की तिजोरी साफ करके आऊंगी । हम यहाँ से देवास चले चलेंगे । मेरे पिताजी के पैसों से हम एक मिठाई की दुकान खोल लेंगे । बेसन के लड्डू और समोसे बनाना मैं जानती ही हूँ । चाय तुम बना ही लोगे । हमारी दुकान चल निकलेगी क्योंकि समोसे बेचने की कला तो मैं जानती ही हूँ । फिर तीन चार साल में हमारी मदद करने के लिये तीन चार बच्चे भी होंगे ।
अच्छा पत्र अब खत्म करती हँ । अगर हमारा प्यार सच्चा है तो 6 फरवरी को हम जोधपुर-भोपाल पेसैंजर में बैठे होंगे । डरने की कोई जरूरत नहीं है । मुझे तीन बार घर से भागने का एक्सपीरियेन्स है। अब की दफा फुल प्रूफ प्लान बनाया है।
तुम्हारे लिये हर खतरा उठाने को तैयार
तुम्हारी भावी संगिनी
सुषमा रानी झिंझोटिया
1 comment:
रोचक प्रस्तुति ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
Post a Comment