सेहत का
सुर्ख रंग - लाइकोपीन
लाइकोपीन सुर्ख लाल रंग का
केरोटीन, केरोटिनॉयड और फाइटोकेमीकल है। टमाटर, तरबूज, पपीता, लाल गाजर, लाल
अमरूद, लाल शिमला मिर्च आदि लाल रंग के फल और सब्जियों इसके प्रमुख स्रोत हैं। लेकिन
स्ट्रॉबेरी और चेरी में लाइकोपीन नहीं होता है। लाइकोपीन नाम लाइकोपर्सिकम (Lycopersicum) नये लेटिन शब्द से लिया गया है। Solanum Lycopersicum टमाटर का वानस्पतिक नाम है। रसायनिक दृष्टि से केरोटीन होने के उपरान्त
भी इसमें विटामिन-ए के गुण नहीं होते हैं। लाइकोपीन पौधों और एलगी में बीटाकेरोटीन
समेत कई प्रकार के केरोटिनॉयड्स के निर्माण में सहायक होता है, जो फल और सब्जियों
को पीला, नारंगी या लाल रंगत देते है। लोइकोपीन सुर्ख लाल, प्राकृतिक और सुरक्षित
होने के कारण व्यंजन और खाद्य-पदार्थों को रंगत देने के लिए प्रयोग में लिया जाता
है।
लाइकोपीन वसा में घुलनशील है और
इसके अवशोषण के लिए फैट्स की उपस्थिति आवश्यक होती है। इसलिए यदि आहार में फैट की
मात्रा कम हो तो आंतों में इसका अवशोषण प्रभावित होता है। पेनक्रियेटिव एंजाइम्स
की कमी, क्रोन्स रोग, सीलियक स्प्रू, सिस्टिक फाइब्रोसिस, पित्त और यकृत विकार आदि
में फैट्स का अवशोषण बहुत कम हो जाता है, इसलिए लाइकोपीन का भी अवशोषण भी बाधित
होता है।
संरचना
केरोटिनॉयड की तरह लाइकोपीन भी
एक पॉलीअनसेचुरेटेड हाइड्रोकार्बन फैट है। संरचना की दृष्टि से यह एक टेट्राटरपीन
है, जो आठ आसोप्रीन इकाइयों और हाइड्रोजन व कार्बन से बनता है। इसका अणु सीधा और
लम्बा होता है और हाइड्रोजन का विन्यास ट्रांस होता है। यह बहुत स्थिर यौगिक है। यह
पानी में नहीं घुलता है। इसमें 11 कोन्जूगेटेड (Conjugated Double Bonds) और 2 अनकोन्जूगेटेड डबल बोन्ड्स
होते हैं जो इसे लाल रंगत देते हैं और एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट बनाते
हैं। मनुष्य का शरीर लाइकोपीन नहीं बना सकता है। मनुष्य के रक्त में यह आइसोमीटरिक
मिश्रण के रूप में होता है, 50% सिर आइसोमर होते हैं।
अवशोषण और परिवहन
लाइकोपीन आंतों में वसीय माइसेल
में एकत्रित हो जाता है। ये वसीय माइसेल फैट और बाइल एसिड से बनते हैं, और पानी से
भय रखने वाले लोइकोपीन को पानी में धुलनशील बनाते हैं और अवशोषण में मदद करते हैं।
अन्य केरोटिनॉयड की भांति लाइकोपीन भी काइलोमाइक्रोन को अपना वाहन बना कर
लिम्फेटिक सिस्टम में चले जाते हैं। रक्त में विचरण के लिए यह वी.एल.डी.एल. और
एल.डी.एल. (very low and low density lipoprotein fractions) को प्रयोग करते हैं। अंततः यह शरीर के फैटी ऊतक और अंगों जैसे एडरीनल,
यकृत, प्रोस्टेट और टेस्टीज में पहुँच कर अपना कार्य शुरू कर देते हैं।
लाइकोपीन – कोशिका का द्वारपाल
लाइकोपीन बीटा केरोटीन समेत
अन्य केरोटिनॉयड्स से अधिक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। यह एकल ऑक्सीजन (Singlet
oxygen) नाम के खतरनाक मुक्त-मूलक की इलेक्ट्रोन पिपासा शान्त करने
में दक्ष होते हैं। एकल ऑक्सीजन विभिन्न चयापचय क्रियाओं में बनने वाले अत्यधिक
सक्रिय मुक्त-मूलक होते हैं, जो कोशिका-भित्ति में अवस्थित बहुअसंतृप्त वसा-अम्लों
से क्रिया करके इलेक्ट्रोन्स चुरा लेते हैं। निष्क्रिय हुआ लाइकोपीन विटामिन-सी से
इलेक्ट्रोन लेकर फिर से सक्रिय और ऊर्जावान हो जाते हैं। इसीलिए लाइकोपीन कोशिका-भित्ति
में एकत्रित होकर सक्रिय मुक्त-मूलक से वसा-अम्लों की रक्षा करते हैं। इस तरह
भित्ति में लचक, मोटाई और तरलता बनाये रखते हैं। याद रखें कोशिका-भित्ति कोशिका का
मात्र सुरक्षात्मक कवच ही नहीं बल्कि यह कोशिका का जिम्मेदार द्वारपाल है जिसमें वह
पौषक तत्वों को तो अन्दर आने देता है लेकिन टॉक्सिन्स को अन्दर घुसने नहीं देता
है। और कोशिका में बने उत्सर्जी कचरे को साफ करने में मदद करता है। कोशिका-भित्ति
का स्वस्थ होना अच्छे स्वास्थ्य की पहली आवश्यकता है।
अमेरिका में हुई शोध से
मालूम हुआ है कि लोइकोपीन एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है जो कई प्रकार के कैंसर की
गांठों के विकास को बाधित करते हैं। कोशिकाओं के बीच सम्प्रेषण में व्यवधान आने से
भी कैंसर का तेजी से विकास होता है। लाइकोपीन विभिन्न कोशिकाओं के बीच सम्पर्क और
सम्प्रेषण को प्रोत्साहित करता है और कैंसर के विकास को बाधित करता है।
अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है
कि पकाए गए टमाटर में कच्चे टमाटरों की अपेक्षा अधिक पौष्टिकता होती है। कार्नेल
यूनिवर्सिटी के फूड एंड साइंस के प्रो. रूर्ड हाए लियु ने टमाटरों पर एक शोध कर
पाया कि टमाटर को जितनी अधिक अवधि तक पकाया गया, उसकी पौष्टिकता
उतनी ही अधिक बढ़ती जाती है। उन्होंने बताया कि पकाने से टमाटर में विटामिन सी की
मात्रा तो कम होती है लेकिन टमाटरों को लाल रंग देने वाले फाइटोकेमिकल लाइकोपीन की
मात्रा में काफी वृध्दि हो जाती है। इसके अलावा पकाने से टमाटर की एंटीआक्सीडेंट
क्षमता में भी वृद्धि होती है और यह शरीर द्वारा आसानी से पचा भी लिया जाता है।
लाइकोपीन के फायदे
पिछले दिनों अमेरिका में हुए
अध्ययन से पता चला है कि यदि आप प्रतिदिन एक टमाटर का सेवन करते है, तो बहुत सी बीमारियों से अपने को बचा सकते है। अमेरिकी वैज्ञानिकों का
कहना है कि हमें टमाटर इसलिए खाना चाहिए, क्योंकि टमाटर में
प्रचुर मात्रा में लाइकोपीन पाया जाता है। लाइकोपीन से मिलने वाले कुछ खास लाभ इस
प्रकार है।
· लाइकोपीन
अन्य केरोटिनॉयड्स से भी अधिक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट माना गया है।
· लाइकोपीन
त्वचा को झुर्रियों से बचाता है।
· लाइकोपीन
गर्भाशय के विकार दूर करता है।
· वैज्ञानिकों
का कहना है कि लाइकोपीन आस्टियोपोरोसिस से बचाव करता है।
· लाइकोपीन
हमे फेफड़े, स्तन, ओवरी, गर्भाशय, प्रोस्टेट,
त्वचा, पेनक्रियास और आमाशय कैंसर से बचाव करता है।
· हृदय
की धमनियों में जमा होने के पहले कोलेस्टेरोल का मुक्त-मूलक द्वारा ऑक्सीडाइज़
होना जरूरी होता है। लाइकोपीन शरीर में एल.डी.एल. कोलेस्टेरोल के ऑक्सिडेशन को
रोकता है और रक्त में कॉलेस्ट्रोल का स्तर कम करता है। इस तरह लाइकोपीन हृदय
संबंधी बीमारियों से रक्षा करता है।
· लाइकोपीन
पेट के कीड़ों से भी रक्षा करता है।
· लाइकोपीन
त्वचा को लालिमा प्रदान करता है।
· लाइकोपीन
खाने से शुक्राओं की संख्या और सक्रियता बढ़ती है।
अनुसंधानकर्ता मानते हैं कि
लाइकोपीन को पकाने से उसकी उपलब्धता और अवशोषण बढ़ता है। फैट की उपस्थिति भी इसका
अवशोषण बढ़ता है। इसका मतलब यह हुआ कि कच्चे टमाटर की अपेक्षा टॉमेटो केचप, सॉस,
सूप या सब्जी का शोरबा खाने से हमें ज्यादा लाइकोपीन मिलेगा। सप्ताह में आधा या एक
कप टमाटर या टमाटर सॉस खाने से प्रोस्टेट कैंसर का जोखम कम होता है। लाइकोपीन के
केप्स्यूल, शर्बत आदि भी उपलब्ध है। रोज 2 – 30 मिलिग्राम लेना उचित रहता है।
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