Tuesday, February 22, 2011

Dr. Budwig - Eldi Oils & Coffee Enema


बुडविग का जादुई एलडी तेल – मालिश, लेप और एनीमा के लिए

डॉ.  बुडविग ने कैंसर के उपचार के लिए ओम खंड के साथ साथ एक 1968 में एक विशेष तरह का इलेक्ट्रोन डिफ्रेन्शियल तेल भी विकसित किया था, जिसे अंग्रेजी में वे ELDI Oil या एलडी तेल कहती थी। यह तेल उन्होंने विभिन्न तेलों में प्रकाश के अवशोषण की सही सही स्पेक्ट्रोस्कोपिक गणना करके बनाया था। इस तेल में पाई-इलेक्ट्रोल के बादलों से भरपूर अल्फा-लिनोलेनिक अम्ल (ALA, an omega 3 fatty acid) तथा लिनोलिक अम्ल (LA, omega 6) के साथ प्राकृतिक विटामिन-ई, ऐथरिक तेल एवम् सल्फहाइड्रिल ग्रुप मिलाये जाते हैं।


डॉ.  बुडविग का मानना है कि मानव का जीवन बीजों में सूर्य से प्राप्त हुई भरपूर इलेक्ट्रोन्स ऊर्जा पर निर्भर करता है। इसका जिक्र उन्होंने "कैंसर-द प्रोब्लम एन्ड द सोल्युशन"  और अन्य पुस्तकों में किया है। उन्होंने लिखा है कि, "कैंसर सम्पूर्ण शरीर का रोग है, न कि किसी अंग विशेष का। सम्पूर्ण शरीर और कैंसर के मुख्य कारण का उपचार करके ही हम इस रोग से मुक्ति पा सकते हैं। अलसी तेल व पनीर कैंसर की गांठ और मेटास्टेसिस (स्थलांतर) को शरीर की रक्षा-प्रणाली द्वारा ठीक करता है। इस प्रक्रिया को और गति देने के लिए मैंने मालिश एवं बाहरी लेप (external application) हेतु इलेक्ट्रोन से भरपूर सक्रिय और प्रभावशाली फैटी एसिड युक्त एलडी तेल विकसित किया है। इलेक्ट्रोन्स हमारी कोशिकाओं की श्वसन क्रिया और हिमोग्लोबिन के निर्माण में सहायता करते हैं।"

डॉ.  बुडविग आगे कहती है, उपचार का मुख्य आधार सूर्य की ऊर्जा है, एलडी तेल (ELDI Oil) इसी ऊर्जा का स्वरूप है। इसे त्वचा पर लगाया जाता है ताकि शरीर सूर्य की लम्बी तरंगों का ज्यादा से ज्यादा अवशोषण हो। सन् 1968 से मैं त्वचा पर मालिश के लिए तथा विशेष अंगों पर ऑयल पेक के लिए एलडी तेल का खूब प्रयोग कर रही हूँ। आवश्यकता पड़ने पर मैं इसको एनीमा के द्वारा भी देती हूँ। कैंसर में दी जाने वाली औषधियां कोशिका के विकास को बाधित करती हैं तथा जीवन को आतंकित करती हैं। इसी तरह कृत्रिम और मृत फैट जैसे रिफाइंड तेल या हाइड्रोजनीकृत वसा कोशिकीय श्वसन क्रिया को बाधित करते हैं और रोगी को दर्द देते हैं। मेरे द्वारा निर्मित एलडी तेल ठीक इनके विपरीत कार्य करता है और रोगी को आश्चर्यजनक लाभ होता है। अमेरिका के पेन इन्स्टिट्यूट ने मेरे बारे कहीं लिखा है कि ये पागल औरत (क्रेजी वूमन)  पता नहीं इस तेल में क्या मिलाती है, जो जादुई काम ये तेल करता है वो हमारी दर्द-नाशक दवाएं नहीं कर पाती हैं।

सन् 1968 के बाद प्रकाशित हुई सारी पुस्तकों में  बुडविग ने लिखा है कि वे 1968 के बाद लगभग सभी रोगियों  में एलडी तेल का प्रयोग खूब करती थी।  1968 में उन्होंने रूबी लेज़र द्वारा भी उपचार शुरू कर  दिया था (मेरे खयाल से आजकल किसी भी चिकित्सालय में रूबी लेज़र द्वारा उपचार नहीं होता है)। आप इस बात पर ध्यान दें कि डॉ.  बुडविग का उपचार  एलडी तेल की खोज के पहले भी काफी सफल हुआ करता था और जो रोगी मंहगा एलडी तेल नहीं खरीद सकते या जिन्हें उपलब्ध नहीं हो पाता, वे इसकी जगह ठंडी विधि से निकला अलसी का तेल भी प्रयोग कर सकते हैं। अलसी का तेल भी लगभग एलडी तेल जैसा ही काम करता है।


जो लोग मंहगा होने के कारण एलडी तेल खरीद नहीं पाते हैं, वे इसे घर पर बनाने की नहीं सोचें। इसका सूत्र पूर्णतः गुप्त रखा गया है। इसे बेचने वाले भी नहीं जानते हैं कि इसमें क्या क्या और किस मात्रा में मिलाया जाता है। मुझे भी सिर्फ इतना ही मालूम है कि इसमें अलसी और व्हीट-जर्म ऑयल होता है, जो  इसकी शीशी पर भी लिखा होता है। लेकिन शीशी पर इनकी मात्रा नहीं लिखी होती है।  इनके अलावा इसमें एथेरिक तेल और सल्फहाइड्रिल ग्रुप भी होते हैं। एलडी तेल में इनके अलावा कुछ अन्य चीजें भी मिलाई जाती हैं, जिन्हें कोई नहीं जानता है।


एलडी तेल (ELDI Oil) सात प्रकार के होते हैं। Eldi Oil R सबसे ज्यादा प्रयोग में लिया जाता है और सबसे सस्ता है।


एलडी तेल (Eldi OilR) प्रयोग (मालिश एवं पेक) करने के निर्देश


एलडी आर तेल से दिन में दो बार पूरे शरीर पर मालिश करें। कंधों, छाती, ग्रोइन या उरूमूल, कांख (arm pit) और अन्य संवेदनशील स्थान जैसे आमाशय, यकृत आदि पर ज्यादा अच्छी तरह मालिश करें। तेल लगाने के बाद 15-20 मिनट तक लेटे रहें। इसके बाद बिना साबुन के गर्म पानी से शावर लें।  यह गर्म पानी त्वचा के छिद्र खोल देगा और त्वचा में गहराई तक तेल का अवशोषण होगा।  इसके  बाद 10 मिनट रुक कर  अच्छी तरह साबुन लगा कर  दूसरी बार शावर लें और साफ तौलिये से बदन पौंछ कर 15-20 मिनट तक विश्राम करें।
 बुडविग प्रोटोकोल के साथ हमेशा एलडी आर तेल (Eldi Oil R) का नियमित प्रयोग करना चाहिये। यदि इसे प्रयोग करने में परेशानी आये तब भी आप इसे प्रयोग करते रहें। लम्बे समय में आपको बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे।
एलडी तेल की अन्य किस्में-
एलडी तेल 95 ml की छोटी शीशियों में भी मिलता है। ये मंहगी होती हैं और इनमें खुशबू भी मिली होती है। ये निम्न प्रकार की होती हैं।
एलडी फोटो एक्टिव सिर्फ चेहरे के लिए
एलडी रोज़ स्त्रियों के लिए
एलडी टार्ट न्यू पुरुषों के लिए
एलडी एच एक्टिव सिर्फ वक्षस्थल (हृदय) के लिए
एलडी बाल्समिक साजे सिर्फ आयल पेक के लिए
आयल पेक लगाने के निर्देश
ऑयल पेक स्थानीय तकलीफों और स्थलान्तर (मेटास्टेसिस) के लिए ठीक रहते हैं। साफ सूती कपड़ा लें। उसे अंग के नाप के अनुसार काटें। इसे तेल में गीला करके अंग पर रखें, इसे ऊपर से पतले प्लास्टिक से ढकें और क्रेप बेन्डेज से बांध दें। रात भर बंधा रखे, सुबह खोल कर धोलें। रात भर तेल अपना असर दिखाता रहेगा। आयल पेक का प्रयोग हफ्तों तक करें। इसके लिए एलडी आर तेल काम में लें। ऑयल पेक स्थानीय तकलीफों के लिए ठीक रहते हैं।    
एलडी तेल जर्मनी के श्री ब्लोचिंग से मंगवाया जा सकता है। श्री ब्लोचिंग कई दशकों से  बुडविग के सहयोगी रहे हैं, इनसे  बुडविग प्रोटाकोल में प्रयुक्त अन्य सामग्री और पुस्तकें भी मंगवाई जा सकती हैं। इनका पता है।
Gesundheitsprodukte/Reformwaren Th. Bloching
Birkenweg 3
72250 Freudenstadt, Germany
फोन नं.: +49 7441-2877
फेक्स नं. : +49 7441-85765

इनसे ई-मेल द्वारा भी सम्पर्क किया जा सकता है। विषय लिखें- HC Eldi oils.


एलडी तेल का सरल तरीका यह है कि आप अरसुला की वेबसाइट http://budwigdvds.com पर चटका करें और सीधा ऑर्डर करें। यहां से आप  बुडविग प्रोटोकोल पर उनके द्वारा बनाई गई डी.वी.डी. “A day in the Budwig Diet” भी खरीद सकते हैं।


एलडी तेल
एम.एल.
कीमत
यूरो

अन्य सामग्री

ग्राम
कीमत
यूरो
एलडी आर
500
32.50
फ्लेक्ससीड गोल्ड
200
1.75
फोटो एक्टिव
95
11.90
कूटू धुले हुए
500
2.55
रोज़
95
10.70
कूटू साबुत
500
2.95
पुरुषों के लिए
95
10.70
ईस्ट फ्लेक्स
250
4.65
स्त्रियों के लिए
95
10.70
लिनोमेल(अलसी शहद)
250
3.95
हार्ट एक्टिव
95 
10.95 
हरी चाय 40 कप
80
9.85
बालसमिक साजे
240
18.70
कॉटन
200
3.55

















एलडी तेल  का अवधारण (Ritention) एनीमा  
कैंसर के गंभीर रोगियों को एलडी आर तेल का एनीमा रोज देना चाहिये।  डॉ.  बुडविग ने एनीमा के लिए स्पष्ट निर्देश नहीं दिये हैं। अतः रोगी की गंभीरता के अनुसार अपने विवेक से निर्णय लें।  तेल का अवधारण एनीमा बहुत सुकून और आराम देता है। डॉ. बडविग कैंसर की अन्तिम अवस्था से जूझ रहे गंभीर रोगियों को यह एनीमा देती थी और उन्हें बहुत चमत्कारी लाभ होता था।  यह दो चरणों में दिया जाता है। पहले मलाशय की सफाई हेतु पानी का एनीमा देते हैं और उसके बाद एलडी तेल या अलसी के तेल का अवधारण एनीमा दिया जाता है।  दोनों एनीमा के लिए एनीमा उपकरण  अलग-अलग रखें।


आवश्यक  सामग्री
  • एनीमा उपकरण - प्लास्टिक, स्टील  या एनामेल का ठीक रहेगा।
  • घड़ी, टीवी का दूरस्थ-नियंत्रण पट्ट (Remote Control)।
  • तरल खाली करने के लिए कोई जग या पतीली।
  • तोलिया और टिश्यू ।
  • डिसटिल्ड या अक्वागार्ड का निर्मल जल और एलडी या अलसी का तेल।
एनीमा के लिए सामान्य निर्देश
  • तरल का तापमान हमारे शरीर के तापमान जितना होना चाहिये। इसके लिए आप तरल में अपनी अंगुली डाल कर देख लें, न तो तरल ठंडा लगना चाहिये और न गर्म।  
  • एनीमा लेने का स्थान स्नानागार के पास का कोई कमरा होना चाहिये ताकि यदि आपको जोर से शौच लगे तो भागना नहीं पड़े। यदि स्नानागार बड़ा हो और उसमें लेटने की जगह हो तो वह भी उपयुक्त जगह है।
  • एनीमा केन शरीर से 12-18 इंच ऊंचाई पर लचकाना चाहिये।  एनीमा केन में तरल भरने के बाद नोजल की घुंडी को खोल कर थोड़ा तरल बहा देना चाहिये ताकि ट्यूब में हवा का कोई बुलबुला नहीं रहे। इसके बाद नोजल की घुंडी को पुनः बन्द कर दें। कई बार ट्यूब में हवा के बुलबुले रह जाते हैं और तरल के बहाव में रुकावट पैदा करते हैं।
  • मलद्वार में घुसाने से पहले नोजल पर कोई स्नेहन क्रीम जैसे वेसनीन या के वाई जैली लगा लेना चाहिये ताकि  मलद्वार में कोई खंरोंच नहीं लगे और दर्द भी नहीं हो।
  • जब सारी तैयारी हो जाये तो एनीमा लेने के लिए  दाहिनी करवट लेकर उकड़ू होकर लेट जाएं। कूल्हे के नीचे कोई पुराना तकिया भी रख लें।
  • अब बाएं हाथ से नोजल धीरे-धीरे मलद्वार में घुसाएं और घुंडी खोल दें। एनीमा लेते समय यदि कोई तकलीफ या दर्द हो तो घुंडी को बंद करदें और थोड़ी प्रतीक्षा के बाद जब दर्द मिट जाये तो पुनः प्रयास करें।

पानी का एनीमा
इसके लिए 500-1000 एम.एल. (2-4 कप) डिस्टिल्ड या अक्वागार्ड का निर्मल जल काम में लें। जैसे ही एनीमा केन का पूरा पानी मलाशय में चला जाये, तो आप धीरे से खड़े हो जाएं और कोमोड पर लगभग 10 मिनट तक सुकून से बैठ जाएं। मलाशय को आहिस्ता से खाली होने दें। 

तेल का एनीमा
इसके लिए 250-500 एम.एल. तेल प्रयोग करें। पानी का एनीमा लेने के तुरन्त बाद तेल का एनीमा लेना चाहिये।  तेल थोड़ा गाढ़ा होता है और धीरे निकलता है। इसलिए एनीमा केन को थोड़ा ऊंचा लयकाना चाहिये। ट्यूब में से हवा के बुलबुले निकलने में भी 5 मिनट लग जाते हैं। जब पूरा तेल मलाशय में चला जाये तो  रोगी को दाहिनी करवट लेकर 15 मिनट कर शान्ति से लेटे रहना चाहिये। इसके बाद आहिस्ता से बांई करवट लेकर 15 मिनट के लिए पुनः लेटे रहना चाहिये। शुरू में तेल को इतनी देर रोक पाना संभव नहीं होता है, लेकिन कुछ दिनों में तेल को  रोक पाने का अभ्यास हो जाता है। मलाशय की रक्त-वाहिकाएं तेल का अवशोषण कर यकृत में ले जाती हैं। लेकिन कभी भी तेल को रोकने के लिए बहुत ज्यादा ताकत नहीं लगाना चाहिये।  अधिकांश रोगी एनीमा लेते समय संगीत सुनना या टीवी देखना पसन्द करते हैं। एनीमा के बाद रोगी को अखबार या कोई पत्रिका लेकर 10-15 मिनट के लिए कोमोड पर सुकून से बैठे रहने चाहिये।

यकृत निर्विषीकरण - कॉफी द्वारा
अवरोही वृहद आंत्र (Descending Colon) का आखिरी हिस्सा अंग्रेजी के S अक्षर की घूमता है जिसे हम सिग्मायड कोलोन कहते हैं। सिग्मोयड कोलोन अन्त में रेक्टम से मिलता है। सिग्मोयड कोलोन तक आते आते मल से सारे पोषक तत्व रक्त में अवशोषित हो जाते हैं और बचता है बदबूदार और सड़ा हुआ अपशिष्ट (टॉक्सिन्स) से भरपूर मल।  सिग्मोयड कोलोन से यकृत के बीच कुछ विशेष तरह की रक्त-वाहिकाएं होती हैं जो इन अपशिष्ट तत्वों को निर्विषीकरण हेतु सीधा यकृत में पहुँचाती हैं तथा सामान्य रक्त-संचार द्वारा इन्हें शरीर के नाजुक और  संवेदनशील अवयवों में जाने से रोकती हैं। रेक्टम सामान्यतः खाली रहता है।   

कॉफी एनीमा  बुडविग आहार का दर्द-निवारण और यकृत के विष-हरण (Detoxification) हेतु प्रमुख उपचार है। इसे सर्व प्रथम 1930 में डॉ. मेक्स जरसन ने  कैंसर के उपचार के लिए विकसित किया था। जब हम कॉफी एनीमा लेते हैं तो कॉफी में विद्यमान केफीन सिग्मोयड कोलोन से सीधा यकृत में पहुँचता है और शक्तिशाली विष नाशक का कार्य करता है। यह केफीन यकृत और पित्ताशय को ज्यादा पित्त स्राव करने के लिए प्रोत्साहित करता है तथा यकृत और छोटी आंत शरीर के टॉक्सिन, पोलीएमीन, अमोनिया और मुक्त कणों को निष्क्रिय करते हैं।  कॉफी में थियोफाइलीन और थियोब्रोमीन होते हैं जो पित्त वाहिकाओं का विस्तारण कर दूषित कैंसर कारक तत्वों का विसर्जन सहज बनाते हैं और प्रदाह (Inflamation) को शांत करते है। 

1981 में डॉ. ली. वेटनबर्ग और साथियों ने सिद्ध किया था कि कॉफी में विद्यमान कावियोल और केफेस्टोल पामिटेट एन्जाइम ग्लुटाथायोन एस-ट्रांसफरेज़  तंत्र को उत्साहित करते हैं। यह तंत्र यकृत में ग्लुटाथायोन का निर्माण करता है जो महान एन्टीऑक्सीडेन्ट है और  कैंसर कारक मुक्त कणों और दूषित पदार्थों को निष्क्रिय करता है।  कॉफी एनीमा इस तंत्र की गतिविधि में 600% -700% तक की वृद्धि करता है।
सामान्यतः एनीमा को 12-15 मिनट तक रोका जाता है। इतने समय में शरीर का रक्त यकृत की वाहिकाओं में तीन बार  चक्कर लगा लेता है अतः रक्त का बढ़िया शोधन भी हो जाता है। 
सामान्यतः कॉफी एनीमा पहले सप्ताह रोजाना लेना चाहिये। यदि दर्द हमेशा बना रहता हो तो दिन में एक से ज्यादा बार भी ले सकते हैं। दूसरे सप्ताह हर दूसरे दिन एनीमा लेना चाहिये, तीसरे सप्ताह दो या तीन बार ले सकते हैं। बाद में सप्ताह में एक बार तो लेना ही चाहिये।

कॉफी एनीमा  
आवश्यक  सामग्री
  • प्लास्टिक, स्टील  या एनामेल का एनीमा बैग या उपकरण लेकिन प्लास्टिक का पारदर्शी एनीमा बैग बेहतर रहता है।
  • कॉफी उबालने के लिए स्टील की पतीली।
  • जैविक कॉफी बीन्स जिन्हें ताज़ा पीस कर प्रयाग करें।
  • निर्मल जल - क्लोरीन युक्त पानी को 10 मिनट तक उबाल कर प्रयोग किया जा सकता है।

एनीमा लेने का तरीका
  • पतीली में आधा लीटर से ज्यादा साफ पानी उबलने के लिए गैस पर रख दें। उबाल आने पर पतीली में 2 बड़ी चम्मच पिसी हुई जैविक कॉफी डाल कर पांच मिनट तक उबालें और गैस बंद कर दें। अब इसे तक ठंडा होने दें।  कॉफी में अंगुली डाल कर तसल्ली करलें कि इसका तापमान शरीर के तापमान से ज्यादा न हो।
  • अब कॉफी को स्टील की चलनी से छान कर एनीमा केन में भर लें। कॉफी छानने के लिए फिल्टर पेपर काम में नहीं लें। अब एनीमा केन के नोजल की घुन्डी खोल कर ट्यूब की हवा को निकाल कर पुनः घुन्डी बंद कर दें।  ध्यान रहे ट्यीब में हवा के बुलबुले नहीं रह जायें। फर्श या पलंग पर पुराना तौलिया बिछा लें। तौलिये के नीचे प्लास्टिक की शीट बिछाई जा सकता है ताकि फर्श या पलंग पर कॉफी के निशान न लगें।  कॉफी के निशान बड़ी मुश्किल से छूटते हैं। एक या दो पुराने तौलियों  को गोल लपेट कर सर के नीचे भी रख सकते हैं।
  • अब कोट के हैंगर से एनीमा केन को दो फुट या थोड़ा ज्यादा ऊंचाई पर दरवाजे के हैंडल या टॉवल स्टैंड से लटका दें।  ज्यादा  उंचाई पर लटकाने से कॉफी के बहाव का प्रेशर ज्यादा रहेगा और ट्यूब भी छोटी पड़ सकती है। कॉफी आहिस्ता से अन्दर जानी चाहिये। आपको ध्यान रखना चाहिये कि कॉफी रेक्टम और सिग्मोयड कोलोन से आगे नहीं जाये।
  • अब तौलिये पर पीठ के बल या दांई करवट से लेट कर एनीमा के नोजल पर वेसलीन, तेल  या के वाई जैली लगा कर धीरे से मलद्वार में घुसा कर घुन्डी खोल दें। आधी कॉफी (अधिकतम दो कप) अंदर जाने के बाद घुन्डी पुनः बंद कर दें और नोजल बाहर निकाल लें।  यदि थोड़ा भी कष्ट या दर्द हो तो भी घुन्डी तुरंत बंद कर दें। अब चुपचाप बिना हिले-डुले लेटे रहें। कॉफी को कम से कम 12 मिनट या थोड़ा ज्यादा समय तक रोकें और फिर मलाशय को खाली  कर लें। कई बार एनीमा लेते ही जोर से शौच लगती है तो  बिना विलम्ब किये शौच से निवृत्त हो लीजिये। इससे मलाशय की सफाई हो जाती है और अगली बार आप कॉफी को ज्यादा देर रोक पाते हो।  कभी भी एनीमा को रोकने के लिए बहुत अधिक ताकत नहीं लगाना चाहिये। अब एक बार फिर से बची हुए कॉफी के घोल का एनीमा लें और कम से कम 12 मिनट तक  रोकें।  पुनः गुदा को खाली करें और अच्छी तरह गुदा को धोयें।
  • तात्पर्य यह हे कि आपको दो बार एनीमा लेना है। हर बार लगभग दो कप घोल अंदर लें और  लगभग 12 मिनट तक रोकें। पूरी प्रक्रिया समाप्त होने पर सारे उपकरणों को गर्म पानी या एन्टी-सेप्टिक द्रव से अच्छी तरह घोकर सूखने रख दें।
  • यदि आप एनीमा लेने से आपकी धड़कन तेज या अनियमित हो जाये या कोई और तकलीफ हो तो कुछ दिनों या हफ्तों के लिए एनीमा नहीं लेवें।  या शुद्ध जैविक कॉफी ही प्रयोग करें और पानी भी साफ व छाना हुआ हो। आप धीरे धीरे कॉफी की मात्रा बढ़ा सकते हैं, परंतु दो चम्मच प्रति कप से ज्यादा नहीं बढ़ाये। एनीमा से आपको फायदा होने पर भी अपने चिकित्सक से पूछे बगैर एनीमा दिन में एक बार से ज्यादा कभी नहीं लें।
  • यदि आपको एनीमा लेने पर किसी भी तरह की प्रतिकूल शारीरिक तकलीफ हो तो आप  अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
  • यदि आप नियमित कॉफी एनीमा ले रहे हैं तो आपको पोटेशियम लेना चाहिये और एक एनीमा के लिए सब्जियों के रस के तीन ग्लास पीना चाहिये।

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