सुपर फूड कूट्टू (Buckwheat)
एक उत्कृष्ट अन्न और शक्ति का भण्डार
कूटू का हालांकि कुट्टू को अनाज की
तरह प्रयोग में लिया जाता है परन्तु यह बड़ी पत्तियों वाली रूबार्ब प्रजाति के एक
पौधे का बीज है। इसका वानस्पतिक नाम
फेगोपाइरम एस्कुलेन्टम (Fagopyrum esculentum) है। हालांकि यह अनाज नहीं है, लेकिन यह अनाज की तरह ही प्रयोग किया जाता
है। पोष्टिकता के हर मापदंड में यह गेहूं, चावल, मक्का आदि से उत्कृष्ट है। इसका
शर्करा-सूचकांक (Glycemic Index) गेहूं, चावल, मक्का आदि से
काफी कम हाता है। उत्तर भारत में नवरात्रि में हिन्दू अनुयायी अक्सर कूटू के आटे
की बनी चीज़ें खाते हैं, जैसे की कूटू की पूरी और कूटू के
पकौड़े। पंजाब में कूटू को 'ओखला' बोला
जाता है और इसके आटे का काफ़ी इस्तेमाल किया जाता है।
कुट्टू के छिलका उतरे दाने (Grouts) हल्के भूरे या हरे रंग के होते हैं, जबकि कूटू
के भुने हुए दाने गहरे भूरे और स्वाद में मेवे की तरह होते हैं। यह पूर्वी यूरोप
में लोगों का प्रमुख भोजन है, वहां इसे काशा कहते हैं। दाने दलिया हल्के हरे या
पीले से रंग का होता है। भुना दलिया जो गहरा भूरा होता है और जिसे “काशा” कहा जाता है, पूर्वी यूरोप में बहुत खाया जाता
है। वहां काशा को पुलाव की तरह प्याज, जैतून के तेल और अजमोद के साथ पकाया जाता
है। कुछ लोग इसे ओट के साथ पका कर फलों से सजा कर नाश्ते में खाते हैं। चीन, जापान
और कोरिया में कम से कम 1000 वर्षों में इसकी पैदावार होती है। वहां कूटू के सोबा
नूडल्स बहुत प्रचलित हैं। आजकल यूरोप में भी सोबा नूडल्स प्रचलित हो रहे हैं।
कूट्टू में गेंहूँ, चावल, मक्का और
बाजरा में ज्यादा प्रोटीन होता है और इसमें लाइसीन और आरजिनीन नामक अमाइनो एसिड्स
प्रचुर मात्रा में होता है जबकि अन्य मुख्य अनाजों में इनकी मात्रा बहुत कम होती
है। इसमें ग्लूटीन नही होता है, अतः यह उनके लिए भी उत्तम भोजन है जिन्हें ग्लूटेन
से एलर्जी है या सीलियक रोग है। इसमें अच्छे और संतुलित अमाइनो एसिड और भरपूर
फाइबर होने के करण यह कोलेस्ट्रोल कम करता है और खून में ग्लूकोज की मात्रा को
काबू में रखता है। अतः डायबिटीज और स्थूलता के रोगियों के लिए भी यह अच्छा आहार
है। इसके प्रोटीन उच्च-रक्तचाप में दी जाने वाली औषधि ACE Inhibitor (Angiotensin Converting Enzyme
Inhibitor) की तरह एंजियोटेंसिन कनवर्टिंग एंजाइम की गतिविधि को
शिथिल करते हैं।
कूट्टू में विटामिन्स व खनिज-लवण
जैसे जिंक, तांबा, मेंगनीज आदि प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसमें मौजूद फैट्स में
मोनो-अनसेचूरेटेड वसा का
प्रतिशत ज्यादा होता है जो हृदय के लिए लाभप्रद है, हालांकि इसमें अन्य अनाजों से
कम फैट होते हैं। इसमें घुलनशील फाइबर अपेक्षाकृत अधिक होता है, जो कोलेस्ट्रोल कम करता है और आंत के कैंसर से
बचाता है। इसमें विशेष प्रकार का अधुलनशील स्टार्च भी होता है जो आंतों को स्वस्थ
रखता है और रक्त में शर्करा के स्तर को काबू में रखता है। यह रक्तचाप, LDL कॉलेस्ट्रोल को कम करता है और स्थूलता कम करता है।
हाल ही में हुई शोध से संकेत मिले
हैं कि कूटू में फेगोपाइरीटोल (खासतौर पर डी-चिरो-आइनेसिटोल) नामक एक अनूठा
कार्बोहाइड्रेट होता है जो रक्त-शर्करा के नियंत्रण में बहुत प्रभावशाली है। कूटू
फेगोपाइरीटोल का सबसे अच्छा स्रोत है। कूटू में रुटिन नामक बायोफ्लेवोनॉयड प्रचुर
मात्रा में पाया जाता है। यह एक एन्टीऑक्सीडेन्ट है जो रक्त-परिवहन तंत्र के लिए
लाभदायक है और बवासीर, वेरीकोज वेन्स आदि विकारों में कमजोर वाहिकाओं के कारण होने
वाले रक्त-स्राव से बचाता है। रुटिन ACE
इन्हिबीटर की तरह भी कार्य करता है और रक्तचाप कम करता है।
No comments:
Post a Comment