बुडविग
प्रोटोकोल के अनुभव और प्रशंसा पत्र
(Budwig
ProtocolTestimonials)
Dr. O.P.Verma
M.B.B.S.,M.R.S.H.(London)
President, Flax Awareness Society
7-B-43, Mahaveer Nagar III, Kota(Raj.)
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डॉ. बुडविग की पुस्तक कैंसर – द प्रोब्लम एण्ड द सोल्यूशन से लिए गये कुछ
पत्र
जर्मनी के नियमों के अनुसार ये सारे मूल पत्र इस पुस्तक के प्रकाशक के
पास रखे हुए हैं।
*** पत्र संख्या 1 ***
66 सारब्रुकन
1
27.5.1983
इंटर
क्रांकिनवर्सिकेरुंग ऐ.जी. सारब्रुकन 14
6600 सारब्रुकन
1
संदर्भ
पॉलिसी नं.
मेरी
पत्नि मारिया किर्चनर
श्री
मान,
सन्
1982 के आखिर में मेरी पत्नि के लिम्फनोड की जांच हुई थी, जिसमें कैंसर
मेटास्टेसिस होने की जानकारी मिली थी। उसके बाद में हुए चेक-अप में ब्रेस्ट मिल्क
डक्ट और फेलोपियन टयूब में भी मेटास्टेसिस पाये गये थे। हमे बताया गया था कि अब मेरी
पत्नि का उपचार संभव नहीं है, सिर्फ यह कहा गया था कि कीमोथेरेपी देने से उसकी
उम्र 6-8 महीने बढ़ सकती है, लेकिन इसके बहुत साइड इफेक्ट्स भी होंगे। हमने कीमो
के लिए स्पष्ट मना कर दिया था।
हमने
वैकल्पिक चिकित्सा करवाने का विचार बनाया और इस बारे में मालूमात की तो किसी ने
हमें बुडविग उपचार के बारे में बतलाया। 10 वर्ष पहले सालुइस नाम की एक महिला ने
सारकोमा नामक कैंसर का उपचार डॉ. बुडविग से करवाया था। वह आज पूरी तरह स्वस्थ है।
जनवरी 1983 से मेरी पत्नि डॉ. बुडविग से उपचार ले रही है। कोर्ट ने ऐसे आदेश निकाले
हैं कि कैंसर का रोगी वैकल्पिक उपचार भी ले सकता है और जिसका खर्चा इंश्योरेंस
कम्पनी ही भुगतान करेगी। इसलिए मैं आपको खर्चों के सारे बिल संलग्न कर रहा हूँ।
मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि मुझे इस बिल का भुगतान 6 हफ्ते में किया जाये। मैं
उम्मीद करता हूँ कि आप भी व्यर्थ कानूनी विवाद से बचना चाहेंगे। ईश्वर की कृपा से मेरी
पत्नि डॉ. बुडविग के उपचार से स्वस्थ महसूस कर रही है और मैं उसके उपचार में
व्यस्त रहता हूँ।
भवदीय,
फ्रिट्ज
किर्चनर
जर्ग
हुल्फ हुसुमर स्ट्रीट 7
2000 हेम्बर्ग
20
*** पत्र संख्या 2 ***
सेवा
में
जनरल
ओर्ट्सक्रानकेनकास हेम्बर्ग,
कायज़र
विल्हेम-स्टीट 93.
2000
हेम्बर्ग 36,
हेम्बर्ग,
11 जुलाई, 1993
मान्यवर,
आपके
दस्तावेजों के अनुसार सितंबर, 1980 में मुझे बांये ऑर्बिटल ऐरिया में एडीनॉयड
सिस्टिक कार्सिनोमा ऑफ टियर डक्ट डायग्नोस हुआ था। इसके लिए मेरी सर्जरी हुई थी और
बांई आंख निकाल ली गई थी। लेकिन सितंबर, 1982 के बाद मुझे रिलेप्स हो गया था।
ओशसीनजोल हॉस्पीटल के ऑरल और मेग्जीलोफेशियल सर्जरी विभाग के डॉ. एम. ने मेरी फिर
से सर्जरी की थी। कैंसर के दूसरी आँख में फैलने का डर बना हुआ था, इसलिए मैंने डॉ.
बुडविग का स्थापित उपचार लेने का निर्णय किया। यह उपचार वैज्ञानिक तथ्यों पर
आधारित है, कई मेडीकल जरनल्स में प्रकाशित हुआ है और डॉ. बुडविग ने देश-विदेश में
कई प्रजेंटेशन दिये हैं। इस उपचार से मुझे निम्न लाभ मिले हैं।
1)
मेरे घाव आश्चर्यजनक ढंग से
बहुत जल्दी ठीक हुए हैं।
2)
मेरी दूसरी आँख की नजर में
सुधार आया है। मैं पहले 5.8 नं. का चश्मा लगाता था, अब 4.6 नं. का लगाता हूँ।
3)
मेरे पहले ऑपरेशन के बाद माथे
के बाल उड़ गये थे, जो अब फिर से आ गये हैं।
4)
इतने कम समय में मेरा
ब्लड-प्रेशर ठीक हो गया है।
5)
मैंने काम पर जाना शुरू कर दिया
है। मैं तन और मन से बहुत स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ।
6)
मेर पहली सर्जरी के पहले कभी
कभी सिर में माइग्रेन का दर्द होता था, लेकिन अब बहुत कम होता है और दवा लेने की जरूरत
भी नहीं पड़ती है।
7)
मेरे दांत में इन्फेक्शन था और
बहुत दर्द करता था। वह भी बिना किसी इलाज के ठीक हो गया है।
8)
मेरा पूरा परिवार भी
ऑयल-प्रोटीन डाइट ले रहा है। मेरी पत्नि को वेजीटेटिव डिसटोनिया की तकलीफ थी,
जिसके लिए हम कई सालों से इलाज भी करवा रहे थे पर कोई फायदा नही हुआ था। इस डाइट
से उसका यह रोग भी ठीक हो गया है और साथ में उसकी कब्जी भी मिट गई है।
मैंने
यह उपचार डॉ. बुडविग की देखरेख में लिया है।
आप
मुवावजे के रूप में मुझे इस उपचार पर हुआ पूरा खर्चा देने का श्रम करें। कोर्ट के
नियमानुसार आप यह भुगतान मेरे खाते में 15 अगस्त, 1983 तक जमा करवा दें।
धन्यवाद।
जोर्ग
हल्फ
मन्स्टरप्लेट्ज
45
79
उल्म-डेनेऊ
संलग्न
–
खर्चों
के सारे बिल आदि
*** पत्र संख्या 3 ***
ओर
से
फ्रिट्ज
जीलर
मुंस्टरप्लॉट्स
45
79
उल्म-डोनाओ
सेवा
में
श्री
एंत्जे ह्यूबर,
स्वास्थ्य
मंत्री,
24 जनवरी, 1981
आदरणीय
मंत्री महोदय,
कल
23 जून, 1981 को सुदवेस्ट पत्रिका में "लिटिल
सक्सेस इन द फाइट अगेन्स्ट कैंसर" नाम से एक लेख
प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि असेम्ब्ली में इस वर्ष के पहले सत्र में
आपने कैंसर रिपोर्ट में लिखा है: "कैंसर से लड़ने की
दिशा में हो रही शोध में कोई विशेष प्रगति नहीं हो रही है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह
है कि हमारे देश में हर वर्ष डेढ़ लाख लोग कैंसर से मर रहे हैं।"
कृपया
निम्न मामले पर गौर फरमाइये।
मैं
कैंसर के लिए हर हर 6 महीने में अपनी जांच करवाता हूँ लेकिन हर बार रिपोर्ट निल
आती है। फिर सन् 1979 के अंत में अपनी तसल्ली के लिए मैंने युनिवर्सिटी के
प्रोफेसर को दिखाया। उनकी जांच के अनुसार मझे प्रोस्टेट में कैंसर था। उन्होंने
युनिवर्सिटी क्लीनिक में मेरी सर्जरी करके प्रोस्टेट निकाल दी। इसके बाद उन्होंने
दूसरी सर्जरी करके मेरे दोनों टेस्टीज भी निकाल दिये। मेरा बोन सिंटिग्राम भी किया
गया जिसकी रिपोर्ट के अनुसार मेरे पूरे वर्टीब्रल कॉलम में कई जगह मेटास्टेसिस हो
चुके थे।
मेरे
ऑपरेशन के बाद डॉक्टर्स ने मेरी पत्नि को बुला कर बताया कि मेरी स्थिति बहुत खराब
है, कैंसर पूरे वर्टीब्रल कॉलम में फैल चुका है और मेरी दो साल की जिंदगी और बची
है। हॉस्पीटल से डिस्चार्ज होने के बाद मैं एक महान प्राकृतिक चिकित्सक से उपचार
लेने लगा। मेरा इलाज करने से पहले वह कैंसर के सैंकड़ों गंभीर और लाइलाज मरीजों का
सफलतापूर्वक उपचार आहार चिकित्सा से कर चुकी थी। उसकी आहार चिकित्सा से मुझे एक दम
से फायदा दिखना शुरू हुआ।
आज
दो साल बाद मेरा फिर से सिंटिग्राम हुआ है। ताज्जुब की बात यह है स्केन एकदम साफ
आये हैं और मेटास्टेसिस नहीं दिख रहे हैं।
हाल
ही मैंने जर्मन कैंसर एड (German Cancer Aid) को इस महान उपचार के बारे में
बताया है और इस सफल उपचार पर शोध करने का आग्रह किया है। कुछ दिनों के बाद जर्मन
कैंसर एड ने मुझे जवाब दिया है कि उनकी संस्था सिर्फ विज्ञान द्वारा प्रमाणित
रिसर्च प्रोजेक्ट्स के लिए ही मंजूरी देती है और धन मुहैया करवाती है। इस बारे में
मेरा कहना है :
लंबे
समय से कैंसर पर शोध एक पूर्व नियोजित दायरे, सिद्धांत और दिशा में ही हो रही है।
उन वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को हमेशा नकारा जाता रहा है जो इन विचारों और
सिद्धांत को गलत बताते हैं या इनसे हट कर कुछ सोचना चाहते हैं। मैं और मुझ जैसे
अनेक रोगी इस महान वैज्ञानिक और उपचारक के आभारी हैं। दशकों से शोध कर रही इस
वैज्ञानिक ने बायोलोजी, कैमिस्ट्री, फिजिक्स और मेडीसिन के सिद्धांतों के आधार पर
कैंसर का कारण खोजा है और इस नतीजे पर पहुँची है कि कैंसर एक फैट प्रोब्लम है और
इसे आहार में बदलाव लाकर सफलतापूर्वक ठीक किया जा सकता है। उनके निष्कर्ष अधिकतर
ऐलोपेथी और मार्जरीन के निर्माताओं को बड़े अप्रिय लगते हैं। इन लोगों का इरादा हर
कीमत पर सच्चाई की इस मूर्ति का मुँह बंद करना रहा है।
मैं
आपसे आग्रह करता हूँ कि आप मेरी रिपोर्ट्स और दस्तावेजों का गहन अध्ययन करें और
उचित कार्यवाही करें। हो सकता है आपको कैंसर पर विजय पाने की दिशा में कोई नई
सफलता मिल जाये। शोधकर्ता का नाम औप पता निम्न लिखित है।
डॉ.
जोहाना बुडविग,
72550
डाइटर्सवीलर-फ्रुडनस्टेट,
फोन
– 07441-7667 फेक्स – 07441-85125
उसने
दर्शनशास्त्र और प्राकृतिक विज्ञान में डॉक्ट्रेट की है और फिजिक्स और फार्मेसी
में स्टेट परीक्षा पास की है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि डॉ. बुडविग के प्रयासों से
कैंसर उपचार की वैकल्पिक विधाओं को प्रमाणिकता दी जायेगी।
फ्रिट्ज
जीलर
*** पत्र संख्या 4 ***
मेडीकल
डायरेक्टर : डॉ. मेड. डब्ल्यू हेलरिगल
मिस
डॉ. जोहाना बुडविग,
7291
लौटरबाद
उबर
फ्रुडेनस्टाड
आदरणीय
डॉ. बुडविग,
सादर
प्रणाम,
पिछले
दिनों आपने मेरी एक रोगी मिसेज हेरियट ...... जन्म 4 दिसंबर, 1931 का उपचार किया
है। उसकी जांघ पर मेलिगनेंट मेलेनोमा हुआ था, जिसे मई, 1969 में ओहियो के हॉस्पीटल
में सर्जरी करके निकाल दिया गया था।
लेकिन
सितंबर, 1970 में उसकी कनपटी के लिम्फनोड में मेटास्टेसिस हो गया था, जिसके लिए
रेडियोथेरेपी दी गई थी। जनवरी, 1971 उसकी गले में बांई तरफ के लिम्फनोड में भी में
मेटास्टेसिस हो गया था। इसके लिए भी रेडियो उपचार दिया गया था। मार्च, 1091 में तो
उसके पूरे शरीर और पीठ की स्किन में मेटास्टेसिस हो चुके थे।
आपका
उपचार शुरू करने के कुछ ही महीनों के बाद
उसके सारे लिम्फनोड्स और त्वचा के मेटास्टेसिस ठीक हो गये थे। साथ ही रक्त
के सारे टेस्ट और मार्कर्स भी सामान्य हो
गये थे। मैंने अपने पूरे जीवन काल में मेटास्टेसिस मेलिगनेंट मेलेनोमा के किसी भी
रोगी में इतना फायदा होते नहीं देखा है। मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा यदि आप मुझे
इस उपचार के बारे बतलाने का कष्ट करेगी।
मैं
इसी रोग के एक गंभीर रोगी का इलाज कर रहा हूँ। मैं इन रोगियों को उपचार के लिए
आपके पास आपके भेजना चाहूँगा। मुझे
प्रसन्नता होगी यदि मैं आपके निर्देशों के अनुसार इस रोगी का देखभाल कर पाऊँ। यदि
आप मुझे अपने उपचार के बारे बतायेंगी तो मैं अपने यहाँ भी मैं रोगियों को आपका
उपचार देना चाहूँगा।
मैं
आपके जवाब की प्रतीक्षा कर रहा हूँ। तब तक
" डा.
बुडविग की पुस्तक "डर टोड डेस ट्यूमर्स - II " (The Death of the Tumor - Vol.
II - Page 85) में इस रोगी के बारे लिखा गया है।
डॉ.
मेड. डब्ल्यू हेलरिगल
*** पत्र संख्या 5 ***
77963 श्वनाओ
27.09.1997
प्रिय
बुडविग मेडम,
आपका
90 वां जन्मदिन मेरे और मेरी पत्नि के लिए बड़ी खुशी का मौका है और हम आपको लम्बे
और स्वस्थ जीवन के लिए अभिनन्दन देते हैं। साथ ही हम आपको मेरी पत्नि के सफल उपचार
के लिए एक बार फिर तहे दिल से धन्यवाद देते हैं। आपका याद होगा कि 13 साल पहले मैं
मेरी पत्नि को किस हालत में आपके पास लेकर आया था।
लेरिंजियल
कार्सिनामो के कारण उसका पूरा लेरिंग्स निकाल दिया गया था। उसके लिम्फनोड्स और
थायरॉयड में मेटास्टेसिस हो चुके थे। उसकी स्थिति बहुत खराब थी और आसपास के
टिश्युज में कैंसर बुरी तरह फैल चुका था। कई घावों में नेक्रोसिस हो चुका था।
अर्लेंजन
क्लीनिक के फिजीशियन डॉ. स्टाइनर उसका उपचार कर रहे थे। उन्होंने कहा था कि अब
रेडियोथेरेपी ही एकमात्र उपचार बचा था और इसको देने पर भी वह एक वर्ष से अधिक नहीं
जी पायेगी। मैं उसकी बीमारी से सम्बंधित दस्तावेज संलग्न कर रहा हूँ।
तब
मैंने निर्णय लिया था हम रेडियोथेरेपी और कोई अन्य ऐलोपेथी उपचार नहीं लेंगे। और
आपके द्वारा विकसित की गई दिव्य आहार चिकित्सा से ही पत्नि का उपचार करवाऊँगा।
मेरे इस निर्णय ने मेरी पत्नि को सचमुच नया जीवन दिया है। इसलिए मैं आपका आजीवन
आभारी रहूँगा।
अन्त
में आपको बताना चाहता हूँ कि हम स्टुटगर्ट से फ्राइबर्ग चले गये हैं। मेरा पता उपर
लिखा है और मेरा फोन नम्बर ...... है। सादर।
आपका
क्लॉस
हिलर
*** पत्र संख्या 6 ***
दिनांक
30.07.1983
डॉ.
जी..स्कोप्का,
हार्टनफेल्सवेग
5,
5000 कोलोन
आदरणीय
डॉ. बुडविग,
मुझे
आपसे मिले हुए पांच हफ्ते हो गये हैं। मैं आपको मेरे पति की बीमारी का विवरण भेज
रही हूँ।
मेरे
पति को कई महीनों से खांसी, सांस लेने में तकलीफ और खांसी के साथ खून आने की तकलीफ
चल रही थी। फिर 9 जून, 1983 को उसकी तबियत बहुत खराब हुई, उसे सांस लेने मेंबहुत
कठिनाई हो रही थी और दम घुटने लगा था। मैं उसे लेकर युनिवर्सिटी क्लीनिक लेकर
गई। तुरन्त एमरजेंसी रूम में उसका उपचार
शुरू हुआ और उसे बेरोंकियल कार्सिनोमा डायग्नोस किया गया। डॉक्टर्स ने कहा कि कीमो
और रेडियो उपचार देने पर भी वह ज्यादा समय नहीं जी पायेगा।
मैं 17
जून, 1983 को आपके पास मदद के लिए आई थी। आपसे मिलने के बाद मैं उन्हें घर ले आई
थी। उसकी स्थिति बहुत खराब (तेज खांसी, डिसनिया और हीमोप्टीसिस की तकलीफ) थी। हमने उसे तुरन्त ऑयल-प्रोटीन डाइट और एलडी ऑयल
(बाहरी लेप) देना शुरू कर दिया और हॉस्पीटल की सारी दवाइयां बंद कर दी।
मेरा
पति की हालत में तुरन्त बहुत सुधार दिखाई दिया। सांस की तकलीफ एक ही दिन में पूरी
तरह ठीक हो गई। आज पांच हफ्ते में उसमें बहुत सुधार आया है। जल्दी ही वह पूरी तरह
ठीक हो जायेगा।
सादर
और आभार,
डोरोथिया
स्कोरपा
*** पत्र संख्या 7 ***
आदरणीय
डॉ. बुडविग,
सादर
प्रणाम,
आपके
कथनानुसार मैं अपने उपचार का पूरा ब्योरा भेज रही हूँ। सन् 1993 के शुरू में मेरी
जीभ के अगले सिरे पर एक छोटी सी गांठ हो गई थी। डॉक्टर ने कहा था कि यह साधारण
गांठ है और इससे कोई खतरा नहीं है, लेकिन मुझे इससे खाना खाते या बोलते समय थोड़ी
परेशानी होती थी। इसलिए मैं ई.एन.टी. क्लीनिक के प्रोफेसर ए. से मिली और सर्जरी
करवाने की बात कही। सर्जरी करवाते समय ही
मुझे लगा जैसे कुछ गलत हो रहा है। सर्जरी
बाद मेरी जीभ बहुत सूज गई थी और काली पड़ गई थी। मुझे दर्द भी बहुत हो रहा था।
इसलिए मुझे तीन दिन तक क्लीनिक में ही भरती रखा गया। क्लीनिक में मुझे बताया गया
कि मेरी गांठ बिलकुल सामान्य है और कोई खतरा नहीं है।
एक
हफ्ते बाद क्लीनिक से मुझे फोन आया और मुझे बताया कि मुझे सेलाइवरी ग्लेंड ट्यूमर
है। बाद में प्रोफेसर ने मुझे बताया कि उसे सर्जरी में कुछ दिक्कत आई थी, क्योंकि
कैंसर जीभ में फैल चुका था। अब वे मेरी एक
बड़ी सर्जरी और करना चाहते थे, जिसमें मेरी 3/4 जीभ निकाली
जायेगी और मुझे बेहोशी करना पड़ेगा। लेकिन मेरी कंसेंट भी नहीं ली गई। मुझे सर्जरी
करवाना उचित नहीं लगा। इसलिए मैंने सर्जरी के लिए मना किया और डर कर घर भाग आई।
डॉ.
बुडविग बरसों पहले मेरी मदद कर चुकी थी। इसलिए मैंने डॉ. बुडविग को फोन किया और
मिलने का समय तय कर लिया। उनसे मिल कर मैं बहुत संतुष्ट और सहज महसूस कर रही थी।
दूसरे दिन मेरे पास हमारे फैमिली डॉक्टर का फोन आया और उसने मुझे अपनी क्लीनिक पर
बुलाया। मैंने सोचा कि वह मेरे निर्णय का सम्मान करेगा और सांत्वना देगा। लेकिन वह
तो जैसे गुस्सा खाकर बैठा था और मेरे जाते ही चिल्ला कर बोला कि सिर्फ सर्जरी ही
मेरी जान बचा सकती है। उसने मुझे समझाने की कौशिश की कि यदि मैं सर्जरी नहीं
करवाती हूँ तो कुछ ही महीनों में कैंसर पूरे शरीर में फैल जायेगा।
उसने
मुझे एक कैंसर के रोगी से मिलने के लिए भी कहा, जिसकी जीभ की कुछ दिनो पहले ही
सर्जरी हुई थी। वह मुझे तो बोलने भी नहीं
दे रहा था। वह बार बार सर्जरी करवाने पर जोर डाल रहा था और कह रहा था कि सर्जरी
करवाने पर ही मैं कुछ साल जी पाऊँगी।
फिर
मैंने उसे कड़े शब्दों में कह ही दिया कि मैं सर्जरी नहीं करवाऊँगी। यह सुन कर वह
सारी शराफत छोड़ कर बदतमीजी से बोलने लगा कि तो जाओ मरो, अब तो भगवान भी तुम्हे
नहीं बचा सकता है। इस पूरे वार्तालाप में उसने सहानुभूति का एक भी शब्द नहीं बोला।
मैं उसकी क्लीनिक छोड़ घर आई। उसने मुझे बहुत डरा दिया था। मेरे पैरों के नीचे
जमीन खिसकी जा रही थी। मुझे आँखों के सामने मौत दिखाई दे रही थी। यह सुन कर मेरे
पति ने मुझे सीने से लगाया, प्यार से मेरी पीठ थपथपाई और सीधे मुझे डॉ. बुडविग के
पास ले कर गये। डॉ. बुडविग ने पहले तो मुझे शान्त रहने के लिए कहा और फिर अपने पास
बिठा कर बड़े बड़े प्यार से बात करने लगी। मुझे सारा उपचार समझाया। उनसे मिल कर
मैं नये जोश और उम्मीद से भर गई थी। बुडविग सचमुच ममता की मूरत थी।
घर आकर
मैंने बुडविग के निर्देशों के अनुसार ऑयल-प्रोटीन डाइट शुरू कर दी। जब भी कोई शंका
या परेशानी होती मैं बुडविग से बात कर लिया करती थी। लेकिन अभी भी मेरे फैमिली
डॉक्टर ने फोन करना और डराना नहीं छोड़ा था। मैं अक्सर डर जाया करती थी। कई बार
मुझे रात को बुरे सपने आने लगे। लेकिन मेरे पति हर कदम पर मेरे साथ थे। जब भी मेरा
मन खराब होता मैं डॉ. बुडविग से बात करती या उनसे मिलने डाइटर्सवीलर चली जाती थी।
उनसे मिल कर मुझे बहुत अच्छा लगता था।
दो साल
से मैं बुडविग उपचार ले रही हूँ, आज मैं बिलकुल स्वस्थ और खुश हूँ। मेरा कैंसर
पूरी तरह ठीक हो तुका है। यह सब डॉ. बुडविग का आशीर्वाद है। आज हम दोनों ओम खंड
बड़े चाव से खाते हैं। हम ईश्वर का कोटि-कोटि धन्यवाद करते हैं, जिसने हमें बुडविग
जैसे फरिश्ते के पास भेजा। आज मैं सोचती हूँ कि यदि सर्जरी करवाने से मैं बच भी गई
होती तो बिना जीभ के मेरा जीवन कितना कष्टदायक होता। ईश्वर डॉ. बुडविग को लम्बी
उम्र दे।
ए.
एसएच (वेस्टफेलिया)
बुडविग
प्रोटोकोल से ठीक हुए रोगियों के अनुभव और प्रशंसा पत्र
स्तन कैंसर (Breast Cancer)
शल्य, कीमो और रेडियेशन - एक त्रिधारी तलवार -
मुझे जुलाई, 2001 में ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोस हुआ
था। जिसके लिए मेरी दो बार सर्जरी हुई, 47 रेडियोथेरपी और 4 महीने तक कीमो दी गई
थी।
इसके बाद 2005 में मुझे बताया गया है कि मेरी
स्पाइन में मेटास्टेसिस हो चुके हैं। इसके लिए 11 जून, 2005 के मेरी बड़ी सर्जरी
हुई, मेरी स्पाइन खोखली और कमजोर पड़ चुकी थी, हड्डियों में छेद हो चुके थे।
सर्जरी सफल रही और मेरे स्पाइन से हड्डी के दो टुकड़े निकाल पर पेथोलोजी लेब में
भेजे गया। रिपोर्ट पोजीटिव थी। डॉक्टर्स ने कहा कि स्पाइन में मेटास्टोसिस होने के
कुछ ही महीनों में कैंसर किडनी, ब्लाडर और लंग्स में फैल जाता है और अब मैं 20
महीने से अधिक नहीं जी पाऊँगी। लेकिन वे मुझे कीमो और रेडियो देना चाहते थे। यह
मेरे लिए बहुत कष्टदायक बात थी। मुझे जुलाई में रेडियो के 10 राउंड दिये गये। मैं
बहुत परेशान हो चुकी थी। मैंने कहा अब मैं कोई रेडियो या कीमो नहीं लूँगी। मैं अब
मरना चाहती हूँ। मुझे मेरी मृत्यु को एंजोय करने दीजिये।
आरोग्य की राह पर पहला कदम -
लेकिन ....... मैं हार नहीं मानूँगी (मैंने अपने आप
से कहा)। मैंने ब्रेस्ट कैंसर के विरुद्ध इस युद्ध में जीतने का निर्णय किया।
मैंने ठान लिया था कि मुझे हर हाल में इस कैंसर से जीतना है। बस मैंने अपने
कम्प्यूटर पर रिसर्च करना शुरू किया। कई दिनों तक गूगल की गलियों की खाक छानती
रही। आखिर इस खोज ने मुझे जर्मनी की उस डॉक्टर तक पहुँचा ही दिया, जो कहती थी कि
उसके पास कैंसर का सरल इलाज है। यह सचमुच इतना आसान था।
कोल्ड-प्रेस्ड ऑर्गेनिक अलसी के तेल में सल्फरयुक्त
प्रोटीन (जो क्वार्क, जो जर्मनी में ही मिलता है... या कॉटेज चीज जो हर जगह मिलता
है या आप अपना कॉटेज चीज खुद ही घर पर बना सकते हैं) ब्लैंड करके लीजिये और ताजा
फल, सब्जियां तथा सूर्य की धूप का सेवन कीजिये।
अंतिम अवस्था के ब्रेस्ट कैंसर में चमत्कारी
फायदा
मैं यह सब लेती रही, 8 महीने तक ? नवंबर में मेरे बोनस्केन,
एम.आर.आई. और सी.टी. स्केन करवाये गये। ईश्वर का करम है, मेरे सारे स्केन्स में
कैंसर के कोई नामोनिशान नहीं थे, यहाँ तक कि मेरी स्पाइन की हड्डियों के छेद भी
भरना शुरू हो चुके थे। मेरा ओंकोलोजिस्ट स्तब्ध था! मैं खुशी
के उन्माद में डूब चुकी थी :)
और ......
2001 (जब मुझे पहली बार कैंसर डायग्नोस हुआ था) से 2005 (जब मुझे दूसरी बार
मेटास्टेटिक कैंसर हुआ) तक अमेरिकन कैंसर सोसाइटी से कोई फोन या सूचना नहीं मिली।
मैंने उन्हे दान दिया था। मैंने सुना था कि वे कैंसर के हर रोगी से सम्पर्क करते
हैं। मुझे एक शब्द भी सुनने को नहीं मिला! नहीं, अब मैं उन्हे डोनेशन कभी नहीं दूँगी।
कैंसर पर विजय के साथ बोनस भी मिला -
इस तरह मैंने कैंसर पर विजय प्राप्त की (इस बार
बिना किसी कीमोथेरेपी के और सच तो यह है कि ... कीमो से कैंसर कभी ठीक होता ही नहीं
है। मेरे अनुभवों से अनुसार कैंसर का उपचार सिर्फ और सिर्फ अलसी का तेल और सल्फरयुक्त प्रोटीन है)। इसके साथ
कैंसर के कारण खोखली हो चुकी हड्डियों में नये बोन टिश्यू बन रहे हैं, हड्डियों के
छेद भर गये हैं। मेरे दाहिने ब्रेस्ट में एक गोल्फ की बॉल के बराबर का स्कार टिश्यू
था वह सिकुड़ कर एक छोटे से सिक्के जितना रह गया है। मुझे विश्वास है कि 2006 में
वह भी ठीक हो जायेगा। इन सबके साथ मेरा वजन 70 पौंड कम हुआ है, वाह क्या बात है ! मैं साचती हूँ कि कुछ महीनों में मेरा वजन 10
पौंड और कम हो जायेगा। यह जीवन मुझे डॉ. बुडविग ने दिया है। आज मैं बहुत खुश हूँ,
आज मैं उड़ना चाहती हूँ। मैंने सिद्ध कर दिया है कि इंसान जो चाहे कर सकता है। बस
हिम्मत होनी चाहिये। - मेरी
स्तन कैंसर (Breast Cancer)
मिसेज. जीन डी. थोमस
मिसेज.
जीन डी. थोमस उम्र 51 वर्ष वजन 185 पौंड को स्टेज-4 मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर था
जो रीढ़ और बांह की हड्डी में फैल चुका था। पिछले वर्ष उसकी स्टेज
2बी थी और 2009 और 10 में उसकी शल्यक्रिया (lumpectomy), कीमो और रेडियो की गई थी। उसे गर्दन, कंधे और पीठ में बहुत दर्द रहता
था, जिसके लिए उसे फेन्टेनिल के पेच लेने पड़ते थे। उसे डायबिटीज भी थी। उसने स्पेन के बुडविग सेंटर के डॉ. जेनकन्स की
देखरेख में दिनांक 13 दिसंबर, 2010 से
बुडविग उपचार लेना शुरू किया था। उसे बहुत जल्दी फायदा हुआ और डेढ़ महीने बाद 5
फरवरी, 2011 को उसने डॉ. जेनकिन को यह पत्र लिखा।
मिसेज. जीन डी. थोमस (wndylynn@comcast.net)
शनिवार, फरवरी 05, 2011 5:18 AM
सेवामें
डॉ. जेनकन्स,
बुडविग सेंटर, स्पेन
संलग्न – ट्यूमर मार्कर रिपोर्ट
डॉक्टर,
मैं आपको मेरे ट्यूमर मार्कर की रिपोर्ट बताना चाह
रही हूँ। 13 दिसंबर, 2010 को जब मैं आपसे मिली थी तब मेरा CA 27-29 146.8 था। 2 जनवरी, 11 को ये घट कर 23.7 रह गया था। 0 से 37.7 नोरमल माना
जाता है। यानि मेरा नोरमल से भी कम आ गया है। मैं खुशी से रोमांचित हूँ। मुझे
विश्वास नहीं हो पा रहा है कि इतने कम समय में इतना आश्चर्यजनक फायदा हो सकता है। इसके
अलावा मुझे तीन फायदे और हुए हैं। एक तो 20 साल से मेरे कूल्हे पर एक गांठ (Fatty
Lump) थी जो गायब हो गई है। मेरे पैर के अगूठे पर भी एक नोड्यूल था
वह भी घुल गया है। तीसरा कई वर्षों से मेरी दाहिनी रिंग फिंगर में भी एक छोटी सी
गांठ थी, वह भी ठीक हो गई है।
इस
उपचार से मुझे बहुत फायदा हुआ है और जब तक आप कहेगे मैं यह उपचार लेती रहूँगी। मैं
जानती हूँ कि मुझे यह आहार चिकित्सा लंबे समय तक लेनी है। यह पत्र मैं आपको अभी तक
हुए जबर्दस्त फायदे बताने के लिए लिख रही हूँ।
-
जीन थोमस
स्तन कैंसर (Breast Cancer)
डालिस जुरादो (dalis1_1999@yahoo.com ),
पनामा
डॉ. जेनकन्स,
मारीपोसा क्लीनिक, स्पेन।
मैं आपको बहुत अच्छी खबर दे रही हूँ। मैंने अपना
केट स्केन, लेब टेस्ट और मेमोग्राफी करवाई है। मैं ईश्वर, अपने परिवार और विशेष
तौर पर आपको बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ कि मैं अब बिलकुल स्वस्थ हूँ, मुझे बहुत
अच्छा लग रहा है, मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं है, अब मुझे कोई ब्रेस्ट कैंसर नहीं
है। मैं आपका उपचार ईमानदारी से ले रही हूँ, परहेज भी कर रही हूँ। मैं आपसे पूछती
हूँ कि क्या मुझे अलसी का तेल और पनीर जीवन भर लेना पड़ेगा। मेरा प्रोल्क्टिन
हार्मोन थोड़ा ज्यादा है, उसके लिए मुझे क्या करना चाहिये। अगले वर्ष मैं आपसे
मिलने स्पेन आ रही हूँ, ताकि मैं आपसे मिल कर आपको धन्यवाद दे सकूं। मैं हमेशा
आपके स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए ईश्वर से दुआ मांगती हूँ। यहाँ मैं अपने पति
की बहुत प्रशंसा करना चाहूँगी, जिसने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया, मुझे संबल दिया,
चिकित्सक होने के नाते हमेशा आपके उपचार पर पूरा विश्वास रखा और इस उपचार यात्रा
में हर कदम पर मेरा शत प्रतिशत साथ दिया। आप मेरी प्रतिक्रिया अपनी सबके साथ साझा
करें, जिसे दूसरे रोगी भी प्ररणा ले सकें।
ब्रेस्ट कैंसर
सन् 2000 की गर्मियों में बेल्जियम की लगभग 50
वर्षीय मगदा को ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोस हुआ था। इसके लिए उसे हार्मोन उपचार दिया
गया, जिससे उसे कई साइड-इफेक्ट्स हो रहे थे। उसे हमारी क्लीनिक के बारे में मालूम
था, इसलिए परामर्श के लिए वह मेरे पास आई। वह बहुत घबराई हुई थी, क्योंकि उसके
परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का लंबा इतिहास था और परिवार की कई स्त्रियों ने बड़े
कष्ट झेले थे। लेकिन वह फिर भी खुशकिस्मत थी, क्योंकि उसके कैंसर का निदान
प्रारंभिक अवस्था में ही हो गया था। हमने विस्तार से उसके कई परीक्षण किये तथा
बुडविग प्रोटोकोल, डिटॉक्स प्रोग्राम, होम्योपेथी और हर्बल उपचार देना शुरू किया। दो महीने
बाद वह अपने पुराने चिकित्सक के पास दिखाने गई, जिसने उसे हार्मोन उपचार दिया था।
उसके फिर से टेस्ट किये गये, लेकिन इस बार
उसके शरीर में कैंसर के कोई चिन्ह नहीं पाये गये। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है
और अहतियात के तौर पर हर्बल उपचार और अलसी का तेल ले रही है।
-
डॉ. जेनकन्स
ब्रेस्ट कैंसर
जून 2000 में स्पेन की अंतोनिया (उम्र लगभग पचास
वर्ष) की मलागा, स्पेन में ब्रेस्ट कैंसर के लिए सर्जरी हुई थी। साथ में कीमो और
हार्मोन उपचार भी दिया गया था। कैंसर चिकित्सकों ने उसे पांच साल तक उपचार लेने की
सलाह दी थी। तभी उसे किसी ने हमारे संस्थान के बारे में बतलाया। जब वह हमारे यहाँ
आई तो इतनी कमजोर हो चुकी थी कि उसे सहारा
देकर कार से उतार कर अंदर लाया गया। हमने उसके ई.ए.वी. और खून के टेस्ट किये। कीमो
और हार्मोन उपचार लेने के बावजूद भी उसको कई जगह मेटास्टेसिस हो चुके थे। 1 नवंबर,
2000 को हमने उसका उपचार शुरू किया। 6 हफ्ते बाद वह हमारी क्लीनिक पर दोबारा जांच
के लिए आई। तब हमने जांच में पाया कि उसके
शरीर में कहीं भी मेटास्टेसिस नहीं थे। वह काफी ऊर्जावान लग रही थी। वह बड़े आराम
से कार से निकल कर अंदर आई। उसकी दिनचर्या में सुधार आ चुका था। उसने खरीदारी और
घर के छोटे-मोटे काम करना शुरू कर दिये थे। वह खुश थी और हमारे उपचार से पूरी तरह
संतुष्ट नजर आ रही थी।
ब्रेस्ट कैंसर
नीदरलैंड की 49 वर्षीय सबीन हायनमन (12sabine@gmail.com) को बांये स्तन
में कैंसर हुआ था। कैंसर तीन लिम्फ नोड्स
और पीठ में भी फैल चुका था। उसकी सर्जरी की गई थी और कीमो की 18 सायकल्स दी गई।
इसके बाद उसने हमारे यहाँ भरती होकर दो हफ्ते तक बुडविग उपचार लिया। 7 फरवरी, 2011
को उसने हमारे उपचार को माइंड ब्लोइंग बताते हुए शुक्रिया अदा किया। 25 मार्च को
डॉ. नवारो क्लीनिक से उसके टेस्ट की रिपोर्ट भी आ गई थी। उसका नवारो टेस्ट 51.4
पॉइंट था (49 पॉइंट का मतलब होता है कि आपको कैंसर नहीं है)। वह नियमित बुडविग
उपचार ले रही है और बहुत स्वस्थ महसूस कर रही है।
ब्रेस्ट कैंसर
हेलो डॉ. बेकविद, "मैंने आपके टेस्टीमोनियल्स की नकल एक महिला (ऐन्डी)
को दी थी जिसे ब्रेस्ट कैंसर हुआ था और
उसका एक ब्रेस्ट निकाल दिया गया था। कैंसर काफी फैल चुका था और एक साल के भीतर
उसके दूसरे ब्रेस्ट की भी सर्जरी करना जरूरी लग रहा था। उसकी कीमो और रेडियो
थेरेपी हो चुकी थी। डॉक्टर्स के पास अब कोई इलाज नहीं बचा था, इसलिए उसे घर भेज
दिया था। तब वह मेरे पास आई। वह बहुत
कमजोर हो चुकी थी। वह अपने दैनिक कार्य भी नहीं कर पाती थी। उसे कोई उम्मीद नहीं
थी कि वह बच पायेगी। हमने उसे बुडविग प्रोटोकोल शुरू किया। शुरू के कुछ दिन तो वह
थकावट और कमजोरी की शिकायत करती रही। लेकिन चौथे दिन से उसमें शक्ति का संचार होने
लगा और वह अच्छा महसूस करने लगी। कुछ ही हफ्तों में उसने क्लब जाना शुरू कर दिया
था। वह कनाडा घूमने भी गई थी, जहाँ उसे बहुत पैदल भी चलना पड़ा, लेकिन उसे कोई
परेशानी नहीं हुई। दो हफ्ते पहले ही कैंसर
चिकित्सक ने उसकी जांच की है। उसका दूसरा ब्रेस्ट अब पूरी तरह ठीक है और किसी तरह
की तकलीफ नहीं है। चिकित्सक ने उसे एक साल बाद जांच के लिए बुलाया है।"
उसने मुझे कल ही फोन करके
एक बार फिर शुक्रिया अदा किया है। उसने कहा है कि यह सारा चमत्कार अलसी के तेल का
है। उसने वादा किया कि वह अलसी का तेल हमेशा लेती रहेगी।
ब्रेस्ट कैंसर
कुछ सालों पहले हमारी एक
मित्र ने मेमोग्राम करवाया था। डॉक्टर को कैंसर का सन्देह हो रहा था। इसलिए उसने
कहा कि कुछ हफ्तों बाद उसकी बायोप्सी करेंगे। लेकिन उसने किसी के कहने से रोजाना
अलसी का तेल और पनीर लेना शुरू कर दिया। बायोप्सी रिपोर्ट से सिद्ध हो गया था कि
उसे कैंसर है। उसके दूसरे टेस्ट भी किये
गये और मेस्टेक्टॉमी करने का निर्णय लिया गया। लेकिन सर्जन ने कहा कि अभी ऑपरेशन
नहीं करेंगे, बल्कि 6 हफ्ते बाद रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के साथ ही मेस्टेक्टॉमी
करेंगे। लेकिन बाद में सभी ने सोचा कि सर्जरी में देर करना ठीक नहीं है, क्योंकि
कैंसर के फैलने का खतरा था। इसलिए ऑपरेशन द्वारा ब्रेस्ट निकाला गया और बायोप्सी
के लिए भेजा गया। यकीन मानिये बायोप्सी
में कैंसर का कोई नामोनिशान नहीं था। सर्जन ने पूछताछ की तो उसने बताया कि वह
नियमित बुडविग प्रोटोकोल ले रही है। सर्जन अचानक चौंका और उससे इस उपचार के बारे
में जानकारी लेने लगा क्योंकि उसकी पत्नि को भी ब्रेस्ट कैंसर था और उसके दोनों
ब्रेस्ट का ऑपरेशन हो चुका था। उसकी हालत बहुत गंभीर थी और वह कई जगह उसका इलाज
करवा चुका था, लेकिन कहीं कोई फायदा नहीं हो रहा था। अब उसने पत्नि को बुडविग
प्रोटोकोल देना शुरू किया है। मैंने सुना है कि उसकी हालत में बहुत सुधार आ रहा
है।
ब्रेस्ट कैंसर
पिछले
साल फरवरी में हमारे प्रोस्टेट कैंसर ग्रुप की मीटिंग में बुडविग की कुछ टेप बांटी
गई थी। उस दिन एक अजनबी अपनी पत्नि के साथ आया था, जो फिर कभी दिखाई नहीं
दिया। पत्नि को ब्रेस्ट कैंसर था,
मेस्टेक्टॉमी हो चुकी थी और ब्रेस्ट में एक फफोला हो गया था। उसके डॉक्टर ने कहा
था कि यह हीमेटोमा है और इसके लिए कुछ करने की जरूरत नहीं है। लेकिन वह बढ़ता जा
रहा था। इसलिए वह दूसरे डॉक्टर को दिखाने गई। उसने जांच करके बताया कि उसे तेजी से
बढ़ने वाला दुर्लभ प्रजाति का कैंसर है। स्थिति बहुत गंभीर है और स्टेमसेल
ट्रांसप्लांट के अलावा कोई उपचार नहीं बचा है। वह रोने लगी और अपने पुराने डॉक्टर
पर गुस्सा करने लगी क्योंकि उसने बेकार में ही एक महीना खराब कर दिया था। अब वह नियमित बुडविग
प्रोटोकोल ले रही है।
स्टेमसेल ट्रांसप्लांट से
पहले हुए चेकअप में डॉक्टर ने बताया कि उसका कैंसर पूरी तरह ठीक हो चुका है। डॉक्टर
अचंभित था लेकिन कह रहा था कि ट्रांसप्लांट नहीं किया गया तो यह दोबारा हो जायेगा।
डॉक्टर ने उसे इम्युनिटी बढ़ाने के लिए
कुछ दवा दी गई और उस पर प्रयोग कर रहा था। उसे मालूम था कि वह अलसी का तेल ले रही
है। पिछली क्रिसमस (1999) से पहले मुझे मालूम हुआ था कि वह अलसी का तेल बराबर ले
रही है और अच्छा महसूस कर रही है।
ब्रेस्ट कैंसर
1996 की गर्मी में डेबी
हमसे मिली जब वह ब्रेस्ट कैंसर के लिए तीसरी कीमो लेने जा रही थी। हमने उसे बुडविग
की टेप दी, जिसको उसने रास्ते में ध्यान से सुना। उसने सोच लिया कि वह बुडविग
उपचार अवश्य लेगी। जब चौथी कीमो के पहले उसके व्हाइट सेल काउंट किये गये, तो
डॉक्टर ने बताया कि उसके काउंट कम होने के बजाये बढ़े हैं। उसने चौथी कीमो ली और
इस बार भी उसके काउंट्स बढ़े थे। बस उसने निर्णय लिया कि अब वह कीमो नहीं लेगी।
डॉक्टर्स ने उसे बहुत डराया, लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। धीरे धीरे उसकी गांठ
सिकुड़ने लगी और वह बहुत खुश थी। उसे लग रहा था कि जल्दी ही वह पूरी तरह ठीक हो
जायेगी। जब भी मैं उसे फोन करता हूँ, वह खुदा का शुक्रिया करते हुए जवाब देती
है।
ब्रेस्ट कैंसर
हाय, नमस्ते जी, "मुझे ब्रेस्ट में her2/neu पॉजीटिव कैंसर की गांठ (7.5 सैं.मी.) हुई है। सर्जन गांठ का थोड़ा सा हिस्सा ही निकाल पाया और
मुझे कीमो लेने की सलाह दी। मैं तीन कीमो ले चुकी हूँ, लेकिन मेरे शरीर के सारे
बाल झड़ चुके हैं, मैं बहुत बीमार महसूस कर रही हूँ और मेरा इम्युन सिस्टम बुरी
तरह बिगड़ चुका है। इसलिए मेरी बहिन गूगल पर कैंसर के वैकल्पिक उपचार ढूँढ़ती रहती
थी, तभी उसे बुडविग प्रोटोकोल के बारे में मालूम पड़ा। इसको पढ़ कर हम बहुत
उत्साहित हुए और तुरन्त यह उपचार शुरू कर दिया। उस समय मेरा कैंसर काउंट 78 था।
तीन हफ्ते के बाद अगली कीमो के पहले मेरा कैंसर काउंट 43 आ चुका था। यह सब बुडविग
प्रोटोकोल का कमाल था। अकेले कीमो से काउंट पर कोई असर नहीं होता था। जब मैंने
कीमो बंद की तब काउंट 23 था, दो महीने बाद वह
और कम हो गया था।
अब मैं आपको सबसे अच्छी
खबर दे रही हूँ। मेरी एक सहेली को ब्रेस्ट कैंसर हो गया था, मेस्टेक्टॉमी हो चुकी
थी और कीमो दी जाने वाली थी। वह बुडविग उपचार लेने से झिझक रही थी। लेकिन मैंने पीछे पड़ कर उसे प्रोटोकोल लेने के
लिए मना लिया था, जिसे उसने गंभीरता से
शुरू भी कर दिया था। कीमो भी शुरू हो गई थी। हेयर रिमूवर कीमो एजेंट एड्रियामाइसिन
भी दी गई थी। आज उसकी कीमो बंद हो चुकी है, लेकिन तब से लेकर आज तक उसका एक भी बाल
नहीं झड़ा है। न उसे कभी उबकाई आई, न मुँह में कोई छाला हुआ, न व्हाइट सेल कम हुए,
और इस भीषण सर्दी के मौसम में न कभी उसे सर्दी, जुकाम या काई तकलीफ हुई है।"
"हां
दोस्तों, दुर्भाग्यवश मेरे डेड को भी लिंफोमा कैंसर हो गया था और मैंने उन्हें भी
बुडविग उपचार शुरू करवा दिया है। आपको विश्वास करना मुश्किल होगा, पर आज वे पूर्ण
स्वस्थ हैं। यह तो चमत्कार ही हुआ है!!! उनकी बड़ी गाठें
सिकुड़ कर मटर के दाने जितनी रह गई हैं, वे भी जल्दी ही मिट जायेंगी। मैं तो यही
कहँगी कि बुडविग उपचार बहुत कारगर है और बहिन को धन्यवाद देने के लिए मेरे पास
शब्द ही नहीं है। "
आभार,
लाइनेट
ईमेल - lynette@insureme.co.za
(ब्लाडर कैंसर के निम्न तीन क्लिफ बेकविद और
विल्हेम एच. के दस्तावेजों से लिए गया हैं – आभार www.healingcancernaturally.com)
ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor)
नवंबर, 2008 में एक पांच बच्चों की मां लटेशिया
स्पेंसर को ब्रेन ट्यूमर हुआ और समय की विडम्बना देखिये कि इस कठिन घड़ी में उसका
पति उसे अकेली छोड़ कर भाग गया था। ऐसी परिस्थिति में बुडविग सेंटर ने बिना फीस
लिए बुडविग पद्धति द्वारा उपचार शुरू किया और हर्बल दवाइयां भी उपलब्ध करवाई। इस
उपचार से उसे बहुत फायदा हुआ।
11 महीने बाद 19 सितंबर,
2009 में वह अपनी प्रतिक्रिया बताते हुए लिखती है, "हेलो डॉ. जेनकन्स, आपने मुझ पर कितना बड़ा उपकार किया है। आपके
मार्गदर्शन से ही आज मैं इतना स्वस्थ महसूस कर रही हूँ। मैं सचमुच बहुत खुश हूँ।
अब मुझे सॉवरक्रॉट पीना बहुत अच्छा लगता है। मेरे बच्चे बहुत खुशकिस्मत हैं। इस
बार मेरे पी.ई.टी. स्केन में कोई ब्रेन ट्यूमर नहीं आया है। शरीर में कैंसर का कोई
निशान नहीं बचा है। इस सबके लिए मैं आपकी शुक्रगुजार हूँ। आपकी लंबी उम्र के लिए
दुआ मांगती हूँ। जल्दी ही आपको मेरा फोटो भी भेजूंगी।
- लटेशिया (natimomof5@yahoo.com )
ब्रेन कैंसर
-एडीनोमा
रविवार, 30 नवंबर, 2003 – क्लिफ
बेकविद लिखते हैं, " मैं कनाडा के एक रोगी को जानता
हूँ, जो बुडविग से उपचार ले रहा था। उसके ब्रेन में ऐडीनोमा नाम का कैंसर था। उसकी
हालत बहुत गंभीर थी। उसे कलर ब्लाइंडनेस
हो चुकी थी, उसे लाल रंग दिखाई नहीं देता
था। वह 1997 में बड़ी आशा लेकर बुडविग से मिलने जर्मनी गया था। कनाडा आकर उसने पूरी ईमानदारी से प्रोटोकोल
शुरू किया। दो सप्ताह में उसे अच्छा महसूस होने लगा। तीन सप्ताह बाद उसकी नजर में
सुधार आने लगा। कुछ महीनों बाद उसे लगने लगा जैसे उसका ट्यूमर ठीक हो चुका है। कुछ
दिनों में चिकित्सकों ने उसकी जांच करके कह दिया कि अब उसके ब्रेन में कोई ट्यूमर
नहीं है। बह बहुत स्वस्थ और खुश है और
अपना व्यवसाय कर रहा है। वह अभी भी प्रोटोकोल ले रहा है, लेकिन उतनी सख्ती से
नहीं। यह उपचार ल्यूकीमिया समेत सभी तरह के कैंसर में काम करता है।"
ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor)
दिसंबर 18, 2005 में मेरी बेटी को ग्लायोमा नाम का
ब्रेन ट्यूमर हो गया था। उसकी हालत बहुत गंभीर थी इसलिए डॉक्टर ने उसे कीमो या
रेडियो देना भी उचित नहीं समझा। उन्होंने कहा कि उसके बचने की भी कोई उम्मीद नहीं
बची थी। फिर एक मित्र की सलाह पर हमनें उसे बुडविग प्रोटोकोल देना शुरू किया, तीन
सप्ताह बाद बाद उसकी हालत में सुधार आने लगा। उसकी देखभाल करने वाले डॉक्टर्स ने
भी कही कहा कि यह तो चमत्कार ही हुआ है। इसके
बाद उन डॉक्टर्स ने अपने मरीजों को भी बुडविग प्रोटोकोल देना शुरू कर दिया।
ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor)
33 वर्षीय डोरोथी मेकोर्ड
को बांई तरफ फ्रंटल ग्लायोमा, लीवर और ओवेरियन कैंसर था। मेटास्टेसिस भी हो चुके
थे। मैं नीचे उसका पत्र दे रहा हूँ जो उसने डॉ. लॉयड जेनकन्स को उपचार शुरू करने
के कुछ महीने बाद लिखा है।
डोरोथी
मेकोर्ड (sdmc17@msn.com)
गुरूवार, सितंबर 2, 2010 4:29 PM
सेवामें
डॉ. लॉयड जेनकन्स
हेलो डॉ. जेनकन्स, " मैं आपको अपनी प्रतिक्रिया
दे रही हूँ। कल मैंने अपना अल्ट्रा साउंड करवाया है। मेरी ओवरी में अब कोई सिस्ट
या गांठ नहीं है (पहले एक सिस्ट तो नीबू के बराबर की थी)। मेरी ओवरी अब बिलकुल ठीक
है। इसके अलावा मेरे लीवर की गांठ भी 6 सैं.मी. से सिकुड़ कर 1.1 सैं.मी. रह गई
है। यह तो चमत्कार ही हुआ है। मैं अपनी खुशी का इज़हार किन शब्दों में करू। मैं तो
खुशी से फूली नहीं समा रही हूँ। मैं लंबे
समय तक इस उपचार को लेती रहूँगी। मैं आपकी
आभारी हूँ और बहुत धन्यवाद देती हूँ।
-
डोरोथी मेकोर्ड
बोन कैंसर (Bone Cancer)
इना एस. वेस्ट, फ्लोरिडा
"मुझो बान कैंसर हुआ था। मेरे डॉक्टर ने सहानुभूति जताते हुए मुझसे कहा था कि
वे मेरे लिए कुछ भी करने में असमर्थ हैं। पिता की तरह मेरे माथे पर हाथ रख कर कहा
कि मेरी स्थिति बहुत गंभीर है। उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे। इतना कह कर वे चले
गये। लेकिन मैं विचलित नहीं हो रहा था। मैं शुरू से ही धर्म और चर्च से जुड़ा था।
मुझे ईश्वर पर पूर्ण विश्वास था। हालांकि मुझे कहा गया था कि मैं मुश्किल से 3 से
6 महींने जी पाऊँगा। कैंसर से मेरा वर्टीब्रल कॉलम बहुत कमजोर हो चुका था। मेरी
रीढ़ की 9 हड्डियां सिकुड़ चुकी थी। इस कारण मेरे कंधे और छाती में बहुत पीड़ा
होती थी। हमेशा दर्द-निवारक दवा लेनी पड़ती थी। मेरी हड्डियां गल चुकी थी। थोड़े
से झटके या दबाव से हड्डी टूटने का खतरा बना रहता था।
डॉ.
केली ने मुझे बुडविग उपचार और एंजाइम्स लेने की सलाह दी। मैंने गंभीरता से इस
उपचार लेना शुरू किया। एक साल बाद मेरी हालत में बहुत सुधार आया। मैंने पुनः अपनी
धार्मिक गतिविधियां और लम्बी यात्राएं शुरू कर दी।
बोन कैंसर (Bone Cancer)
(डॉ. बुडविग की पुस्तक डर टोड डेस ट्यूमर्स – II से [The Death of the Tumor, vol. 2])
मुझे कई हड्डियों में कैंसर हुआ था। जिसका उपचार हेतु मैं
बुडविग प्रोटोकोल ले रहा था। कुछ महीने बाद मैं डॉक्टर के पास चेक-अप करवाने गया।
मेरे एक्सरे करवाये गये। फिर डॉक्टर ने नये और पुराने एक्स-रे का अवलोकन करते हुए
कहा कि मिसेज. के. आप बहुत भाग्यशाली हैं। आपकी हड्डियों के आधे से ज्यादा
कैंसरग्रस्त टिश्यू ठीक हो चुके हैं (पेज 14)। गली हुई हड्डियां अब मजबूत और स्वस्थ हो गई
हैं। कॉलरबोन (Clavicle) का तीन से. मी. हिस्सा पूरी तरह गल चुका था जिसमें अब नये स्वस्थ अस्थि
ऊतक (Bony Tissue) बन चुके हैं। वह सचमुच अचंभित था।
बोन कैंसर (Bone Cancer)
टांग की हड्डी में सारकोमा (p. 28)
डाक्टर्स
ने कहा था कि टांग काटने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। लेकिन
डॉ. बुडविग के आग्रह करने पर डाक्टर्स ने रोगी का ऑपरेशन स्थगित कर दिया।
फिर डॉ. बुडविग ने बच्चे का उपचार शुरू किया। यह मई, 1956 की बात है। उपचार शुरू
करने के सिर्फ 14 दिन बाद बच्चा अपनी टांग को हिलाने डुलाने लगा। 20 अगस्त को हुए एक्स-रे में सुधार दिखाई दिया।
टांग में 3 सैं.मी. की गांठ सिकुड़ कर ½ सैं.मी.
की रह गई (यह दिसंबर, 1956 में लिखा गया) ।
चेहरे की हड्डी का कैंसर (p.
36)
"डॉ. बुडविग, मैं अक्टूबर, 1973
से आपका उपचार ले रहा हूँ और पूरी तरह शाकाहारी बन गया हूँ। मैं आपका शुक्रिया अदा
करना चाहता हूँ। आज मैं पूरे विश्वास से कहता हूँ कि आपकी आहार-चिकित्सा से कैंसर
पूरी तरह ठीक हो सकता है। अक्टूबर में मैं पूरी तरह हताश हो चुका था और जीने की
कोई आशा नहीं थी। 6 महीनें में 35
रेडियेशन, तीन ऑपरेशन और मेरे लेफ्ट पेलेट में हुई गांठ ने मुझे पूरी तरह तोड़ कर रख दिया था। जीने की
हौसला भी नहीं बचा था। यदि मैं आपके पास नहीं आता तो मेरा बचना नामुमकिन था। आपसे
मिल कर मुझे जीने की इच्छा पैदा हुई। बस मुझे ग्लानि इस बात की है कि यदि मैं आपसे
तीसरे ऑपरेशन से पहले मिल लेता तो मुझे अपनी एक आँख, नाक व मुंह का कुछ हिस्सा,
पूरा पेलेट (तालु) और ऊपर के कुछ दांत गंवाने नहीं पड़ते।"
इस रोगी के बारे में बुडविग
की प्रतिक्रिया
यह रोगी अक्टूबर, 1973 में
मुझसे मिलने आया था। उसके चेहरे की कई हड्डियों में मेटास्टेसिस हो चुका था। उसके
तीन ऑपरेशन भी हो चुके थे, जिनमें उसकी एक आँख, चेहरे के एक तरफ की कुछ हड्डियां,
ऊपर का जबड़ा निकाला जा चुका था। अब वह दोराहे पर खड़ा था, एक रास्ता कैंसर के उन
चिकित्सकों की तरफ जाता था, जो उसकी दूसरी आँख भी निकाल लेना चाहते थे। दूसरा
रास्ता मेरी तरफ आ रहा था। उसने मेरे पास आना ही उचित समझा। मैंने उसे ऑयल-प्रोटीन डाइट और एलडी तेल का लेप
करने की सलाह दी। आज वह बहुत अच्छा महसूस कर रहा है। वह स्वस्थ और खुश है। उसकी
नजर ठीक हो गई है। (1974 में लिखा गया)
ब्लाडर कैंसर
सितंबर 2000 में मुझे यूरीनरी ब्लाडर में कैंसर हुआ था और तभी
से मैंने ईमानदारी से बुडविग उपचार लेना शुरू किया था। अप्रेल में मेरी बायोप्सी
हुई जिसमें कैंसर का कोई अवशेष नहीं बचा था। मेरे यूरोलोजिस्ट में भी स्वीकार किया
कि मेरा कैंसर बुडविग उपचार से ठीक हुआ है। अब मेरी जांच दिसंबर में होगी। मेरा
पी.एस.ए. 1.02 है। ब्लाडर में कैंसर का कोई सबूत नहीं है। मैंने सिर्फ बुडविग
उपचार लिया है। मैं इसे कभी नहीं छोड़ूँगा। आप में आश्चर्य करेंगे कि मैं कितना स्वस्थ
और शक्तिमान महसूस कता हूँ।
चार्ल्स
ब्लाडर कैंसर
हमारी चर्च में एक व्यक्ति
को ब्लाडर में कैंसर था। उसे हर 15 मिनट में यूरीन करने टॉयलेट जाना पड़ता था। तभी
उसने बुडबिग प्रोटोकोल शुरू किया। कुछ समय बाद उसे अच्छा तो महसूस होने लगा पर वह
अलसी के तल और पनीर से उकता गया था। उसने एक मित्र को कहा भी था कि फायदा नहीं
होगा तो वह बुडविग प्रोटोकोल लेना छोड़ देगा। लेकिन कुछ ही दिनों बाद जब डॉक्टर ने
उसका चेकअप किया तो बड़े अचरज के साथ कहा कि अब उसके ब्लाडर में कोई कैंसर नहीं है
और सब कुछ ठीक लग रहा है। उस व्यक्ति ने बताया कि बरसों बाद वह इतना अच्छा महसूस
कर रहा है।
ब्लाडर कैंसर
हाल ही
में मेरी एक अच्छी मित्र मेरी जो बेयर्ड से फोन पर बात हुई है और उसने कहा कि डेढ़
साल पहले डॉक्टर ने उसे ब्लाडर कैंसर बताया था। उसने तुरन्त बुडविग प्रोटोकोल शुरू
किया। 6 महीने में उसे बहुत फायदा नजर आया। उसे कुछ अन्य बीमारियां भी थी, लेकिन
पिछले चेकअप में उसके ब्लाडर में कोई कैंसर सेल्स नहीं पाये गये। उसने इसका पूरा
श्रेय अलसी के तेल को दिया। वह पूरी विश्वास से अलसी का तेल ले रही है। मुझे समझ
में नहीं आता कि मेडीकल डॉक्टर्स इस उपचार को क्यों नहीं मानते हैं ???
ब्लाडर कैंसर
मेरा नाम जॉर्ज ??? है। मेरी उम्र 71 वर्ष है और मेसाचुसेट्स,
यू.एस.ए. में रहता हूँ। जनवरी, 2004 में मुझे मालूम पड़ा कि मुझे ब्लाडर में कैंसर
हो गया है। पेशाब में खून आता था। यूरोलोजिस्ट ने बताया कि यूरेथ्रा के पास ब्लाडर
में एक गांठ है, जिसे उसने सिस्टोस्कोपी से निकाल दिया है। पेथोलोजिस्ट ने इसे
ग्रेड 3/3 पेपिलरी ट्रांजीशनल
सेल कार्सिनोमा बताया।
मई, 2004 में मैंने
न्यूयॉर्क के डॉ. निकोलास गोंजालेज और उनके एंजाइम उपचार के बारे पढ़ा। तब मुझे
पेशाब में बहुत खून आने लगा था। मैं न्यूयॉर्क जाकर उनसे मिला और उपचार शुरू किया।
उन्होंने मुझे 187 तरह की गोलियां दी, जो मुझे रोज लेनी पड़ती थी। यह बड़ा मुश्किल था। उनके उपचार में पेनक्रियेटिक पोर्क एंजाइम, शाकाहारी और जैविक
आहार, डिटॉक्स प्रोग्राम आदि शामिल थे। मैंने नवंबर, 2004 तक उनका उपचार लिया।
लेकिन उनके उपचार से मुझे फायदानहीं हो रहा था। पेशाब में खून आना बंद नहीं हो रहा
था, बल्कि नवंबर माह के अंत में तो ब्लीडिंग और बढ़ गई थी और बहुत सारे खून के
क्लॉट्स निकलते थे। परेशान होकर मैंने डॉ. निकोलास को फोन किया, उन्हें सारी स्थिति
समझाई और बताया कि मैं उनका उपचार बंद कर रहा हूँ। क्योंकि उनके उपचार से मुझे कोई
राहत नहीं मिल रही थी। वे भी सहानुभूति दर्शाते हुए सॉरी फील कर रहे थे। तभी मेरा
एम.आर.आई. हुआ। ब्लाडर की गांठ बढ़ कर आड़ू के बराबर हो चुकी थी। मैं बहुत घबरा
गया था। जहाँ भी मैं गया, सभी डॉक्टर कीमो और सर्जरी की बात कह रहे थे। लेकिन मैं
यह उपचार लेना नहीं चाह रहा था।
तभी कैंसर पर बर्टन
गोल्डबर्ग की एक किताब मेरे हाथ लगी। मैंने भगवान से यह प्रार्थना करते हुए कि इस
पुस्तक में मेरी बीमारी का कोई बढ़िया इलाज मिल जाये, भगवान का नाम लेते हुए डरते
हुए किताब खोली। जो पेज खुला उसका शीर्षक अलसी का तेल था। मैं अलसी के तेल के बारे
सुन चुका था, लेकिन कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया था। बस मैंने गूगल पर भी
बहुत खोजबीन की, क्लिफ बेकविद और बार्लियन
से भी मिला। आपकी साइट भी देखी। इस तरह दिसंबर, 2004 से विधिवत बुडविग प्रोटोकोल
लेना शुरू किया। मैंने जैविक और शाकाहारी भोजन लेना जारी रखा। साथ में गाजर, एप्पल
और सीलरी (अजमोद) का ज्यूस में पिसी अलसी मिला कर ले रहा था। किचन में रिवर्स
ऑस्मोसिस वाटर फिल्टर लगवा लिया था, खूब ग्रीन टी पीता था और महीने में एक-आध बार
सालमोन मछली भी खा लिया करता था।
सभी रिश्तेदार, दोस्त और
चर्च के लोग मेरे लिए प्रार्थना करते थे। इन दिनो मैं गाइडेड इमेजिनरी और
विज्वलाइजेशन का अभ्यास भी करने लगा था। मुझे लगता था कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण
रखना जरूरी है। तभी शरीर, मन और आत्मा में संतुलन बनेगा और उपचार तभी काम करेगा।
एक खराब बात यह हुई कि
मेरे सारे रिश्तेदार कीमो लेने के लिए दबाव डालते थे और उनके दबाव के कारण जनवरी,
2005 से अप्रेल, 2005 के बीच कीमो लेनी ही पड़ी।
यह बहुत बुरा अनुभव रहा। लेकिन मैंने बुडविग प्रोटोकोल नहीं छोड़ा था। मैं
अब 8-10 टेबलस्पून अलसी का तेल और आधा कप कॉटेज चीज़ ले रहा हूँ। फिर मेरा सी.टी.
स्केन हुआ, जिसमें गाठ 2/3 छोटी हो
चुकी थी। मुझे असीम खुशी थी कि अलसी का
तेल अपना जादू दिखा रहा था। मैंने कीमो बंद कर दी, जिसके लिए डॉक्टर्स बहुत नाराज
भी हुए। मई में मेरा एम.आर.आई. हुआ जिसमें कोई कैंसर की गांठ नहीं थी, बस गांठ की
जगह एक प्लाक था। यह प्रोस्टेट के कारण भी हो सकता था। इसके बाद जून में मेरा
सी.टी. हुआ, जिसमें मेरा प्लॉक का कुछ हिस्सा मिट चुका था। मेरी अगली एम.आर.आई.
दिसंबर में होगी।
मुझे पूरा विश्वास है कि
प्रार्थना, गाइडेड इमेजिनरी और बुडविग उपचार से सब कुछ ठीक हो जायेगा। ईश्वर
बुडविग की आत्मा को शांति दे, वह हम सबके लिए प्ररणा की स्रोत है।
बेसल सेल कार्सिनोमा
दोस्तों,
मैं आपको मेरे दाहिने हाथ में हुए बेसल सेल कार्सिनोमा और उसके जादुई उपचार के
बारे में बतलाता हूँ। इसके लिए मैंने स्किन स्पेशलिस्ट को बताया। उसने इसके कुछ
टिश्यू निकाल कर बायोप्सी ली और उसकी रिपोर्ट आने तक कुछ दिन प्रतीक्षा करने की
बात कही। एक मित्र की सलाह से इस बीच मैंने रोज दिन में तीन बार अलसी की पुलटिस
बांधना शुरू कर दिया। रोज हाथों पर अलसी का तेल रगड़ भी लेता था। धीरे-धीरे कैंसर
घुलने लगा। लेब की रिपोर्ट आने तक पूरी गांठ ही मिट चुकी थी। मेरा डॉक्टर भी इस
करिश्मे से बहुत अचंभित था।
सर्वाइकल कैंसर
जूडिथ स्मिथ उम्र 57 वर्ष को
स्टेज 4 सर्वाइकल कैंसर
"डॉक्टर्स ने उसे कहा था कि वह मुश्किल से तीन महीने जी पायेगी और वह
कभी अपने पोते-पोतियों का चेहरा नहीं देख
सकेगी।"
जुलाई,
2010 में अचानक मेरी मां की मृत्यु हो गई। दो दिन बाद ही मेरी बहिन जूडिथ की तबितत
खराब हुई और डाक्टर्स ने उसे गंभीर कैंसर बता दिया। कैंसर अंतिम अवस्था में था।
हमें ऐसा लगा जैसे हमारे नीचे धरती ही फट गई हो। आनन फानन में अगस्त से उसकी कीमो
और रेडियो शुरू की गई, जिसके कारण अक्टूबर में उसका एक गुर्दा खराब हो गया। दूसरे
गुर्दे की स्थिति भी ठीक नहीं थी। लीवर भी ठीक से काम नहीं कर रहा था। वह बहुत
कमजोर हो चुकी थी और वजन घट कर 42 किलो रह गया था। कैंसर उसके दाहिने कूल्हे में
फैल चुका था, और नाडियों पर दबाव डाल रहा था। जिससे वह बार-बार गिर जाती थी और पैर
तथा टांगे सुन्न हो चुकी थी। फिर अचानक नवंबर में उसके पेट में बहुत ब्लीडिंग
हुई। हम उसे तुरन्त अस्पताल लेकर गये।
डॉक्टर्स कह रहे थे कि हम आधा घंटा और देर कर देते तो उसको बचाना मुश्किल हो जाता।
कुछ दिनों बाद वह डिस्चार्ज हो कर घर तो आ गई, परन्तु वह बहुत कमजोर हो चुकी थी।
वह जो कुछ खाती पीती थी, वह उलटी कर देती थी।
मैं स्पेन में रहता हूँ और
मुझे बुडविग सेंटर की जानकारी थी। मुझे हर्बल और प्राकृतिक चिकित्सा पर बहुत
विश्वास था। इसलिए मैंने बुडविग प्रोटोकोल
के बारे में विस्तार से पढ़ना शुरू किया। नवंबर में मैं इंगलैंड गया। सबसे पहले तो
हमने उसे ऐलोवेरा देना शुरू किया, जिससे उसका हाजमा तो ठीक होने लगा। कमजोरी के
कारण वह डॉ. जेनकन्स से मिलने स्पेन जाने की स्थिति में नहीं थी। इसलिए हमने डॉ.
जेनकन्स से बात की तो उन्होंने कहा कि उसे बुडविग उपचार देना तो शुरू कर ही दो।
हमने उसे अलसी के तेल का एनीमा और
धीरे-धीरे ऑयल-प्रोटीन डाइट देना शुरू किया। कुछ ही दिनों में उसमें सुधार
दिखाई देने लगा।
क्रिसमस के ठीक दो दिन
पहले जूडिथ उसके कैंसर विशेषज्ञ से मिलने गई। उस समय उसकी इकलौती बेटी पहली बार
गर्भवती हुई थी और जूडिथ अपने नाती को देखने के लिए व्याकुल थी। उसने कहा कि नाती
के जन्म तक वह जिन्दा नहीं रहेगी। विशेषज्ञ के इस व्यवहार से उसे बहुत सदमा
पहुँचा। हमने उसे बतलाया कि हम वैकल्पिक उपचार ले रहे हैं, क्योंकि आपके इलाज से
कोई फायदा नहीं हो रहा है। उसने हमें फिर
डराते हुए कहा कि हम व्यर्थ पैसा और समय बर्बाद कर रहे हैं, इस नीम-हकीम इलाज से
कोई फायदा होने वाला नहीं है। लेकिन हमें
तो हर हाल में कैंसर पर विजय प्राप्त करनी थी।
कुछ हफ्तों बाद जब हम उसी
विशेषज्ञ के पास गये तो जूडी का चेकअप करने के बाद वह आश्चर्य चकित था। वह मुझसे
आँखें नहीं मिला पा रहा था, दबी आवाज में कहने लगा कि इसके कैंसर की गांठे तो ठीक
हो चुकी है। उसने तीन महीने बाद फिर आने को कहा। जूडी चार महीने से डॉ. लॉयड
जेनकन्स का उपचार ले रही है। उसमे ताकत लौट आई है। अब वह रोज डेढ़ घंटा अपने कुत्ते
का घुमाती है। धीरे-धीरे उसके पैरों में आई सुन्न ठीक हो रही है और उसका वजन भी
बढ़ रहा है।
डॉ. जेनकन्स अपने सघन
उपचार में बहुत सारी गोलियां भी देते हैं। जूडी को शुरू में यह मुश्किल लग रहा था।
लेकिन यह उपचार काम करता है। और धीरे-धीरे सब आसान होता चला गया। डॉ. जेनकन्स
हमेशा मददगार बने रहे।
कोलोन कैंसर
इस रोगी को तीन साल से
कोलोन में कैंसर था, जो लीवर और आमाशय में फैल चुका था। पेट में मायोमा भी हो चुका
था। बुडविग लिखती हैं, "वह
स्विटजरलैंड से गोटिंजन में हमारी सर्जरी क्लीनिक पर दिखाने आई थी। उसे क्लीनिक के
कई डाक्टर्स ने देखा और क्रिसमस के दिन उसकी सर्जरी होने जा रही थी। उन्हें डर था
कि उसके कैंसर की गांठ आंत को पूरी तरह ब्लॉक कर देगी। लेकिन मेरी सलाह पर डाक्टर्स
ने ऑपरेशन स्थगित कर दिया। और मैंने उसे ऑयल-प्रोटीन डाइट देना शुरू किया। जल्दी
ही उसकी आंते हरकत में आ गई। सात हफ्ते
में उसकी गांठ ठीक हो गई थी और हमने उसे घर भेज दिया। आश्चर्य की बात यह थी कि
पासपोर्ट में उसका फोटो देख कर स्विट्जरलैंड के
कस्टम ऑफीसर विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि यह पासपोर्ट इसी महिला का है।
क्योंकि उसकी शक्ल बिलकुल बदल चुकी था। घर पर भी सभी ने उसका बड़े प्यार से स्वागत
किया और कहा कि आप तो बिलकुल सुन्दर और युवा दिख रही हो। उसने भी कहा कि मुझे
बचाने का पूरा श्रेय डॉ. बुडविग को जाता है। यह विवरण बुडविग की डर टोड डेस
ट्यूमर्स पार्ट 2 (The Death of the Tumor - Vol. II - p. 111 ) से लिया गया है।
कोलोन कैंसर
ऐन्जल टोलेडो, स्पेन – 15 जुलाई
43 वर्षीय ऐन्जल को तीस
वर्ष से कोलोन में आई.बी.एस. रहता था, इसके बाद उसके कोलोन में कैंसर हो गया था और
जिसके लिए हमने उसे 15 दिन तक घर पर ही बुडविग आहार, ज्यूस और हर्बल दवाइयां देना शुरू कर दिया था।
इसके बाद वह 18 जुलाई को हमारे बुडविग सेंटर आया था। उसके पेट में तेज दर्द होता
था। हमने उसे विशिष्ठ मेगनेटिक पेड पर सोने और बैठने की सलाह दी। 24 घंटे में ही
उसे बहुत फायदा हुआ। वह बहुत खुश था। चौथे दिन हमने उसे सिगरेट छुड़ाने के लिए
ई.एफ.टी. का सेशन करवाया। इस सेशन के बाद उसने कभी सिगरेट को हाथ नहीं लगाया।
कोलोन कैंसर
मैं 42
वर्षीय पुरुष हूँ और मई, 2004 में मझे कोलोन कैंसर बताया गया था। जिसके लिए मेरा
कीमो, रेडियो और सर्जरी द्वारा उपचार किया गया। इस उपचार से मेरी हालत बिगड़ती चली
गई। मैं सबसे अलविदा कह चुका था। बचने की कोई उम्मीद नहीं बची थी। मैं बहुत कमजोर
हो चुका था। बार-बार ब्लीडिंग होती थी। कैंसर हड्डियों में फैल चुका था, जिसके
कारण तेज दर्द होता था। मेरा बेटा 9 वर्ष और बेटी मात्र 2 वर्ष की थी। हमेशा उनके
भविष्य की चिंता लगी रहती थी। मुझे समझ में आ चुका था कि ऐलोपेथी के डॉक्टर्स
कैंसर के उपचार के बारे में कुछ नहीं समझते हैं। तभी किसी मित्र ने मुझे चेरिल के
बारे में बतलाया। मैंने बिना समय गंवाये उसे फोन किया। उसने मुझे बुडविग प्रोटोकोल
के बारे में बताया। उससे बात करके मुझे लगा कि मुझे यह उपचार लेना ही चाहिये।
अक्टूबर के महीने से मुझे ऐसा लगने लगा कि मुझमें जीवन लौट रहा है। मैं चलने-फिरने
लगा था। दर्द लगभग मिट चुका था। नवंबर से तो मैं काम पर भी जाने लगा था। इस
चमत्कार से मेरा डॉक्टर बहुत अचंभित था। लेकिन यह सब मेहनत और समर्पण का नतीजा था।
मैंने जीवन में स्वस्थ और जैविक आहार को अपना लिया था। चेरिल हमारी बहुत मदद करती
थी। उसने हमें सॉवरक्रॉट, केफिर चीज़, ब्रेड और अंकुरित बनाना सीखा दिया था। उसने
हमें सही तरह से ज्यूस निकलना, ओम-खंड बनाना और कई व्यंजन बनाना भी सिखा
दिया था। मैं कपड़े उतार कर रोज धूप चिकित्सा
लेता था। एलडी तेल का मसाज, बॉडी ब्रशिंग और रिबाउंडर पर उझलना रोज के काम बन गये
थे।
मैं अब स्वस्थ हूँ। बुडविग
प्रोटोकोल ने मुझे नई जिंदगी दी है। कैंसर के रोगियों से मैं इतना ही कहूँगा कि
स्वयं पर पूरा विश्वास रखें। आप चाहें तो कैंसर को परास्त कर सकते हो। बस शुरू हो
जाइये। देर मत कीजिये, जीवन अनमोल है। यह विवरण बुडविग की डर टोड डेस ट्यूमर्स
पार्ट 2 (The Death of the Tumor -
Vol. II) से लिया गया है। 11 सितंबर, 1967 को बुडविग ने स्टुटगर्ट
रेडियो स्टेशन पर प्रसारित अपने इंटरव्यु में भी इसके बारे में जिक्र किया था।
कोलोन कैंसर
कुछ वर्ष पहले मेरी 80
वर्षीय कजन एमिली को कोलोन में कैंसर हो गया था। उसके कोलोन में संतरे के बराबर की
गांठ थी जिसके लिए उसकी सर्जरी की गई थी। उसके बाद कीमो भी दी गई। जिससे उसे कई
साइड इफेक्ट्स हो रहे थे। तभी उसे किसी ने बुडविग उपचार के बारे में बताया और उसने
यह उपचार शुरू कर दिया। वह अलसी का तेल, कॉटेज चीज़, और अन्य सभी फल आदि एक साथ
ब्लेंडर में मिला कर लेना शुरू कर दिया। लेकिन आशानुसार फायदा नहीं दिख रहा था।
पूछताछ करने पर हमें पता चला कि वह पहले तेल और पनीर को ब्लेंड नहीं कर रही थी,
बल्कि सारी चीजें मिला कर एक साथ ही ब्लेंड कर रही थी। जो गलत था। सारी चीजें एक
साथ मिलाने से प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड की सही बॉन्डिंग नहीं हो पाती
है।
इस बीच ऐमिली की जांघ में
भी एक गांठ हो गई, उसको भी सर्जरी करके निकाला गया। इस सर्जरी में पैर की एक नाड़ी
भी काटनी पड़ी, जिससे उसे पैर को हिलाने-डुलाने में परेशानी होने लगी। फिर धीरे-धीरे सुधार आने लगा और उसने ड्राइविंग
भी शुरू कर दी थी। अब उसने तेल और पनीर को ठीक से मिलाना सीख लिया था। फिर भी उसका डॉक्टर कीमो
के लिए दबाव बना रहा था। उसकी बेटी भी कीमो लेने के लिए कह रही थी, लेकिन उसने साफ
मना कर दिया था। वह बुडविग उपचार से खुश थी।
कल रात उसका फोन आया था। उसका पी.ई.टी. हुआ है,
जिसमें कैंसर का कोई सबूत नहीं है। उसके ऑकोलोजिस्ट ने भी उसे कैंसर-फ्री घोषित कर
दिया है। वह खुशी से फूली नहीं समा रही है।
ग्लायोब्लास्टोमा
मल्टीफोर्म
4 सितंबर, 2002 – 2 फरवरी, 2002 को मैं अपने पति टॉम को लेकर
अस्पताल पहुँची क्योंकि उसे तेज सिरदर्द और बार-बार उलटियां हो रही थी। हम सोच रहे
थे कि शायद यह माइग्रेन का अटेक है, लेकिन एम.आई.आर. कुछ और कहानी बयां कर रही थी।
उन्हें ब्रेन ट्यूमर हुआ था। 12 फरवरी को उनकी सर्जरी हुई। बायोप्सी की रिपोर्ट
में ग्लायोब्लास्टोमा मल्टीफोर्म स्टेज IV निकला था। यह बहुत घातक और तेजी से फैलने वाला कैंसर
होता है। डॉक्टर कह रहे थे कि उसके पास मुश्किल से 26 सप्ताह का समय है। अगर वह
रेडियोथेरेपी लेता है तो एक साल तक जी सकता है। टॉम आठ दिन बाद घर आ गया था। हमे समझ में नहीं आ रहा था कि हमें क्या करना
चाहिये। इसलिए हमने डॉक्टर के कहे अनुसार रेडियो लेने का निर्णय लिया। रेडियो ने
पांच ही दिन में उसे तोड़ कर रख दिया। उसकी सारी शक्ति खत्म हो चुकी थी। मार्च में
टॉम की हालत देखते हुए हमारे कुछ दोस्तों ने हमे बताया कि कैंसर पर विजय प्राप्त
करने के लिए बुडविग प्रोटोकोल बहुत अच्छी
वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है। हमें रेडियो से कोई उम्मीद नहीं थी, इसलिए बुडविग
प्रोटोकोल लेने का निर्णय ले लिया। टॉम
पूरी श्रद्धा से यह उपचार लेने लगा।
तीन महीने बाद उसकी
एम.आर.आई. हुई। स्केन बिलकुल क्लीन था, बस जहां से गांठ निकाली गई थी वहाँ एक छोटी
सी लकीर दिखाई दे रही थी। डॉक्टर्स ने कहा कि यह स्कार टिश्यू, कोई बिनाइन ग्रोथ हो सकती है, या हो सकता है कि कैंसर ही दोबारा
बढ़ने लगा हो। 6 महीने बाद फिर एम.आर.आई. करवाया गया। इस बार कैंसर का कोई अवशेष
नहीं था। यह बहुत बड़ी खुशी थी। डॉक्टर आश्चर्यचकित था और इसे बड़ा चमत्कार मान
रहे था। उसने कहा कि अपनी 14 साल की प्रेक्टिस में ऐसा कभी नहीं हुआ था। टॉम रोज 4
मील घूमने लगा था। यह सब अलसी के तेल और कॉटेज चीज का फल था। टॉम इसे जीवन भर नहीं
छोड़ेगा। - केली
2 जनवरी, 2003 को मैंने एक
छोटी सी वेबसाइट बनाई थी (www.flaxoflife.com), जिस पर टॉम के उपचार की पूरी कहानी लिखी है। आप चाहें तो अवश्य लॉग ऑन
करे।
16 महीने बाद 28 जुलाई,
2003 को हुई एम.आर.आई. में भी कैंसर का कोई नामोनिशान नहीं था। हम बहुत खुश
थे।
ग्लायोब्लास्टोमा
मल्टीफोर्म
मैं इजराइल में रहता हूँ
और कैंसर के रोगियों का उपचार करता हूँ। मैं आपको ग्लायोब्लास्टोमा मल्टीफोर्म (GBM) के मेरे दो रागियों के उपचार
की कहानी साझा करना चाहता हूँ। यह ब्रेन का बहुत खतरनाक कैंसर है।
मेरा पहला रोगी 60 वर्ष से
बड़ा था। उसे 6 महीने पहले ही उसे मालूम पड़ा कि उसके ब्रेन में ग्लायोब्लास्टोमा
मल्टीफोर्म (GBM) नाम
का कैंसर है। उसके और उसके परिवार ने निर्णय लिया कि वे ऐलोपेथी और बुडविग
प्रोटोकोल दोनों उपचार साथ लेंगे। इसलिए टेमोजोलोमाइड (Temodal) और रेडियोथेरेपी लेने के कुछ दिनों पहले उसकी बेटी मुझसे मिलने आई थी।
मैंने उसे बुडविग प्रोटोकोल और कुछ हर्बल दवाइयां लेने की सलाह दी। जब उसकी
रेडियोथेरेपी शुरू हुई तो वह व्हील चेयर पर था और उसे कई कोगनीटिव (संज्ञानात्मक)
समस्याएं थी। बुडविग प्रोटोकोल लेने से उसे ऐलोपेथी का कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ,
यह बड़ी अच्छी बात हुई। प्रोटोकोल लेने से उसकी हालत में सुधार आता चला गया। कुछ
हफ्ते बाद उसकी एम.आर.आइ. की गई, जिसमें कोई गांठ नहीं थी सिर्फ एक छोटा सा
नेक्रोटिक स्कार दिखाई दे रहा था। उसे एक
हफ्ते टेमोडाल देकर दो हफ्ते का गेप रखा
जाता था। उसकी मांस-पेशियों में ताकत
लौटने लगी थी। उसने लिखना, पढ़ना और पत्नि की कार भी चलाना शुरू कर दिया था
(क्योंकि परिवार वालों को नहीं लगता था कि कभी वह कार भी चला पायेगा, इसलिए उसकी कार बेच दी गई थी)। मुझे बुडविग
प्रोटोकोल की सफलता पर कोई संदेह नहीं था।
ग्लायोब्लास्टोमा
मल्टीफोर्म
यह मेरे
दूसरे मरीज की कहानी है। पांच हफ्ते पहले गुरूवार को एक व्यक्ति ने मुझे फोन किया
और कहा कि वह तुरन्त मुझसे मिलना चाहता है। शुक्रवार को वह मुझसे मिला और बताया कि
उसके पिता (उम्र 54 वर्ष) को तीन सप्ताह पहले ही ग्लायोब्लास्टोमा मल्टीफोर्म नामक कैंसर हुआ है। उसने
कहा कि उनको पेरेलाइसिस हुआ है, उनकी तबियत बहुत बिगड़ गई है, उनके मस्तिष्क में
बहुत सूजन है, वे न कुछ बोल पा रहे हैं न कुछ खाते हैं और पिछले तीन दिन से अस्पताल में भर्ती
हैं। डॉक्टर्स ने यह भी कह दिया था कि अब
उसके पिता को बचाना बहुत मुश्किल था।
मैंने उसके पिता को अलसी के तेल, पनीर, फल और पिसी अलसी का शेक बना कर देने
की सलाह दी, क्योंकि वह ठोस आहार नहीं ले पा रहा था।
जब ढाई
हफ्ते तक उसका फोन नहीं आया तो मुझे भी चिंता होने लगी थी। इसलिए मैंने उसे फोन
किया, लेकिन उसने फोन ही नहीं उठाया। फिर तीसरे दिन अचानक उसने मुझसे बात की और
कहा, "पिताजी ठीक हैं। पांच दिन
पहले वे डिस्चार्ज होकर घर आ गये थे। आपसे मिलने के बाद हमने उन्हें बुडविग
प्रोटोकोल देना शुरू कर दिया था। उन्हें बहुत फायदा हुआ है। उन्हें भूख लगने लगी
है। ताकत आ गई है। उन्होंने बोलना और चलना शुरू कर दिया है। डॉक्टर्स भी हैरान
हैं।"
हालांकि
इस रोगी को रेडियेशन और दवाइयां भी दी गई हैं, लेकिन उसकी बीमारी में हुए इस
नाटकीय सुधार का श्रेय तो बुडविग प्रोटोकोल को ही जाता है।
लंग कैंसर
श्री
फिलिप बोनफिग्लियो उम्र 52 वर्ष ओहियो के निवासी हैं। इन्हे 13 वर्ष पहले फेफड़े
में मेटास्टेटिक स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा हुआ था।
फिलिप
बहुत सिगरेट पीता था। सन् 1974 के प्रारंभ में उसे खांसी और फेफड़ों में इन्फेक्शन
हो गया था, जिसके लिए उसने अपने फेमिली डॉक्टर को दिखाया था, जिसने उस एंटीबायोटिक
का कोर्स दे दिया था। लेकिन उसकी खांसी में कोई फायदा नहीं हुआ। मार्च में फिलिप
एक फिजिशियन से संपर्क किया, जिसने उसका एक्स-रे करवाया। एक्स-रे से पता चला कि
उसके दांये फेफड़े के ऊपरी लोब में तीन से. मी. की गांठ है। इसकी सर्जरी के लिए बोनफिग्लियो को एक्रोन सिटी
हॉस्पीटल में भरती करवाया गया। उसकी गांठ 4 से.मी. लंबी थी और बायें फेफड़े के
ऊपरी लोब के पिछले हिस्से में स्थित थी।
कई लिंफ-नोड भी कैंसर की गिरफ्त में आ चुके थे। ऐजाइगोज शिरा (azygos vein) के नीचे भी कुछ लिंफ-नोड थे जो
पीछे की तरफ वेना-केवा तक फैले हुए थे। ऐसी स्थिति में उपचारक शल्य (curative
resection) करना संभव नहीं था। लेकिन फिर भी जितना संभव हो सका गांठ
और लिंफ-नोड निकाले गये। ऑपरेशन द्वारा निकाली गई गांठ की बायोप्सी में स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा (squamous cell carcinoma) बताया गया। साथ ही निकाले गये सारे
नोड्स में भी कैंसर कोशिकाएं पाई गई। डॉक्टर्स ने अस्पताल में ही उसकी कोबाल्ट
रेडियोथेरेपी शुरू कर दी थी। उसे कहा गया कि रेडियो उपचार के बाद भी वह मुश्किल से
एक वर्ष जी सकेगा। बोनफिग्लियो ने पूरी
रेडियोथेरेपी (5000 रेड्स) ली। लेकिन फिर भी उसकी गांठ बढ़ रही थी, इस लिए उसे
कीमो लेने की सलाह दी गई। उसे रेडियोथेरेपी से भी कोई फायदा नहीं हुआ था, इसलिए
उसने कीमोथेरेपी के लिए साफ मना कर दिया।
बोनफिग्लियो
ने अपना आगे का उपचार वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से करने का निर्णय लिया। तभी किसी
ने उसे बुडविग सेंटर के डॉ. केले का उपचार
लेने की सलाह दी। डॉ. केले ने तुरन्त उसको बुडविग प्रोटोकोल शुरू करवा दिया। कुछ ही महीनों में उसकी खांसी और दूसरी तकलीफें
दूर हो गई थी। एक वर्ष बाद तो वह पूरी तरह स्वस्थ हो चुका था। आज 13 वर्ष बाद भी
वह रोज ओम-खंड लेता है और स्वस्थ जीवन बिता रहा है। फेफड़े का स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा बहुत ही
खतरनाक कैंसर है और पूरे उपचार लेने पर भी 5% रोगी ही मुश्किल से 5 वर्ष जी पाते हैं।
लंग कैंसर
शनिवार
19 अगस्त, 2000 को केस्पर, WY, से मुझे किसी ने फोन
किया। उसने कहा कि उसे मार्च, 2000 से
दाएं फेफड़े में बड़ा आक्रामक कैंसर है और उसे कहा गया है कि वह 2-3 महीने ही जी
पायेगा। उसकी कीमोथेरेपी शुरू कर दी गई थी, जिसे वह सहन नहीं कर सका। इसलिए कीमो बंद करके उसे दर्द के लिए मोरफीन के
पेच देकर घर भेज दिया गया। उसकी उम्र 73 वर्ष थी।
तभी
किसी शुभचिंतक ने उसे डॉ. बुडविग प्रोटोकोल की टेप लाकर दी। उसने टेप को
सुना, बुडविग के उपचार को अच्छी तरह समझा
और तुरन्त बुडविग प्रोटोकोल लेना शुरू कर दिया।
इस उपचार से उसे बहुत जल्दी फायदा मिलने लगा। कुछ महीनों बाद उसने अपना चेक
अप करवाया। डॉक्टर ने उसका एक्स-रे लिया। एक्स-रे देख कर वह बहुत हैरान हुआ और
पूछा, “तुम क्या उपचार ले रहे हो। क्योंकि
तुम्हारे दाएं फेफड़े की गाठ तो वैसी ही है लेकिन बाएं फेफड़े की गांठ पूरी तरह
ठीक हो चुकी है।” उसने कहा कि वह अलसी का तेल ले रहा है और
उसकी टेप भी डॉक्टर को सुना दी। टेप को सुन कर सारे डॉक्टर और नर्सें अचंभित थे और
सबने उस टेप की कॉपियां बनवा कर लोगों के बांटना शुरू कर दिया।
लंग कैंसर
एक 73
वर्षीय महिला हमारे घर के पास ही रहती थी। वह बिंदास औरत थी और सिगरेट भी बहुत
पीती थी। कुछ महीने पहले उसके दाएं फेफड़े
के निचले हिस्से में एक गांठ हुई थी। डॉक्टर ने कहा कि उसे तुरन्त सर्जरी करवा
लेनी चाहिये। लेकिन उसे डर था कि इस उम्र में वह सर्जरी सहन नहीं कर पायेगी। उसका
ग्रांडसन मुझे अच्छी तरह जानता था और
चाहता था कि उसकी दादी मां को बुडविग प्रोटोकोल दिया जाये।
इस तरह
उस महिला ने बुडविग आहार लेना शुरू तो किया, लेकिन वह उपचार लेने में पूरी
तरह गंभीर नहीं थी और कुछ गलतियां भी कर
रही थी। फिर भी उसका कैंसर बढ़ नहीं रहा था और मुझे लग रहा था जैसे सब ठीक-ठाक चल
रहा है। लेकिन दो वर्ष बाद हमने सुना कि उसकी मृत्यु हो गई है। हमने उसके ग्रांडसन से पूछताछ की तो उसने बतलाया कि उसकी दादी के मेडीकल चेक-अप में
सब कुछ ठीक था, कैंसर की गांठे मिट कुकी थी। लेकिन फिर भी डॉक्टर ऑपरेशन की जिद कर
रहे थे। मेरी बुआ भी ऑपरेशन के पक्ष में नहीं थी, लेकिन उनके बच्चे ऑपरेशन करवाना
चाह रहे थे। उन्होंने जिद करके दादी को अस्पताल में भरती करवा ही दिया। हमारा
दुर्भाग्य था कि दादी ऑपरेशन टेबल पर ही मर गई। शायद उनके जाने का समय आ चुका था।
लंग कैंसर
6 साल
पहले हमारे एक मित्र के चचेरे भाई को फेफड़े में गंभीर कैंसर हो गया था, जो उनकी
एक बांह में भी फैल चुका था। वे द्वितीय विश्व युद्ध के सेनानी थे। उन्होंने
बुडविग उपचार लेने की इच्छा जाहिर की। इसलिए हमने उन्हें अलसी का तेल और पनीर देना
शुरू करवा दिया। सात-आठ महीने बाद हमें मालूम हुआ कि उनका कैंसर ठीक हो चुका है।
वे खुश होकर हमसे मिलने आये और कहने लगे कि वे बहुत खुश हैं। दो साल बाद अचानक
उनकी मृत्यु हो गई। मालूम करने पर पता चला कि कई महीनों से उन्होंने अलसी का तेल
लेना छोड़ दिया था। यह बड़ी भारी गलती थी। जिसकी कीमत उन्हे जान गंवा कर चुकानी
पड़ी। कैंसर ठीक होने बाद भी लंबे समय तक दिन में एक बार तो अलसी का तेल और पनीर लेना ही चाहिये। उन्होंने जैसे ही अलसी
का तेल छोड़ा, कैंसर फिर से बढ़ने लगा और उनकी मृत्यु का कारण बना।
लंग कैंसर
बेट्सी का बहनोई स्थानीय चर्च का सदस्य था और उसे फेफड़े में कैंसर हो
गया था। उसका उम्र 47 वर्ष थी। यह कोई सात साल पुरानी बात है। वह कोई उपचार नहीं
ले रहा था। तभी किसी मित्र के कहने पर उसने अलसी का तेल पनीर में मिला कर लेना
शुरू किया। कुछ ही महीने में उसे बहुत फायदा हुआ और उसने काम पर भी जाना शुरू कर
दिया। मैं इस व्यक्ति को नहीं जानता था। बेट्सी हमारे एक मित्र का परिचित था। मैं
कभी कभी चर्च जाया करता था। वहां का म्युजीशियन हमारा मित्र था। किम पादरी की
भतीजी थी।
पादरी की पत्नि को कोलोन कैंसर था। उसकी सर्जरी और कीमो हो चुकी थी।
किम उसे अलसी का तेल देना चाहती थी, लेकिन उसकी पुत्री कहती थी, "मम्मी, आप वही करो जो डॉक्टर कह रहे हैं।" इस
महिला की इम्युनिटी बहुत कमजोर हो चुकी थी और डॉक्टर्स ने उसे सलाह दी थी कि वह घर
में ही रहे वर्ना उसे इन्फेक्शन हो सकता है। कमजोरी के कारण उसकी कीमो भी बंद कर
दी गई थी। इसलिए उसने अलसी का तेल लेना शुरू कर दिया। कुछ ही समय में उसका टोटल
व्हाइट सेल काउंट बढ़ने लगा। वह घर से बाहर निकलने लगी। वह अपने चेक-अप करवाने
डॉक्टर के पास गई और बातों बातों में उसे बता दिया कि वह अलसी का तेल ले रही है।
डॉक्टर ने कहा कि अलसी के तेल ने कुछ नहीं किया है, जो भी फायदा हुआ है वह कीमो से
हुआ है। डॉक्टर ने उसको फिर से कीमो देना शुरू कर दिया। 3 महीने में वह कोमा में
चली गई और उसकी मृत्यु हो गई। कीमो ने
उसका हृदय और यकृत खराब कर दिया था।
एक रविवार को पादरी जॉन ने मुझसे बुडविग की टेप मांगी। मुझे नहीं
मालूम था कि उसके पास टेप नहीं है। कुछ हफ्ते बाद मैं उससे दोबारा मिलने गया।
बातचीत में जॉन ने बताया कि उसे लगता था कि मैं गलत था, लेकिन अब वह जान चुका है
कि मैं सही था। डॉक्टर्स ने मेरी पत्नि को मार डाला है। ये सब डॉक्टर्स नर्क में
जायेगे। लेकिन सच तो यह है कि कैंसर के चिकित्सक
अपने रोगी को बचाने की पूरी कौशिश करते हैं। कहानी कुछ और है। यदि अलसी के तेल और
पनीर को कैंसर के उपचार की अधिकारिक
अनुमति दे दी गई होती , तो कैंसर व्यवसाय चौपट हो गया होता।
लंग कैंसर
पिछले साल हमारी एक मित्र हमसे मिलने आई, जो मधुमक्खी पालन का काम
करती थी। वह बहुत मोटी थी, उसका वजन लगभग 125 किलो रहा होगा। इसके फेफड़े में एक
बड़े आक्रामक प्रजाति का कैंसर हुआ था। डॉक्टर जितना जल्दी हो सके उसका ऑपरेशन
करना चाह रहे थे। लेकिन उसको डर था कि वह ऑपरेशन सहन नहीं कर पायेगी। हमारे कहने
से उसने रोज अलसी का तेल लेना शुरू कर दिया। 8 सप्ताह बाद उसका चेक-अप हुआ और उसके
फेफड़े में कोई गांठ नहीं पाई गई। लेकिन डॉक्टर फिर भी ऑपरेशन करवाने की सलाह दे
रहे थे। उसका एक्स-रे भी करवाया गया, जिसमें भी कोई गांठ नहीं दिख रही थी। 19,
अक्टूबर को फिर उसकी एम.आर.आई. हुई और 25 अक्टूबर को डॉक्टर द्वारा उसकी जांच हुई।
लेकिन इसकी रिपोर्ट के बारे में मुझे कोई सूचना नहीं मिल पाई थी। जनवरी 2002 में
हमे मालूम हुआ कि नवंबर, 2001 में उसके कूल्हे की हड्डी टूट गई थी, जिसके लिए उसे
अस्पताल में भरती किया गया था। उस दौरान वह अलसी का तेल नहीं ले पाई थी।
किसी ने हमे बताया कि जून, 2002 में उसकी मृत्यु हो गई थी। फिर 11
सितंबर को हमे पता चला कि उसे फिर से कैंसर हो गया था। और उसने अलसी का तेल लेना शुरू कर दिया था। लेकिन मृत्यु के
समय उसका कैंसर ठीक हो चुका था, सिर्फ लीवर में एक और फेफड़े में दो छोटे धब्बे
दिखाई देते थे। हमे बताया गया कि उसकी मृत्यु डायबिटीज के कारण हुई थी।
लंग कैंसर
लगभग तीन साल पहले मैं मेरे डॉक्टर के वेटिंग रूम में बैठा था, तभी एक
दम्पत्ति वहाँ आया। मेरी उनसे थोड़ी देर बातचीत भी हुई थी। उसी रात को उस महिला ने
मुझे फोन करके बताया कि उसका 73 वर्षीय पति कॉलेज का सेवानिवृत्त प्रोफेसर है और
कैंसर से उसका बायां फेफड़ा लगभग पूरा खराब हो चुका है। थोम्पसन कैंसर सेंटर,
नोक्सविले टी.एन. में उसका ऑपरेशन हुआ था, लेकिन कैंसर बहुत ज्यादा फैल चुका था।
अतः डॉक्टर फेफड़े को नहीं निकाल पाये इसलिए छाती को सिल दिया गया। फिर उन्होंने
रेडियो तथा कीमो उपचार देने का निर्णय किया।
रेडियो से भी कोई फायदा नहीं हुआ और पति पत्नि ने निर्णय लिया कि कीमो
लेने से तो अच्छा है कि वे उसकी बची हुई जिंदगी ईश्वर के भरोसे छोड़ दें। तभी किसी
ने उन्हें अलसी का तेल लेने की सलाह दी। उसने तुरन्त अलसी का तेल और पनीर लेना शुरू
कर दिया।
तीन महीने बाद मुझे मालूम हुआ कि उसे बहुत फायदा हो रहा है। इसके डेढ़
साल बाद उसकी हार्ट अटेक के कारण मृत्यु हो गई थी। लेकिन मृत्यु का कारण कैंसर
नहीं था।
लंग कैंसर
आदरणीय
क्लिफ, मुझे जनवरी, 2002 स्टेज IV लंग कैंसर
डायग्नोस हुआ था। इसके लिए मार्च, 2002 में मेरी सर्जरी हुई थी, जिसमें एक गांठ और
दाएं फेफड़े का निचला भाग निकाल दिया गया। फिर भी दोनो फेफड़ों में पांच गाठे नहीं
निकाली जा सकी थी। डॉक्टर्स ने कहा कि मैं मुश्किल से तीन महीने जी पाऊँगा और मुझे
इरेसा (Gefitinib) लेने की सलाह दी गई। तभी मैंने टेबलस्पून
अलसी का तेल और पनीर मिला कर रोज लेना भी शुरू कर दिया। आज दो साल पूरे हो चुके
हैं और मैं स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ। हालांकि मैं इरेसा नियमित ले रहा हूँ, लेकिन
इस सफलता का श्रेय मैं अलसी के तेल को ही देता हूँ। एक बार मैं ऑरिगन घूमने गया
था, वहाँ दो सप्ताह तक मैं अलसी का तेल नहीं ले पाया। और इससे मुझे छाती में बहुत
दर्द और वेदना होने लगी। लेकिन ज्योंही मैंने अलसी का तेल लेना शुरू किया तो मेरा
दर्द ठीक हो गया। मेरे समझ में आ चुका था कि यह सारा चमत्कार अलसी के तेल का ही
था। मेरे डॉक्टर और सारे दोस्त भी यही कह रहे थे कि यह मानना मुश्किल है कि मुझे
लंग कैंसर जैसी बीमारी हुई है।
बेवरली क्रिस्टनसीन
लिम्फोमा
मेक्सिको
के श्री गेब्रिल ओरिया – 44 वर्ष को ग्रेड 2 फॉलिक्यूलर नॉन-हाजकिन्स लिम्फोमा
डायग्नोस हुआ था। उसके सी.टी. स्केन में कई गांठे निकली थी। सबसे बड़ी गांठ 7x4 से.मी. की थी जो पेनक्रियास और लीवर के बीच
में स्थित थी। उसे तीन वर्ष से सप्ताह में पांच दिन तो रात में बहुत पसीना आता था
और कभी कभी बहुत थकावट रहती थी। पी.ई.टी. स्केन की रिपोर्ट के अनुसार पूरे शरीर
में कई लिम्फनोड्स बीमारी की चपेट में आ चुके थे। तिल्ली और हड्डियों में भी
मेटास्टेसिस हो चुका था। हमने उसे बुडविग प्रोटोकोल लेने की सलाह दी थी।
और से
गेब्रिल ओरिया (mailto:gaborea@hotmail.com)
सोमवार, 17 जनवरी, 2011 12:45 AM
विषय -
मेरे पूरी तरह ठीक होने पर आपको बधाई।
आदरणीय डॉक्टर जेनकन्स,
आप मेरे अनुभव और विवरण जहाँ चाहें वहाँ प्रकाशित कर सकते
हैं। मुझे खुशी होगी यदि आप मेरी बीमारी के बारे में कोई भी बात जानना
चाहेंगे। आप मेरी पी.ई.टी. या अन्य सभी
जांचे भी प्रकाशित कर सकते हैं। मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूँ कि मुझे जो कुछ
चमत्कारी फायदा हुआ है उसका पूरा श्रेय बुडविग उपचार को जाता है। जब तक मैं इम्यून
सिस्टम को मजबूत करने और कैंसर का नाश करने वाले इस महान उपचार को लेता रहूँगा तब
तक मुझे जीवन में कोई तकलीफ होने वाली नहीं है। आपके उपचार के साथ मैं तीन तरह के
मशरूम (Maitake, Chaga, and Lingzhi) का
एक्सट्रेक्ट भी ले रहा था। इस हफ्ते मेरा दूसरा पी.ई.टी. स्केन हुआ है, जिसमें
कैंसर का कोई नामोनिशान नहीं दिख रहा है। यह बहुत बड़ी खुशी है। मैने आपके बताये
हुए बुडविग उपचार को पूरी श्रद्धा, विश्वास और ईमानदारी से लिया है। मैं समझ नहीं
पा रहा हूँ कि आपको किन शब्दों में धन्यवाद दूँ। गेब्रिल
लिम्फोमा
हाय,
जेनीफर, मेरा नाम जिम है, मैं आस्ट्रेलिया का रहने वाला हूँ और 17 वर्ष की उम्र से
नॉन-होजकिन्स लिंफोमा से पीड़ित हूँ और कष्ट भोग रहा हूँ। मैं अभी 42 वर्ष का हूँ।
अभी मुझे पांचवीं बार लिंफोमा का अटेक हुआ
है। अभी तक किसी उपचार से मुझे कोई फायदा नहीं हुआ है। मैं सभी उपचार जैसे रेडियो,
कीमो, कोबाल्ट, सर्जरी, स्केन्स, कई तरह
की जांच आदि करवा चुका हूँ। मेरे ओंकोलोजिस्ट ने कहा था कि जैसे जैसे मैं बड़ा
होता जाऊँगा मेरे लिंफोमा का उपचार मुश्किल होता जायेगा। उसने सच ही कहा था, इस
बार लिंफोमा का प्रकोप मेरी टांग में हुआ है, ऐसा लगता है जैसे कैंसर ने सांप की
तरह मेरे मेरी टांग की मसल्स, टेंडन्स और नर्व्स को जकड़ लिया था और पैर में बहुत
सूजन आ गई थी। इस स्थिति में सर्जरी भी संभव नहीं थी और कीमो तो मैं झेल ही नहीं
सकता था। मेरी पिछली कीमो ने तो मेरी जान ही निकाल डाली थी। दो या तीन महीने पहले
मैं चल भी नहीं पाता था और सारा दिन घर पर ही रहता था। टांग में हमेशा तेज दर्द
बना रहता था।
फिर
किसी के कहने पर मैंने बुडविग उपचार लेना शुरू किया। कुछ ही हफ्तों में मेरे दर्द
राहत मिलने लगी और पैर की सूजन भी कम होने
लगी। अब मैं बिना दर्द के चल पा रहा हूँ और अपने 10 वर्षीय बेटे के साथ थोड़ी देर
बॉल भी खेल लेता हूँ। कार भी चलाने लगा हूँ और जहां चाहूँ जा सकता हूँ। जेन, तुम बुडविग आहार बराबर लेती रहना। मुझे
विश्वास नहीं हो पा रहा है कि इस उपचार से मुझे इतना फायदा और राहत मिली है। इसके
पहले जब मैं कीमो उपचार ले रहा था तब मुझमे कोई शक्ति नहीं रहती थी और मेरे पिता
मुझे सहारा देकर कार तक ले जाते थे। इस बुडविग उपचार ने सचमुच मुझे नया जीवन दिया
है और मैं इसे कभी नहीं छोड़ूँगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह तुम्हारे लिए भी
जीवनदायक सिद्ध होगी। ऑल द बैस्ट जेन। -
जिम
मेलिगनेंट मेलेनोमा
मिसेज
हेरियट को उसकी जांघ पर मेलिगनेंट मेलेनोमा हुआ था, जिसे सर्जरी करके निकाल दिया
गया था। लेकिन डेढ़ साल बाद उसकी कनपटी के लिम्फनोड में मेटास्टेसिस हो गया था,
जिसके लिए रेडियोथेरेपी दी गई थी। चार महीने बाद उसकी गर्दन में बांई तरफ के
लिम्फनोड में भी में मेटास्टेसिस हो गया था। इसके लिए भी रेडियो उपचार दिया गया।
दो महीने बाद तो उसके पूरे शरीर में मेटास्टेसिस हो चुके थे। तभी उसने डॉ. बुडविग
के बारे में सुना और वह उनसे मिलने गई।
यह उस
महिला के डॉक्टर द्वारा बुडविग को लिखे गये पत्र का सारांश है। "मेरी एक रोगी मिसेज हेरियट का पिछले
दिनों आप द्वारा उपचार किया गया है। आपका उपचार शुरू करने के कुछ ही महीनों के
बाद उसके सारे लिम्फनोड्स और त्वचा के
मेटास्टेसिस ठीक हो गये थे। साथ ही रक्त के सारे
टेस्ट और मार्कर्स भी सामान्य हो गयो थे। मैंने अपने पूरे जीवन काल में
मेटास्टेसिस मेलिगनेंट मेलेनोमा के किसी भी रोगी में इतना फायदा होते नहीं देखा
है। मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा यदि आप मुझे इस उपचार के बारे बतलाने का कष्ट
करेगी। मैं आपके पास इस रोग के एक रोगी को उपचार के लिए भेज रहा हूँ। मुझे
प्रसन्नता होगी यदि मैं आपके निर्देशों के अनुसार इस रोगी का देखभाल कर पाऊँ।"
डा. बुडविग की पुस्तक "डर टोड डेस ट्यूमर्स - II " (The Death of the Tumor - Vol.
II - Page 85) में इस रोगी के बारे लिखा गया है।
होजकिन्स रोग
सात वर्ष की नाजुक उम्र
में नन्हे टॉमी जी. को चिल्ड्रन्स हॉस्पीटल भेजा गया था, जहाँ उसे होजकिन्स रोग
डायग्नोस किया गया। उसकी सर्जरी की गई और 24 रेडियो उपचार दिये गये। साथ में कुछ
प्रयोगात्मक उपचार भी दिये गये। लेकिन रेडियो और सभी साहसिक उपचार टॉमी को कोई
राहत नहीं दे पाये। हार कर उसे यह कह कर घर भेज दिया कि अब उसके लिए कोई उपचार
नहीं बचा है। उसके माता-पिता को साफ कह दिया गया था कि वह मुश्किल से 6 महीने जी
पायेगा। रेडियोथेरेपी के कारण उसकी गर्दन, एग्जीला और पेट के निचले भाग की त्वचा
झुलस चुकी थी और घाव बन गये थे। उसकी आवाज भारी हो चुकी थी और सांस लेने में
दिक्कत होती थी। कुछ दिनों बाद उसे फिर से हॉस्पीटल में भरती करवाया गया ताकि वह
चैन से मर तो सके। तभी किसी मित्र के कहने पर उसे घर लाकर बुडविग उपचार शुरू कर
किया गया। सिर्फ पांच दिन बाद ही पिछले दो साल से चल रही सांस की तकलीफ (Dyspnoea) ठीक हो गई। तीन हफ्ते में
उसकी आवाज ठीक हो गई और वह बहुत स्वस्थ महसूस करने लगा। उसने स्कूल जाना शुरू कर
दिया, फिर से तैराकी करने लगा और स्कूल के क्राफ्ट प्रोजेक्ट भी करने लगा। वह
जल्दी ही 12 वर्ष का हो जायेगा, एक स्वस्थ, खुश और नन्हा
किशोर।
ओवेरियन कैंसर
डोरोथी मेकॉर्ड 33 वर्ष स्त्री – मेटास्टेटिक ओवेरियन कैंसर, ब्रेन
में बाई तरफ फ्रंटल ग्लायोमा और लीवर कैंसर।
ओर से
ओर से
डेरोथी मेकॉर्ड (sdmc17@msn.com)
गुरूवार, 2 सितंबर, 2010 4:29 PM
हलो
डॉ. जेकिन्स, "मैं आपको एक सूचना दे रही हूँ। मैंने कल अपनी
ओवरीज में सिस्ट की ताजा स्थिति मालूम करने के लिए अल्ट्रा साउंड करवाया है। अब मेरी ओवरीज़ में कोई सिस्ट नहीं है (आपको
ध्यान होगा कि पहले ओवरी में एक सिस्ट तो नीबू के आकार की थी। मेरी ओवरीज़ अब
बिलकुल क्लीन हैं। इसी हफ्ते मैंने लीवर की एम.आर.आई. भी करवाई है। और यह भी खुशी
की बात है कि लीवर में कैंसर की गांठ भी 6
से.मी. से सिकुड़ कर 1.1 से.मी. रह गई है। मैं आपको बता नहीं सकती कि मैं कितनी
प्रसन्न हूँ। इस हफ्ते मुझे इतनी ढेर सारी खुशियां मिली हैं। पहले जब भी मैं
डॉक्टर के पास जाती थी, हमेशा बुरे समाचार ही सुनने को मिलते थे। मैं हमेशा इस
चमत्कारी उपचार को लेती रहूँगी। आप हमेशा मेरे साथ रहे, मुझे हमेशा अच्छी राह
दिखाते रहे। मैं किन शब्दों में आपका शुक्रिया करूँ। डेरोथी मेकॉर्ड
प्रोस्टेट
कैंसर
एंटोनियो
मेन्डेज़ उम्र 79 वर्ष निवासी रोन्डा, स्पेन दिसंबर, 2008 में हमारी उपचारशाला में
आया था। उसे प्रोस्टेट कैंसर था। हमने उसका डार्क फील्ड लाइव टेस्ट किया, जिसका
स्कोर 6 था। फिर हमने उसे बुडविग
प्रोटोकोल देना शुरू किया और उसे 15 दिन हमारे सेंटर में रखा ताकि वह प्रोटोकोल की
सारी बारीकियों को अच्छी तरह समझ ले। एंटोनियो ने इस उपचार को बहुत ही गंभीरता से लिया। हम हर चार महीने में उसको
डार्क फील्ड टेस्ट के लिए बुलाते थे। उसके शरीर में भारी धातुओं (heavy
metals) के अवशेष और कीड़े (parasites) भी
बहुत थे। उसकी बांह में भी तकलीफ थी। डार्क फील्ड टेस्ट से इन सबका पता चल जाता
है। हमने कैंसर के साथ इन सबका भी उपचार शुरू किया।
दिसूबर, 2008 से जुलाई, 2009 के बीच उसका कैंसर 50% ठीक हो चुका था। उसका स्कोर 3 हो गया था। हमने बुडविग उपचार जारी रखा।
दिसंबर, 2009 में उसका स्कोर 1 आ गया था। उसके बाकी सब टेस्ट भी सामान्य हो चुके
थे। वह बहुत स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस कर रहा था। वह नियमित बुडविग प्रोटोकोल ले
रहा है और हम उसकी लम्बी उम्र की दुआ करते हैं। यदि आप स्पेनिश जानते हैं तो उसकी
पुत्री मारिया डेल कर्मन मेन्डेज कोलॉडो (carmen_mdz@hotmail.com) से
संपर्क कर पूछताछ कर सकते हैं।
प्रोस्टेट कैंसर
क्लिफ .... मुझे आज (11 दिसंबर 2004) एक पत्र मिला है, जो लम्बा है पर पढ़ने लायक है। यह व्यक्ति अपने सारे
अनुभव अपनी डायरी में लिखता है। पत्र का सारांश नीचे दे रहा हूँ। आपने जो मुझे
अदभुत जानकारी दी है, उसके लिए मैं आपको बहुत शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। मुझे
प्रोस्टेट कैंसर हुआ था और बहुत परेशान था। मेरे रूटीन चेक-अप में मेरा पी.एस.ए.
लेवल 7.5 आया था। मेरे डॉक्टर ने यूरोलोजिस्ट से मेरी बायोप्सी करवाई, 6 में से 3
सेंपल्स में कैंसर कोशिकाएं पाई गई थी। डॉक्टर ने तुरन्त ऑपरेशन करवाने की सलाह
दी। मैंने खूब रिसर्च की, पुस्तकें पढ़ी और कई लेख पढ़े। मुझे सभी रिश्तेदारो,
दोस्तों ने भी कई तरह की सलाह दी। लेकिन अंत में मैंने यही निर्णय लिया कि मैं
ऑपरेशन नहीं करवाऊँगा। इसके कुछ ही हफ्ते
बाद मुझे एक पार्सल मिला, मेरे एक मित्र ने भेजा था जो आपको (डॉ. क्लिफ) को जानता
था। पार्सल खोला तो उसमें (डॉ. क्लिफ की)
एक टेप थी और एक पर्ची थी जिस पर लिखा था कि मैं इस टेप को सुन कर उसे फोन करूँ।
मैंने बड़े ध्यान से टेप सुनी और उसे फोन लगाया। काफी देर तक हमारी बात होती रही
और उसने कहा कि मुझे डॉ. क्लिफ से मिलना चाहिये।
इसलिए मैं तुरन्त डॉ. क्लिफ से मिला। उन्होंने मुझे बुडविग प्रोटोकोल
के बारे में बहुत से अनुभव बताये और मैंने भी उनसे ढेर सारे प्रश्न पूछे। इस तरह
हमने बुड्विग प्रोटोकोल लेने का निर्णय कर लिया।
1 फरवरी, 2002 से यह उपचार शुरू कर दिया। मैं रोज अलसी का तेल और कॉटेज
चीज़ लेता था। डॉ. क्लिफ ने मुझे बता दिया कि तेल कहाँ से लेना है या उसे कैसे
स्टोर करना है। 29 मार्च, 2002 को मैंने
पी.एस.ए. लेवल करवाया जो घट कर 5.8 आ गया था। मैं जिस महिला से अलसी का तेल
खरीदता था, उसने मुझे प्रोस्टेट 5 LX के केप्स्यूल खाने की सलाह
दी। इसलिए मैंने ये केप्स्यूल भी खाने शुरू कर दिये। दो हफ्ते बाद मुझे केप्स्यूल
खाने से जी घबराने लगा, इसलिए मैंने उन्हें खाना छोड़ दिया। इन केप्स्यूल से मेरा पी.एस.ए. लेवल भी फिर से
बढ़ कर फिर से 7.5 पहुँच गया था। मुझे अपनी गलती समझ में आ चुकी थी। सुबह का भूला
शाम को घर लौट चुका था। और 26 अक्टूबर, 2002 को मेरा पी.एस.ए. लेवल फिर 7.5 से घट
रक 5.2 हो गया था। आगे भी यह घट कर 4.1 और फिर 3.5 पहुँच गया था। अब मैं बहुत
स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ।
10 नवंबर को मुझे अपना डॉक्टर बदलना पड़ा। जब नये डॉक्टर को मालूम हुआ
कि मुझे प्रोस्टेट का कैंसर था और मेरा पी.एस.ए. लेवल 5.4 था, तो उसने मेरी फिर से
पूरा चेक-अप और स्केन करवाये। लेकिन सारी जांचे नेगेटिव थी। कहीं कैंसर का कोई
निशान भी नहीं था। और यह चमत्कार अलसी के तेल और कॉटेज चीज़ का था। जब भी मैं अलसी का तेल खाना भूल जाता हूँ तो
दूसरे दिन डबल डोज ले लेता हूँ। मेरा मोबाइल नंबर 7066252082 है। कोई
भी मुझसे बात कर सकता है। बहुत शुक्रिया। - जिम मेट्स्को
प्रोस्टेट
कैंसर
मि. मार्टिनि उम्र 60 वर्ष
पुरुष ग्रीस
प्रोस्टेट कैंसर 4+5 (PSA
420, 99), कोई मेटास्टेसिस नहीं, सिर्फ एक जगह लिम्फनोड्स में
रुकावट है लेकिन पता नहीं चल सका कि यह क्या है। अप्रेल में हमे पता चला कि मेरे
पिता मि. मार्टिनि को कैंसर है।
बुडविग सेंटर के फुल प्रोटोकोल को देने के बाद की स्थिति।
ईमेल: s_smartini@yahoo.gr
ईमेल: s_smartini@yahoo.gr
ओर से : मि. एस. मार्टिनि
मंगलवार, 6 सितंबर, 20011 10:58 PM
सेवा में : डॉ. लॉयड जेनकन्स
"डॉ. जेनकन्स, मैं आपको यह पत्र मेरे पिता की वर्तमान स्थिति को बताने के
लिए लिख रहा हूँ। दो दिन पहले उनके सारे टेस्ट हुए हैं। सारी रिपोर्ट्स बहुत अच्छी
हैं और डॉक्टर्स बहुत अचंभित हैं। मेरे पिता एकदम स्वस्थ और तरोताजा महसूस कर रहे
हैं। उनका पी.एस.ए. 420 (15 अप्रेल) से घट कर 0.34 (1 सितंबर) रह गया है। डॉक्टर्स
को यह एक बड़ा चमत्कार लग रहा है। हमारा पूरा परिवार यह मानता है कि यह सब बुडविग
आहार और स्वस्थ विहार का परिणाम है।
मैं आपका बहुत आभारी हूँ और जहाँ भी इस तरह के
मरीज देखता हूँ उनको आपके उपचार के बारे में बताता हूँ। फिर मिलते हैं। अंत में एक
बार फिर शुक्रिया करता हूँ। एस. मार्टिनि
प्रोस्टेट
कैंसर
मेरे भाई
का कई वर्षों से मेडीकल चेक-अप नहीं हुआ था। मेरे आग्रह पर उन्होने चेक-अप करवाया।
उनका पी.एस.ए. 785 था। उनका प्रोस्टेट कैंसर रीढ़ की हड्डियों में फैलता हुआ सिर
तक फैल चुका था। मूत्राशय और किडनी में भी मेटास्टेसिस हो चुका था। डॉक्टर ने उन्हें स्टिलबेस्टेरोल लेने की सलाह
दी थी। अचानक उनकी भूख खत्म हो गई और उन्हें 6 हफ्ते तक कुछ नहीं खा पाते थे और 50
पौंड वजन भी कम हो गया। लेकिन तभी उनकी भूख धीरे धीरे खुलने लगी। इस बार किसी ने उन्हें अलसी का तेल लेने की
सलाह दी जो उन्होंने तुरन्त मान ली। हमने
उन्हें अलसी का तेल और कॉटेज चीज़ देना शुरू कर दिया। कुछ ही हफ्तों में उनका वजन
40 पौंड बढ़ गया। वे काम पर जाने लगे और पी.एस.ए. घट कर 8 रह गया। प्रोस्टेट भी
सिकुड़ कर छोटा हो गया था। हड्डियों की हालत में भी सुधार हो रहा था।
तभी किसी मित्र ने मेरे भाई को बताया कि अलसी का पाउडर बना कर पानी
में उबालने से भी अलसी का तेल निकल जाता है जो बहुत सस्ता पड़ता है। लेकिन उसे यह
पता नहीं था कि गर्म करने से तेल के ओमेगा-3 फैट खराब हो जाते हैं। परन्तु मेरे भाई ने अच्छा तेल छोड़ कर यह उबला
हुआ खराब तेल लेना शुरू कर दिया। इसके साथ
ही उन्होंने स्टिलबेस्टेरोल लेना भी बंद
कर दिया। कुछ समय बाद उनका पी.एस.ए. लेवल बढ़ने लगा। नतीजा यह हुआ कि कुछ महीने पहले उनकी मृत्यु हो
गई है।
प्रोस्टेट
कैंसर
क्लिफ
लिखते हैं: "हमारे शहर के एक व्यक्ति को 1991 में प्रोस्टेट
कैंसर डायग्नोज हुआ। उसकी स्थिति अच्छी नहीं थी। किसी के कहने पर उसने अलसी का तेल
लेना शुरू किया और आज (26 अक्टूबर, 1999) तक ले रहा है। आज उसे कोई कैंसर नहीं है
और स्वस्थ जीवन बिता रहा है।
प्रोस्टेट
कैंसर
1991 के शुरू में मेरी एक अध्यापिका मित्र के पति का पी.एस.ए. 37 था।
उसने अलसी का तेल लेना शुरू किया और उसका पी.एस.ए. 37 घट कर 13 आया
फिर 1.2 रह गया। वह आज भी बहुत स्वस्थ
जीवन व्यतीत कर रहा है।
प्रोस्टेट
कैंसर
6 साल
पहले मेरे एक मित्र को प्रोस्टेट कैंसर
हुआ था और उसका पी.एस.ए. 10 था। वह मौत से डरता था इसलिए उसने सर्जरी करवा ली।
सर्जरी के बाद उसका पी.एस.ए. 0.0 था और वह
बहुत खुश था। कुछ महीने बाद उसका पी.एस.ए. फिर बढ़ कर 10 हो गया। तब उसने रोज एक
टेबलस्पून अलसी का तेल लेना शरू किया। अगली बार पी.एस.ए. बढ़ कर 13 हो गया। हमने
उसको कहा कि वह तीन टेबलस्पून अलसी का तेल लेना शुरू करे। इसके बाद पी.एस.ए. कम
होता हा चला गया। कुछ महीने पहले उसका
पी.एस.ए. 0.0 था। वह बहुत स्वस्थ था और उसका वजन 220 पौंड था। अप्रोल, 2000
में वह 80 वर्ष का हो जायेगा।
प्रोस्टेट
कैंसर
6 साल
पहले एक परिचित को प्रोस्टेट कैंसर हुआ
था। उसकी उम्र 75 साल थी और पी.एस.ए. 73 था। तभी उसने किसी के कहने पर अलसी का तेल
व कॉटेज चीज़ और कच्चे फल और सब्जियां
खाना शुरू कर दिया। तीन महीने में उसका पी.एस.ए. कम होकर 13 रह गया था। 90 दिन में
पी.एस.ए. 60 पॉइंट घटना अचरज की बात थी। यह सब बुडविग प्रोटोकोल का चमत्कार था।
प्रोस्टेट कैंसर
प्रोस्टेट कैंसर
पांच साल पहले एक पादरी को आक्रामक प्रोस्टेट कैंसर हुआ था। उसे कई
जगह मेटास्टेसिस हो चुके थे और डॉक्टर्स ने कहा था कि वह कुछ ही महीने जी पायेगा।
उसकी बहिन के कहने पर उसने बुडविग प्रोटोकोल लेना शुरू किया। 6 महीने बाद उसकी
बहिन ने बताया कि बुडविग उपचार से उसके भाई को बहुत फायदा हुआ है और डॉक्टर्स भी
आश्चर्यचकित हैं। बाद में हमे सूचना मिली
कि उसकी तबियत फिर से बिगड़ने लगी है। हमे कभी उसका पी.एस.ए. लेवल नहीं बताया गया।
लेकिन हमें मालूम हुआ कि उसने अलसी का तेल छोड़ कर सिर्फ अलसी पिसी अलसी लेना शुरू
कर दिया था। साथ में सल्फरयुक्त प्रोटीन (पनीर) भी नहीं ले रहा था। कुछ महीने बाद
उसकी मृत्यु हो गई। यह सब इसलिए हुआ कि उसने अलसी का तेल लेना भी छोड़ा और पिसी
अलसी के साथ सल्फरयुक्त प्रोटीन (पनीर) भी नहीं लिये, जिन्हे बुडविग बहुत जरूरी
मानती है।
पेनक्रियेट्क
कैंसर
सन् 1994 में मेरे पति को बहुत बड़ा मेटास्टेटिक पेनक्रियेटिक कैंसर
हुआ था। मुझे कोई अपने पति को अलसी का तेल और पनीर देने में कोई परेशानी नहीं
थी। वे ऐलोपेथी के पक्ष में नहीं थे और कई
वैकल्पिक उपचार ले चुके थे। उन्होंने तीन सप्ताह तक लेट्रियल के इंजेक्शन भी लिये
थे। उन्होंने दिन में तीन बार अलसी का तेल और पनीर भी लिया था। उसके डॉक्टर्स ने
कहा था कि वह 3 से 6 महीने मुश्किल से जी पायेगा। लेकिन सर्जरी के 5 महीने बाद भी
वह स्वस्थ और मजे में था। इस बात से डॉक्टर्स भी असमंजस में थे।
दिसंबर, 1993 के अंत में वह बीमार हुआ और उसे भरती करवाया गया। 25 मई
तक वह हॉस्पीटल से बाहर आ चुका था। हॉस्पीटल
में उसकी सर्जरी हुई थी। परन्तु उसकी स्थिति ठीक नहीं थी। घर लाने के बाद
हमने ज्यूस देना शुरू किया, जिससे उसकी हालत में सुधार होने लगा। हर दो घंटे में
हम उसे ताजा सब्जियों का ज्यूस निकाल कर डेढ़ ग्लॉस पिलाते थे। हम उसे यह आहार
बड़ी गंभीरता से दे रहे थे। हम उसे कोई मीट, पोर्क, चीनी, प्रोसेस्ड फूड वगैरह
बिलकुल नहीं दे रहे थे। उसे फायदा हो रहा
था।
इसके बाद नवंबर में मैंने सर्जन को लिखा कि हम उसका सी.टी. स्केन
करवाना चाहते हैं। हमे 4 दिसंबर की तारीख दी गई। डॉक्टर ने सी.टी. स्केन किया और
इसके बाद वह सिर हिलाते हुए रिपोर्ट लेकर बाहर आया और कहने लगा, "मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि आपको क्या कहूँ, लेकिन आपके पति को कोई
कैंसर नहीं है। मैं रेडियोलोजिस्ट से भी बातचीत कर चुका हूँ , उनकी राय भी यही है।
हमें कहीं भी किसी तरह की कोई गड़बड़ दिखाई नहीं दी है।" इसलिए डॉक्टर की बातों से बुडविग उपचार पर हमारा विश्वास और बढ़ गया। और
उसे देना जारी रखा। जब मेरे पति को कैंसर हुआ था तब वे 54 वर्ष के थे। वे आज बहुत
अच्छे, खुश और स्वस्थ हैं और मेरे साथ हैं। मैं भी बहुत खुश हूँ। नान पार्सन्स
पेनक्रियेट्क
कैंसर
मुझे कैंसर डायग्नोस होने के बाद मेरे एक अध्यापक मित्र ने बताया कि
उसके एक मित्र के पिता को पेनक्रियेटिक कैंसर हुआ था। दस दिन में वह यू.टी.
हॉस्पीटल में दो बार भरती हुआ था। अप्रेल के महीने में उनका पुत्र अपने पिता को एक
बार मेरे पास लेकर आया। हमने बहुत देर तक बुडविग प्रोटोकोल के बारे में बातचीत
करते रहे। उन्होंने बुडविग प्रोटोकोल लेना शुरू किया, वे रोज अलसी का तेल और कॉटेज
चीज़ ले रहे थे। उन्हे बहुत फायदा हो रहा था। अगस्त के महीने में उनका चेक-अप हुआ
और डॉक्टर ने कहा कि उन्हें कोई कैंसर नहीं है। डॉक्टर्स को लग रहा था कि उनसे कोई
गलती हुई है। उन्हें लगा कि शायद उन्हें कैंसर हुआ ही नहीं था। फरवरी के महीने में
उनका फिर चेक-अप हुआ, इस बार भी सब कुछ ठीक था। एक साल तक मुझे उनकी कोई खबर नहीं
मिली। तब मुझे सूचना मिली कि वे फिर से हॉस्पीटल में भरती हुए हैं और डॉक्टर उनको
एक दवा दे रहे हैं जिससे वे एक साल और जी सकेंगे।
कुछ ही हफ्तों में उनकी मृत्यु हो गई। सूचना देने वाले ने बताया कि
उन्होने अलसी का तेल लेना बंद कर दिया था। किसी रोगी को ऐसा नहीं करना चाहिये।
अलसी का तेल तो लम्बे समय तक लिया जाना चाहिये। अलसी का तेल एंटीबायोटिक की गोली
नहीं है जो गले में इन्फेक्शन हुआ तो ले ली और इन्फेक्शन ठीक होने पर बंद कर दी।
अलसी का तेल तो उन कारणों को दबा कर रखता है, जो कैंसर पैदा करते हैं। इसलिए अलसी
का तेल छोड़ने पर कैंसर के कारण दोबारा सक्रिय हो उठते हैं और कैंसर को फिर से
पैदा कर देते हैं, जिसे नियंत्रिक करने बहुत मुश्किल होता है।
पेनक्रियेट्क
कैंसर
कुछ साल पहले ज्योर्जिया में ग्रीनहाउस के पास
एक महिला आकर रुकी। यह ग्रीनहाउस मेरे भतीजे और भतीजियां चलाती थी। महिला का 41
साल का एक भाई था जो ट्रक ड्राइवर था। उसे पेनक्रियेटिक कैंसर हुआ था और वह काम
नहीं कर पा रहा था। मेरी भतीजी ने उसे बुडविग की टेप दी और कहा कि वह इसे अपने भाई
को सुनाये. वह महिला सीधी अपने भाई के पास गई। उसके भाई ने तुरन्त अलसी का तेल
लेना शुरू कर दिया। चार हफ्ते में उसका काउंट 560 से घट कर 280 हो गया था। साढ़े
तीन हफ्ते में उसका काउंट 165 आ गया था (नारमल काउंट 100 होता है)। उसका डॉक्टर से
अपॉइंटमेंट तय था। जब वह अपने डॉक्टर से मिलने पहुँचा, तो डॉक्टर ने कहा, "तुम डेढ़ हफ्ते लेट आये हो, मैंने सोच लिया था कि शायद तुम कर चुके हो।" फिर रिपोर्ट देख कर डॉक्टर ने आश्चर्यचकित होकर कहा, "मैं यह पहली बार देख रहा हूँ कि पेनक्रियेटिक कैंसर में काउंट कम हुआ है।"
इसके बाद किसी किसी ने उसे जापानी मशरूम टी
लेने की सलाह दी। अगर सही तरीके से बनाई जाये तो यह बहुत फायदा करती है, और यदि
सही तरीके से नहीं बनाई गई हो तो खतरनाक भी साबित हो सकती है। उसे सही चाय नहीं
मिल पाई और कुछ ही हफ्तों में उसकी मृत्यु हो गई।
पेनक्रियेट्क कैंसर
पिछली
अक्टूबर में मुझे इंडियानापोलिस शहर में
एक शिप का ऑफीसर मिला और हमारे बीच बुडविग प्रोटोकोल के बारे में बातचीत हुई। मई
के महीने में उसने मुझे फोन किया और कहा कि उसे एडवांस्ड पेनक्रियेटिक कैंसर हुआ
है, जो लीवर और लिम्फनोड्स में भी फैल चुका है। डॉक्टर्स ने कहा है कि उसके पास
4-5 महीने शेष बचे हैं। आमतौर पर इस कैंसर में कीमो भी काम नहीं करती है। लेकिन एक
नई दवा जेमसाइटेबीन Gemcitabine (Gemzar) आई है जो
उसका जीवन 2-6 महीने बढ़ा सकती है। डॉक्टर्स ने कहा कि उनके पास यही एक आखिरी
हथियार बचा है। इसलिए उसे यह दवा शुरू की गई। लेकिन साथ में उसने अलसी का तेल और
कॉटेज चीज भी लेना शुरू कर दिया। 18 मई को उसका ट्यूमर काउंट 2129 था। 6 जून को
उसका काउंट 2780 था। 35 या कम सामान्य माना जाता है। इस समय वह बिस्तर से उठ भी नहीं पाता था।
डेढ़ हफ्ते बाद उसने मुझे बुलाया और कहा कि 27 जून को ट्यूमर काउंट के
लिए उसका खून लिया गया था। उसे अभी अभी मालूम हुआ है कि इस बार उसका ट्यूमर काउंट
1287 आया है। वह बहुत खुश था। वह चलने फिरने लगा था, बीबी के साथ खरीदारी कर आया
था, घूमने जाता था और फिशिंग भी कर लेता था। उसने कहा कि अब वह बिलकुल स्वस्थ है
और अपने सारे काम करने लगा है। हर तीन हफ्ते में उसके सारे टेस्ट होते थे। आज फिर
उसने मुझे बुलाया और कहा कि 18 जुलाई को उसका खून लिया गया था और उसका काउंट 953
आया है। वह बिलकुल सामान्य हो चुका है, वह बहुत उत्साहित है, प्रसन्न है और भूख अच्छी लग रही है।
15 अगस्त को उसने मुझे पत्र लिखा और बताया कि उसका इस बार काउंट 810
आया है। 24 अगस्त को उसने मुझे पत्र लिखा और बताया कि उसका ताजा काउंट 504.2 आया
है। वह और उसका परिवार साचता था कि ये
सारे फायदे अलसी के तेल से हुए हैं और हा सकता है थोड़ी मदद जेमज़ार भी कर रही
होगी। डॉक्टर्स ने पहले कहा था कि वह 2-6
महीने और जी पायेगा। उसने यह बताया कि डॉक्टर ने कहा है कि उसका आमाशय जो कठोर हो
चुका था, अब सॉफ्ट हो चुका है और यह बहुत अच्छी बात है। कुछ सालों पहले मुझे एक
डॉक्टर ने बताया था कि उसने कभी नहीं सुना कि पेनक्रियेटिक कैंसर में ट्यूमर काउंट
कम हुआरेट भी बहुत
पीती थी। कुछ महीने पहले उसके दाएं फेफड़े
के निचले हिस्से में एक गांठ हुई थी। डॉक्टर ने कहा कि उसे तुरन्त सर्जरी करवा
लेनी चाहिये। लेकिन उसे डर था कि इस उम्र में वह सर्जरी सहन नहीं कर पायेगी। उसका
ग्रांडसन मुझे अच्छी तरह जानता था और
चाहता था कि उसकी दादी मां को बुडविग प्रोटोकोल दिया जाये।
इस तरह
उस महिला ने बुडविग आहार लेना शुरू तो किया, लेकिन वह उपचार लेने में पूरी
तरह गंभीर नहीं थी और कुछ गलतियां भी कर
रही थी। फिर भी उसका कैंसर बढ़ नहीं रहा था और मुझे लग रहा था जैसे सब ठीक-ठाक चल
रहा है। लेकिन दो वर्ष बाद हमने सुना कि उसकी मृत्यु हो गई है। हमने उसके ग्रांडसन से पूछताछ की तो उसने बतलाया कि उसकी दादी के मेडीकल चेक-अप में
सब कुछ ठीक था, कैंसर की गांठे मिट कुकी थी। लेकिन फिर भी डॉक्टर ऑपरेशन की जिद कर
रहे थे। मेरी बुआ भी ऑपरेशन के पक्ष में नहीं थी, लेकिन उनके बच्चे ऑपरेशन करवाना
चाह रहे थे। उन्होंने जिद करके दादी को अस्पताल में भरती करवा ही दिया। हमारा
दुर्भाग्य था कि दादी ऑपरेशन टेबल पर ही मर गई। शायद उनके जाने का समय आ चुका था।
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