Sunday, February 24, 2013
Thursday, February 21, 2013
Tuesday, February 19, 2013
Sunday, February 10, 2013
अलसी से गांठे घुल गई और चश्मा उतर गया
मैं अलसी का प्रयोग अप्रेल 2012 से कर रहा हूँ, जिसका लाभ यह हुआ कि मेरे शरीर पर विद्यमान दो मांस की गांठे थी, अब 90 प्रतिशत पिघल चुकी हैं। इसके अतिरिक्त मुझे अपने शरीर की सभी नस नाड़ियां साफ व पूर्णतया खुली महसूस होती हैं। ऐसा लगता है जैसे मेरे चश्मे का नंबर कम हो गया है।
मैंने अलसी के तेल का प्रयोग अपने विभाग के छह साथियों को भी करवाया है। उनमें दो मधुमेह के रोगी हैं तथा उन पर किया गया प्रयोग उत्साहवर्धक है। अलसी पर मेरा लेख और अनुभव योग मंजरी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
राम करण शर्मा
09991432466
Friday, February 8, 2013
Beet Sweet
दोस्तों,
मुझे मालूम है कि आप गाजर का हलुवा खाते खाते उकता गये हैं और नयापन चाहते हैं तो बस चुकंदर का हलवा बनाइये। तरीका वही है 1 किलो चुकंदर को कसिये, 1 किलो दूध में पकाइये। 400 ग्राम गुड़ डालिये। बाद में 2 चम्मच घी, 150 किशमिश, 50 बादाम और 5 इलायची से महकाइये। इस बैंगनी हलुवे को खाकर आप गाजर का हलुवा भूल जायेंगे।
Thursday, February 7, 2013
नील खुब्ज़ (अलसी की ब्रेड)
नील खुब्ज़ (अलसी की ब्रेड)
ओमेगा-3 फैट से भरपूर अलसी से बनी पौष्टिक ब्रेड को नील खुब्ज़ कहते हैं। नील अलसी को और खुब्ज़ ब्रेड को कहते हैं।
आवश्यक सामग्री -
मैदा - 340 ग्राम दरदरी पिसी हुई अलसी – 60 ग्राम घी या तेल - 1 टेबल स्पून नमक - आधा छोटी चम्मच कलौंजी - 1 छोटी चम्मच चीनी – 3 छोटी चम्मच दूध - एक छोटा ग्लास ताजा ईस्ट - 40 ग्राम
विधि -
दूध को गुनगुना गरम कीजिये। ईस्ट, नमक और चीनी गुनगुने गरम दूध में डाल कर अच्छी तरह मिलाइये और ढककर 5-10 मिनिट के लिये रख दीजिये। मैदा और नमक को किसी बर्तन में छानिये, घी या तेल डालकर अच्छी तरह मिला दीजिये। मैदा में ईस्ट वाला दूध डाल कर आटा लगाइये। आवश्यकतानुसार पानी डालिये और नरम आटा गूंथिये। आटे को 5-6 मिनिट तक अलट पलट कर, मसल कर एक दम चिकना कर लीजिये। आटे को तब तक गूंथते रहिये जब तक कि आटा हाथ में चिपकना बन्द कर दे। फिर किसी गहरे बर्तन में आटे को तेल से चिकना करके रखिये। बर्तन को गरम जगह पर मोटे टावल से ढककर रख दीजिये।
एक डेढ़ घंटे में आटा फूल कर लगभग दुगना हो जाता है। आटे को हाथ से मसल कर ठीक कर लीजिये। आटे को 8 बराबर भागों में तोड़कर गोले बना लीजिये। एक साफ कपड़े को पानी में गीला करके निचोड़ कर किचन की पट्टी पर बिछा लीजिये। हाथों में सूखी मैदा लगा कर हर गोले की छोटी-छोटी रोटियां बना कर गीले कपड़े पर रखते जाइये। इन्हें किसी साफ और नम कपड़े से ढक दीजिये। 1 घंटे तक इन्हें एसे ही रहने दीजिये।
इन्हें बेक करने से पहले ओवन को 200 डिग्री से.ग्रे. पर 40-45 मिनट तक गर्म कीजिये। फिर रोटियों को ओवन में हल्की ब्राउन होने तक बेक कर लीजिये। बेक होने में लगभग 40 मिनट लगते हैं। आप इसे बाटी बनाने के गैस ओवन में भी बेक कर सकते हैं। समय समाप्त होने के बाद ब्रेड को चैक कीजिये, यदि पाव के ऊपर ब्राउन क्रस्ट आ गया है तब ये पाव बन चुके हैं। ब्रेड के ऊपर मक्खन लगाकर चिकना कर दीजिये ताकि इसका क्रस्ट एकदम ताजा और मुलायम बना रहे। इन्हें आप मक्खन लगाकर या जैम लगाकर परोसिये।
सुशमा रानी झिंझोटिया का जवाबी प्रेम पत्र
श्री मेवा सिंह जी उपध्याय,
जुग जुग जियें आप, आप ने पिछले पत्र में मुझे पायलागी कहा था इसलिये मेरा फर्ज बनता है कि आप को आशीर्वाद दूँ। मुझ को हार्दिक कष्ट है कि हमारे कुत्ते टामी (हरामी) ने आपकी तीन पैन्टों का सत्यानाश कर दिया । इस टामी ने तो मेरा जीना हराम कर रखा है । तुम से पहले वह मेरे चार और प्रेमियों को काट चुका है । तुम तो खुशनसीब थे । पिछले चार तो इंजेक्शन लगवा रहे हैं ।
मेवा जी, आपने मुझे पहली बार मेरे पिताजी की दुकान पर समोसा बांटते हुये देखा था । उस दिन मेरे खिलखिलाने और बेवजह मुस्कुराने की वजह वही थी जिसके लिये आपने झुंझलाते हुये सर ऊपर उठाया था । असल में आलू हम बोरे का बोरा खरीदते हैं । उस दिन आलू नीचे की थी । उन आलूओं में सड़न पैदा हो गई थी । नमक तो पिताजी भूल ही गये थे और उस दिन धनिया भी मंहगा गई थी । इस लिये मिर्चा जरा ज्यादा डालना पड़ गया था । जब इतना झाम हो तो ग्राहक गरियायेगा है ही । इस लिये जिस दिन समोसों में कोई गड़बड़ होती है मैं ही समोसे बांटती हँ । मेरी मुस्कान मीठी चटनी का काम करती है और सड़े हुये बासी आलू को भी ग्राहक आरम से हजम कर जाता है । हालांकि मेरे लिये तो सभी ग्राहक एक समान है पर उस दिन आप पर नजर पड़ी तो मुझे लगा कि इस आलू में कुछ दम है । फिर आपने मेरे घर के चक्कर मारने शुरू कर दिये । टामी ने जब भी आपको दौड़या मैं खिड़की से देखती रहती और भगवान से मनाती कि आपका बाल भी बांका न हो । आपने भी हार नहीं मानी और इस कमीने टामी से आपने भी खूब लोहा लिया । मैंने यह कसम खायी थी कि जो लड़का टामी के जबड़ों से बच जायेगा वही मुझसे दोस्ती करने के लायक होगा । टामी से लगातार पंगा ले कर आपने मेरे हृदय को जीत लिया है । ये बंशी वाले की कित्ती बड़ी कृपा है कि उसने आपको एक दिन आखिर मेरे बाप की दुकान तक पहुंचा ही दिया ।
आगे समाचार यह है कि बापू और भईया मेरी सादी सेठ चमन लाल के बेवड़े लड़के रेवड़ी लाल से करवाना चाहते हैं । मेवा जी अब आपको ही कुछ करना पड़ेगा । वरना वह रेवड़ी लाल एक दिन मुझको आपसे छीन कर ले जायेगा । उस नर्क से बचने का बस एक ही रास्ता है और वह है हम दानों इस बेरहम दुनिया से कहीं दूर भाग चलें । जहाँ न कोई बाप हो, न कोई भाई, न कोई कुत्ता हो और न कोई रेवड़ी लाल हो । रूपयों पैसों की चिंता तुम मत करना । मैं माँ के जेवर और पिता जी की तिजोरी साफ करके आऊंगी । हम यहाँ से देवास चले चलेंगे । मेरे पिताजी के पैसों से हम एक मिठाई की दुकान खोल लेंगे । बेसन के लड्डू और समोसे बनाना मैं जानती ही हूँ । चाय तुम बना ही लोगे । हमारी दुकान चल निकलेगी क्योंकि समोसे बेचने की कला तो मैं जानती ही हूँ । फिर तीन चार साल में हमारी मदद करने के लिये तीन चार बच्चे भी होंगे ।
अच्छा पत्र अब खत्म करती हँ । अगर हमारा प्यार सच्चा है तो 6 फरवरी को हम जोधपुर-भोपाल पेसैंजर में बैठे होंगे । डरने की कोई जरूरत नहीं है । मुझे तीन बार घर से भागने का एक्सपीरियेन्स है। अब की दफा फुल प्रूफ प्लान बनाया है।
तुम्हारे लिये हर खतरा उठाने को तैयार
तुम्हारी भावी संगिनी
सुषमा रानी झिंझोटिया
मेवा सिंह उपध्याय का प्रेमपत्र
मेवा सिंह उपध्याय का प्रेमपत्र
मेरी प्यारी सुषमा रानी झिंझोटिया,
पायलागूं आशा है कि आप राजी खुशी होंगी । आगे समाचार यह है कि कल मैं आपकी गली से साढ़े सात बार गुजरा । आठवां चक्कर इस लिये नहीं हो पाया क्योंकि आपके आदरणीय भाई साहब की नजर मुझ पर पड़ गयी थी और उन्होंने आपके प्रिय कुत्ते टॉमी को मेरे पीछे छोड़ दिया । प्रिय टामी जी मुझको मेरे घर तक छोड़ कर ही वापस लौटे।
पत्र की शुरूआत में मैंने तुम्हारा अभिवादन ‘पालागी’ करके किया उसका अर्थ तुम जरूर जानना चाहोगी । पहली बात मैं हर पराई स्त्री को माँ बहन के रूप में देखता हूं । अगर वह बहन सिर्फ अपने भाई की ही बहन बनना चाहती है और मेरे लिये कोई गुंजाईश है तो भी पालागी क्योंकि मैं हर स्त्री में दुर्गा जी की छाया देखता हूं । यह एक तरह से मेरा ग्यारहवां विनम्र प्रणय निवेदन है । हालांकि तुम तक ये पहला ही पहुंच रहा है । बाकी के 10 तुम्हारे चिरंजीवी बड़े भाई साहब के हत्थे चढ़ चुके हैं । उनका मुझसे जो विशेष मोह है या ये कहिये जो प्रगाढ़ प्रेम है वो इन्ही दस प्रेम प्रत्रों की बदौलत परवान चढ़ा है।
सुषमा जी, आप कहेंगी कि मैं कौन हूँ और आप को कैसे जानता हूं । इतनी दूर से प्रेम का प्रस्ताव क्यों रख रहा हूं । सामने क्यों नहीं आता हूं । साफ बात है आप खाते पीते घर से हैं । आपके आदरणीय पिताजी और चिरंजीवी भाई साहब दोनों ही पहलवान जैसे लगते हैं, वे मुझे एक पंच भी मार दें तो मैं चार दिन तक उठ नहीं पाऊँगा इसलिए डरता हूँ। मुझे तो घोर आश्चर्य होता है कि सूमो फाइटर्स के घर में तुम जैसी केटरिना कैसे पैदा हो गयी । ये भगवान ही मेरे प्रेम का इम्तिहान ले रहा है, वरना तुम्हारा क्या है, जन्म जन्मांतर का रिश्ता निभाने के लिये तुम मेरे पड़ोसी गेंदा लाल के यहाँ भी पैदा हो सकती थी, जिनकी बीबी अपनी छोटी बिटिया के लिये मुझे पसंद करती हैं ।
हाँ बात ही बात में मैं तुम्हें यह तो बताना ही भूल गया कि मैंने तुमको पहली बार कहाँ और कैसे देखा था । तुम्हारे पिताजी मुहल्ले के टॉप हलवाई हैं । एक दिन शाम के समय मैं का समोसा खाने के लिये तुम्हारे पिताजी की दुकान पर चला गया । चार पीस समोसा खरीद कर जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह मैं डाला, तुम्हारे आदरणीय पिताजी को भरपूर दिल से याद किया। उस दिन तुम्हारे आदरणीय बाप समोसे में नमक भूल गये थे, आलू पांच दिन पुराने वाले यूज किये थे और चटनी धनिया के बजाये मिर्चे की बांट रहे थे । सारा खून खोपड़ी पर चढ़ गया । गरियाने के लिये जैसे ही सिर ऊपर किया तो देखा तुम ही समोसा बांट रही थी । वो तुम्हारी नेटवर्क मार्केटिंग वाली मुस्कान, चटनी देते वक्त तुम्हारी खिलखिलाहट और तभी तुम्हारा मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखना कि मैं अपना चार रूपये का हेवी नुक्सान जैसे भूल ही गया । तुम्हारी वह एक चितवन मेरे दिल में परमानेन्ट उतर गयी, और मैं परमानेन्ट हार्ट का मरीज हो गया ।
पिछले दो महीने से मैं हर दिन तुम्हारे घर के आगे चार चक्कर इस लिये मारता रहा कि कभी न कभी तो तुम्हारी नजर मुझ पर पड़ेगी ही । तुम्हारी नजर मुझ पर नहीं पड़ी लेकिन तुम्हारे चिरंजीवी भाई साहब टामी जी को 6 बार मेरे पीछे छोड़ चुके हैं । और प्रिय टामी जी मेरी तीन पेन्टों का सत्यानाश भी कर चुके हैं ।
खत काफी लंबा हो गया है । खत में अपने दो महीने के प्रेम का इतिहास और दर्द नहीं बताया जा सकता । प्रिय टामी जी जब कल शाम मेरे पीछे लपके थे, उस वक्त तुम अपनी छत पर खड़ी भुट्टा खा रही थी । तुम्हारी नजर मुझ पर तो पड़ी ही होगी । तुमने मुझको पहचान भी लिया होगा । सौगंध है तुमको तुम्हारे आदरणीय बाप की चलती मिठाई और समोसे के दुकान की, इस प्रत्र के बारे में किसी से कुछ मत बताना । और अगर तुम मुझमें जरा भी इन्टरेस्ट रखती हो तो आज शाम मैं तुम्हारी दुकान पर समोसे खाने जरूर से आउंगा । मैं तीन समोसों का आर्डर भेजूंगा । तुम अगर चार समोसे दोगी तो मैं समझ जाउंगा कि तुमको मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार है और अगर तुम दो समोसे दोगी तो मैं समझ जाउंगा कि तुम ने मेरे पवित्र प्रेम को ठुकुरा दिया है । मैं दिल पर पत्थर रख कर कहीं और ट्राई करूंगा । अच्छा पालागी । मेरे इस प्रणय निवेदन पर दिल से विचार करना वरना मेरा दिल टूट जायेगा ।
तुम्हारा भावी प्रियतम
मेवा सिंह उपध्याय
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