Friday, November 13, 2015

बेसहारों का सहारा बनी सीताराम रसोई



13 वर्ष पहले दानवीर ठाकुर कृष्णपाल सिंह और उनके दोस्तों ने सीताराम रसोई समिति की स्थापना की। पहले यह संस्था एक मंदिर में संचालित होती थी। लेकिन सभी सदस्यों के अथक प्रयासों और आर्थिक सहयोग से आज इस संस्था का एक विशाल और शानदार भवन बन चुका है। इसके लिए ठाकुर कृष्णपाल, प्रभात जैन, प्रकाश चौबे और सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं। समाज सेवा इस संस्था के खून में बसी है।


यहां 80 निराश्रित, असहाय, एवम् गरीब लोगों को दो वक्त का भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। यहाॅं भोजन बड़ा स्वादि’ट बनता है। गरीब महिलाओं को मेंहदी एवम् ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाता है। संस्था ने कैंप का आयोजन कर 5500 लोगों की जानकारी युक्त सीताराम ब्लड डोनेशन डायरेक्ट्री बनाई है। दो बार लाइफ-लाइन ट्रेन में मरीजों एवम् मेडीकल स्टाफ के लिए दोनों समय के भोजन एवम् नाश्ते की व्यवस्था कराई। नरयावली नाका मुक्तिधाम में पौधारोपण किया। बाढ़ में भोजन के पैकेट बांटे। बालाजी मंदिर में एम आर यूनियन के सहयोग से मनोचिकित्सा के शिविर कर दवाई मुफ्त में दी। इनकी बड़ा उपलब्धि है कि पूर्व कलेक्टर योगेंद्र शर्मा के मार्गदर्शन में 74 कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उन्हें कुपोषण से मुक्ति दिलाई। यह संस्था समाज सेवा का कोई मौका नहीं छोड़ती।

No comments:

मैं गेहूं हूँ

लेखक डॉ. ओ.पी.वर्मा    मैं किसी पहचान का नहीं हूं मोहताज  मेरा नाम गेहूँ है, मैं भोजन का हूँ सरताज  अडानी, अंबानी को रखता हूँ मुट्ठी में  टा...