Thursday, February 7, 2013

मेवा सिंह उपध्याय का प्रेमपत्र

मेवा सिंह उपध्याय का प्रेमपत्र 

मेरी प्यारी सुषमा रानी झिंझोटिया, पायलागूं आशा है कि आप राजी खुशी होंगी । आगे समाचार यह है कि कल मैं आपकी गली से साढ़े सात बार गुजरा । आठवां चक्कर इस लिये नहीं हो पाया क्योंकि आपके आदरणीय भाई साहब की नजर मुझ पर पड़ गयी थी और उन्होंने आपके प्रिय कुत्ते टॉमी को मेरे पीछे छोड़ दिया । प्रिय टामी जी मुझको मेरे घर तक छोड़ कर ही वापस लौटे। 

पत्र की शुरूआत में मैंने तुम्हारा अभिवादन ‘पालागी’ करके किया उसका अर्थ तुम जरूर जानना चाहोगी । पहली बात मैं हर पराई स्त्री को माँ बहन के रूप में देखता हूं । अगर वह बहन सिर्फ अपने भाई की ही बहन बनना चाहती है और मेरे लिये कोई गुंजाईश है तो भी पालागी क्योंकि मैं हर स्त्री में दुर्गा जी की छाया देखता हूं । यह एक तरह से मेरा ग्यारहवां विनम्र प्रणय निवेदन है । हालांकि तुम तक ये पहला ही पहुंच रहा है । बाकी के 10 तुम्हारे चिरंजीवी बड़े भाई साहब के हत्थे चढ़ चुके हैं । उनका मुझसे जो विशेष मोह है या ये कहिये जो प्रगाढ़ प्रेम है वो इन्ही दस प्रेम प्रत्रों की बदौलत परवान चढ़ा है। 

सुषमा जी, आप कहेंगी कि मैं कौन हूँ और आप को कैसे जानता हूं । इतनी दूर से प्रेम का प्रस्ताव क्यों रख रहा हूं । सामने क्यों नहीं आता हूं । साफ बात है आप खाते पीते घर से हैं । आपके आदरणीय पिताजी और चिरंजीवी भाई साहब दोनों ही पहलवान जैसे लगते हैं, वे मुझे एक पंच भी मार दें तो मैं चार दिन तक उठ नहीं पाऊँगा इसलिए डरता हूँ। मुझे तो घोर आश्चर्य होता है कि सूमो फाइटर्स के घर में तुम जैसी केटरिना कैसे पैदा हो गयी । ये भगवान ही मेरे प्रेम का इम्तिहान ले रहा है, वरना तुम्हारा क्या है, जन्म जन्मांतर का रिश्ता निभाने के लिये तुम मेरे पड़ोसी गेंदा लाल के यहाँ भी पैदा हो सकती थी, जिनकी बीबी अपनी छोटी बिटिया के लिये मुझे पसंद करती हैं । 

हाँ बात ही बात में मैं तुम्हें यह तो बताना ही भूल गया कि मैंने तुमको पहली बार कहाँ और कैसे देखा था । तुम्हारे पिताजी मुहल्ले के टॉप हलवाई हैं । एक दिन शाम के समय मैं का समोसा खाने के लिये तुम्हारे पिताजी की दुकान पर चला गया । चार पीस समोसा खरीद कर जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह मैं डाला, तुम्हारे आदरणीय पिताजी को भरपूर दिल से याद किया। उस दिन तुम्हारे आदरणीय बाप समोसे में नमक भूल गये थे, आलू पांच दिन पुराने वाले यूज किये थे और चटनी धनिया के बजाये मिर्चे की बांट रहे थे । सारा खून खोपड़ी पर चढ़ गया । गरियाने के लिये जैसे ही सिर ऊपर किया तो देखा तुम ही समोसा बांट रही थी । वो तुम्हारी नेटवर्क मार्केटिंग वाली मुस्कान, चटनी देते वक्त तुम्हारी खिलखिलाहट और तभी तुम्हारा मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखना कि मैं अपना चार रूपये का हेवी नुक्सान जैसे भूल ही गया । तुम्हारी वह एक चितवन मेरे दिल में परमानेन्ट उतर गयी, और मैं परमानेन्ट हार्ट का मरीज हो गया । 

पिछले दो महीने से मैं हर दिन तुम्हारे घर के आगे चार चक्कर इस लिये मारता रहा कि कभी न कभी तो तुम्हारी नजर मुझ पर पड़ेगी ही । तुम्हारी नजर मुझ पर नहीं पड़ी लेकिन तुम्हारे चिरंजीवी भाई साहब टामी जी को 6 बार मेरे पीछे छोड़ चुके हैं । और प्रिय टामी जी मेरी तीन पेन्टों का सत्यानाश भी कर चुके हैं । 

खत काफी लंबा हो गया है । खत में अपने दो महीने के प्रेम का इतिहास और दर्द नहीं बताया जा सकता । प्रिय टामी जी जब कल शाम मेरे पीछे लपके थे, उस वक्त तुम अपनी छत पर खड़ी भुट्टा खा रही थी । तुम्हारी नजर मुझ पर तो पड़ी ही होगी । तुमने मुझको पहचान भी लिया होगा । सौगंध है तुमको तुम्हारे आदरणीय बाप की चलती मिठाई और समोसे के दुकान की, इस प्रत्र के बारे में किसी से कुछ मत बताना । और अगर तुम मुझमें जरा भी इन्टरेस्ट रखती हो तो आज शाम मैं तुम्हारी दुकान पर समोसे खाने जरूर से आउंगा । मैं तीन समोसों का आर्डर भेजूंगा । तुम अगर चार समोसे दोगी तो मैं समझ जाउंगा कि तुमको मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार है और अगर तुम दो समोसे दोगी तो मैं समझ जाउंगा कि तुम ने मेरे पवित्र प्रेम को ठुकुरा दिया है । मैं दिल पर पत्थर रख कर कहीं और ट्राई करूंगा । अच्छा पालागी । मेरे इस प्रणय निवेदन पर दिल से विचार करना वरना मेरा दिल टूट जायेगा । 

तुम्हारा भावी प्रियतम 

मेवा सिंह उपध्याय


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