Sunday, February 10, 2013

अलसी से गांठे घुल गई और चश्मा उतर गया

मैं अलसी का प्रयोग अप्रेल 2012 से कर रहा हूँ, जिसका लाभ यह हुआ कि मेरे शरीर पर विद्यमान दो मांस की गांठे थी, अब 90 प्रतिशत पिघल चुकी हैं। इसके अतिरिक्त मुझे अपने शरीर की सभी नस नाड़ियां साफ व पूर्णतया खुली महसूस होती हैं। ऐसा लगता है जैसे मेरे चश्मे का नंबर कम हो गया है। 

मैंने अलसी के तेल का प्रयोग अपने विभाग के छह साथियों को भी करवाया है। उनमें दो मधुमेह के रोगी हैं तथा उन पर किया गया प्रयोग उत्साहवर्धक है। अलसी पर मेरा लेख और अनुभव योग मंजरी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।   

राम करण शर्मा
09991432466

No comments:

मैं गेहूं हूँ

लेखक डॉ. ओ.पी.वर्मा    मैं किसी पहचान का नहीं हूं मोहताज  मेरा नाम गेहूँ है, मैं भोजन का हूँ सरताज  अडानी, अंबानी को रखता हूँ मुट्ठी में  टा...